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कांग्रेस का मजबूत गढ़ रही है खम्माम लोकसभा सीट

खम्माम  यहां की कुल आबादी का 18.36 फीसदी हिस्सा अनुसूचित जाति का है तो 19.42 फीसदी हिस्सा अनुसूचित जनजाति का है. खम्माम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें हैं. ये सात सीटें खम्माम, पालेयर, मधिरा, वायरा, साथुपल्ले, कोथागुडेम और असवारावपेटा हैं. इनमें से तीन सीटों पर कांग्रेस, दो पर टीडीपी और एक सीट पर टीआरएस और एक सीट पर निर्दलीय विधायक हैं.

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कांग्रेस का गढ़ खम्माम लोकसभा सीट
कांग्रेस का गढ़ खम्माम लोकसभा सीट

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खम्माम (Khammam) लोकसभा सीट तेलंगाना के खम्माम जिले में स्थित है. खम्माम लोकसभा सीट इस समय टीआरएस के पी. श्रीनिवास रेड्डी (Ponguleti Srinivas Reddy) के पास है. वह पहली बार इस सीट से सांसद चुने गए हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की करीब 74 फीसदी आबादी ग्रामीण है और करीब 26 फीसदी आबादी शहरी है.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

खम्माम लोकसभा सीट 1952 में अस्तित्व में आई थी. शुरुआत से ही यह सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ रही है. यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार 12 बार जीते हैं. कांग्रेस के अलावा यहां से सीपीआई, टीडीपी, सीपीएम, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को भी लोकसभा चुनावों में जीत हासिल हुई है. इस सीट से कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रेणुका चौधरी दो बार चुनाव जीत चुकी हैं. यहां से सबसे ज्यादा लगातार तीन बार कांग्रेस की टी. लक्ष्मी कांतम्मा 1962 से 1977 तक सांसद रही थीं. इस सीट से आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री जे. वेंगला राव चुनाव लड़कर जीत चुके हैं. वह आठवीं और नौवीं लोकसभा में यहां से प्रतिनिधि चुने गए थे. उनके अलावा आंध्र प्रदेश के ही एक और पूर्व मुख्यमंत्री एन. भास्करा राव 12वीं लोकसभा में यहां से जीते थे.

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सामाजिक ताना-बाना

खम्माम  यहां की कुल आबादी का 18.36 फीसदी हिस्सा अनुसूचित जाति का है तो 19.42 फीसदी हिस्सा अनुसूचित जनजाति का है. खम्माम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें हैं. ये सात सीटें खम्माम, पालेयर, मधिरा, वायरा, साथुपल्ले, कोथागुडेम और असवारावपेटा हैं. इनमें से तीन सीटों पर कांग्रेस, दो पर टीडीपी और एक सीट पर टीआरएस और एक सीट पर निर्दलीय विधायक हैं. इनमें पालेयर, मधिरा और कोथागुडेम में कांग्रेस, साथुपल्ले और असवारावपेटा में टीडीपी, खम्माम में टीआरएस और वायरा में निर्दलीय विधायक हैं. खम्माम में पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है, हालांकि मतदान में पुरुषों का आंकड़ा महिलाओं से ज्यादा रहता है. यहां पर 7,12,329  पुरुष मतदाता हैं और 7,27,960 महिला मतदाता यानी कुल 14,40,289 मतदाता हैं. 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में 82.65 फीसदी पुरुष मतदाताओं ने और 81.62 महिला मतदाताओं ने वोट दिए थे.

2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनावों में वाईएसआरसीपी के पी. श्रीनिवास रेड्डी ने करीबी मुकाबले में जीत हासिल की थी. उन्होंने टीडीपी के नामा नागेश्वर राव को करीब 12 हजार वोटों के अंतर से मात दी थी. पी. श्रीनिवास रेड्डी को 35.67 फीसदी यानी 4,21,957 वोट मिले थे तो दूसरे नंबर पर रहे नागेश्वर राव को 34.66 फीसदी यानी 4,09,983 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर सीपीआई के के. नारायणा रहे थे. उन्हें 1,87,653 वोट मिले थे.

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सांसद का रिपोर्ट कार्ड

पी. श्रीनिवास रेड्डी की संसद में उपस्थिति (64 फीसदी) बहुत अच्छी नहीं रही. वह सांसदों के राष्ट्रीय औसत- 80 फीसदी और तेलंगाना के सांसदों के औसत 69 फीसदी के मुकाबले सदन में कम बार मौजूद रहे. उन्होंने केवल 32 बहसों में हिस्सा लिया, जो कि राष्ट्रीय औसत- 64.8 बहसों और राज्य के औसत 37.4 से काफी कम है. हां, उन्होंने अपनी मौजूदगी के दौरान काफी सवाल उठाए. उन्होंने कुल 406 सवाल पूछे, जो राष्ट्रीय औसत 283 सवाल और तेलंगाना के औसत 293 के मुकाबले कहीं ज्यादा है. इस दौरान उन्होंने एक भी प्राइवेट मेंबर बिल पेश नहीं किया. पी. श्रीनिवास रेड्डी को उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 12.50 करोड़ रुपये की रकम स्वीकृत हुई थी, जो ब्याज मिलाकर 17.69 करोड़ रुपये हो गई थी. इसमें से उन्होंने पूरी रकम यानी 17.69 करोड़ रुपये विकास कार्यों में खर्च किए और कुछ शेष नहीं बचा. यानी उन्होंने अपने मूल आवंटित फंड का 138.95 फीसदी खर्च किया.

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