बिहार की किशनगंज लोकसभा सीट से कुल 14 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. इस सीट पर कुल 31 नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे. किशनगंज समेत 97 लोकसभा सीटों पर दूसरे चरण में 18 अप्रैल को वोटिंग होनी है. इसके बाद 23 मई को मतगणना होगी और चुनाव के नतीजे आएंगे. यह मुस्लिम बहुल सीट है.
इस बार यहां से बहुजन समाज पार्टी से इंद्र देव पासवान, तृणमूल कांग्रेस से जावेद अख्तर, कांग्रेस पार्टी से डॉ. मोहम्मद जावेद, आम आदमी पार्टी से अलीमुद्दीन अंसारी, जनता दल (युनाइटेड) से सईद महमूद अशरफ, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन से अख्तरुल इमान, शिवसेना के टिकट से प्रदीप कुमार सिंह, झारखंड मुक्ति मोर्चा से शुकल मुरमू और बहुजन मुक्ति पार्टी के टिकट से राजेंद्र पासवान चुनाव मैदान में हैं. इसके अलावा अजीमुद्दीन, असद आलम, छोटे लाल महतो, राजेश कुमार दुबे और हसेरुल बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने उतरे हैं.
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में किशनगंज सीट से कांग्रेस उम्मीदवार असरार-उल-हक़ क़ासमी ने जीत दर्ज की थी. उनको 4 लाख 93 हजार 461 वोट मिले थे. उन्होंने अपनी करीबी प्रतिद्वंदी बीजेपी के डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल को शिकस्त दी थी. साल 2014 के चुनाव में जायसवाल को 2 लाख 98 हजार 849 वोट मिले थे. इसके अलावा जेडीयू के अख्तारुल इमान को 55 हजार 822 वोटों से संतोष करना पड़ा था. पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट से आम आदमी पार्टी ने अलीमुद्दीन अंसारी को उतारा था, जिनको 15 हजार 10 वोट मिले थे.
दिसंबर 2018 में किशनगंज से सांसद मौलाना असरार-उल-हक़ क़ासमी का निधन हो गया था, जिसके बाद से इस सीट का राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल गया. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कासमी पहली बार साल 2009 में मुस्लिम बहुल किशनगंज सीट से लोकसभा चुनाव जीते थे. इसके बाद साल 2014 के चुनाव में अपनी जीत को बरकरार रखा था.
किशनगकंज सीट से साल 1957 और 1962 के चुनाव में कांग्रेस के मोहम्मद ताहिर ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद साल 1967 के लोकसभा चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (पीएसपी) के एलएल कपूर ने मोहम्मद ताहिर को शिकस्त देते हुए जीत हासिल की थी. साल 1971 में कांग्रेस के जमीलुर रहमान और 1977 में बीएलडी के हलीमुद्दीन अहमद को किशनगंज की जनता ने चुनकर दिल्ली भेजा था.
साल 1980 और 1984 के चुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवार जमीलुर रहमान ने जीत दर्ज की थी. साल 1985 में यहां उपचुनाव हुए और जेएनपी के सैय्यद शहाबुद्दीन जीते थे. साल 1989 में कांग्रेस के टिकट से एम. जे. अकबर चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. इसके बाद 1991 में सैय्यद शहाबुद्दीन, 1996 में जनता दल के मोहम्मद तस्लीमुद्दीन और 1998 में तस्लीमुद्दीन इस सीट से जीते थे.
किशनगंज संसदीय क्षेत्र के दायरे में विधानसभा की 6 सीटें आती हैं, जिनमें बहादुरगंज, ठाकुरगंज, किशनगंज, कोचधामन, अमौर और बैसी विधानसभा सीटें शामिल हैं. साल 2015 के विधानसभा चुनाव में इनमें से 3 सीटों पर कांग्रेस, 2 सीटों पर जेडीयू और 1 सीट पर आरजेडी ने बाजी मारी थी. किशनगंज लोकसभा सीट पर वोटरों की संख्या 11 लाख 86 हजार 369 हैं. इसमें से महिला वोटरों की संख्या 5 लाख 61 हजार 940 हैं, जबकि पुरुष वोटरों की संख्या 6 लाख 24 हजार 429 है.
मुस्लिम बहुल किशनगंज सीट को वीआईपी उम्मीदवारों की पसंसीदा सीट मानी जाती है. बंगाल, नेपाल और बंग्लादेश की सीमा से सटा किशनगंज पहले पूर्णिया जिले का अनुमंडल था, लेकिन साल 1990 में यह जिला बन गया.
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