पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की सुपरहिट जोड़ी अब सरकार में नजर आएगी. अमित शाह, दूसरी मोदी सरकार में मंत्री बनेंगे. बताया जा रहा है कि उन्हें वित्त मंत्री का प्रभार दिया जा सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर मोदी और शाह की जोड़ी कब बनी. दोनों का रिश्ता कितना पुराना है. सियासत की किन राहों से गुजरती हुई ये दोस्ती हिंदुस्तान की सियासत की जोड़ी नंबर वन बन गई है.
हिंदुस्तान के सियासत की इस सुपरहिट जोड़ी को आपस में जोड़ने वाले धागे का नाम है- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ. कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह की पहली मुलाकात 1982 में हुई. ये वो दौर था, जब नरेंद्र मोदी अहमदाबाद में आरएसएस के जिला प्रचारक की जिम्मेदारी संभाल रहे थे तो अमित शाह एबीवीपी से जुड़े थे. धीरे-धीरे ये सिलसिला आगे बढ़ता गया.
1986 में शाह बीजेपी युवा मोर्चा में शामिल हुए. इसी दौर में नरेंद्र मोदी को गुजरात बीजेपी में सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई. वक्त का पहिया आगे बढ़ता रहा. गांधीनगर लोकसभा सीट पर 1991 के लोकसभा चुनाव में लालकृष्ण आडवाणी के लिए मोदी और शाह ने धुआंधार प्रचार किया.
बात 1996 की है. गुजरात बीजेपी के सीनियर नेता केशुभाई पटेल से मोदी के रिश्ते तल्ख हो गए, लेकिन, शाह ने मोदी से अपनी दोस्ती बरकरार रखी. 2001 में मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे तो शाह को मंत्री बनाया. तब उनकी उम्र सिर्फ 37 साल थी. इससे गुजरात की सियासत में बैठे लोगों को मोदी की नजर में शाह की अहमियत का अंदाजा हो गया.
2002, 2007 और 2012 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में अमित शाह ने बड़ी भूमिका निभाई. मोदी के राइटहैंड माने जाते रहे. ऐसे में जब मोदी गुजरात से दिल्ली आए तो शाह भी बीजेपी राष्ट्रीय सियासत में आ गए. मोदी के कंधे से कंधा मिलाकर हिंदुस्तान के कोने-कोने में कमल खिलाने की मुहिम में जुट गए. 2014 के बाद 2019 में भी इस जोड़ी ने कमाल किया. अब ये जोड़ी सरकार में नजर आएगी.