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Kolkata Uttar Loksabhaः जहां तृणमूल कांग्रेस ने CPM के मो. सलीम को हरा दिया था

यह शहर की सीट है और इस इलाके में शहरी मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. यह इलाका पश्चिम बंगाल की आर्थिक गतिविधियों का भी केंद्र है. 2019 का चुनाव यहां के लिए महत्वपूर्ण रहेगा. क्योंकि यहां पर बीजेपी ने पूरा जोर लगा दिया है.

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कोलकाता हाई कोर्ट (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव)
कोलकाता हाई कोर्ट (फोटो-इंडिया टुडे आर्काइव)

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कोलकाता उत्तर संसदीय सीट का गठन परिसीमन आयोग के सुझाव के बाद 2008 में किया गया. पहले यह इलाका कोलकाता संसदीय क्षेत्र के तहत ही आता था. इस सीट के बनते ही ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस ने इस पर कब्जा कर लिया. टीएमसी के उम्मीदवार ने सीपीएम के कद्दावर नेता मोहम्मद सलीम को यहां से पराजित कर दिया. यह शहर की सीट है और यहां शहरी मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. यह इलाका पश्चिम बंगाल की आर्थिक गतिविधियों का केंद्र है. 2019 का चुनाव यहां के लिए महत्वपूर्ण रहेगा. क्योंकि शहरी सीट होने के कारण यहां पर बीजेपी अपने को मजबूत कर चुकी है और जिस तरह से पार्टी ने पश्चिम बंगाल पर फोकस किया है उससे उसे उम्मीद भी बनी है. हालांकि ममता बनर्जी की ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस को कम करके नहीं आंका जा सकता. सीपीएम कमजोर तो हुई है लेकिन खत्म नहीं हुई है.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

इस सीट का गठन ही 2008 में हुआ. 2009 में पहली बार यहां लोकसभा चुनाव हुआ. इस चुनाव में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार सुदीप बंदोपाध्याय ने सीपीएम के कद्दावर नेता मोहम्मद सलीम को पराजित कर दिया. सुदीप बंदोपाध्याय को 460646 वोट मिले तो मोहम्मद सलीम को 351368. इसके बाद मोहम्मद सलीम ने अपना क्षेत्र बदल दिया.

सामाजिक ताना-बाना

चुनाव आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक कोलकाता उत्तर में 1366647 वोटर हैं. इसमें से 790290 पुरुष हैं और 576357 महिलाएं. 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 1778600 है कोलकाता यह पहला संसदीय क्षेत्र जहां की 100 फीसदी आबादी शहरी है. यहां पर अनुसूचित जाति और जनजाति का रेश्यो क्रमश: 4.84 और 0.18 फीसदी का है. कुल आबादी में पुरुषों की संख्या 53 फीसदी और महिलाओं की संख्या 47 फीसदी है. कुल आबादी में 15 पर्सेंट ऐसे लोग हैं जिनकी आयु 6 साल से कम है. यहां की साक्षरता दर 87.83 फीसदी है. यहां निवास करने वाले अधिकतर बंगाली हैं. यहां पर बंगाली, हिंदी और अंग्रेजी बोली जाती है. चीन के भी बहुत से लोग इस शहर में रहते हैं.

कोलकाता उत्तर लोकसभा में 7 विधानसभा सीटें आती हैं, सातों पर तृण मूल कांग्रेस का कब्जा है.

1-चौविरंघी से AITC की नयना बंदोपाध्याय विधायक हैं.

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2-एंटली से AITC के स्वर्णकमल साहा को विजय मिली है.

3-बेलियाघाटा से AITC के परेश पाल जीते हैं.

4-जोरांस्को से AITC की स्मिता बख्शी को विजय मिली है.

5-श्यामपुकुर के AITC के शशि पंजा जीते हैं.

6-मणिकातला AITC के सद्दन पांडे विधायक हैं.

7-काशीपुर बेलगछिया से AITC की माला साहा विधायक हैं.

2014 का जनादेश

2014 में AITC और मजबूत हो चुकी थी और पार्टी के उम्मीदवार सुदीप बंदोपाध्याय ने एक बार फिर यहां से जीत दर्ज की. उन्होंने बीजेपी के राहुल (विश्वजीत) सिन्हा को बड़े अंतर से हराया. सुदीप को  343687 वोट मिले तो राहुल सिन्हा को 247461 वोट मिले. 2014 लोकसभा चुनाव में यहां पर 66.68 वोट पड़े वहीं 2009 में 64.2 फीसदी वोट पड़े थे. 2009 में AITC को 35.96 फीसदी सीपीएम को BJP को 25.89 को फीसदी, सीपीएम को 20.51 फीसदी और कांग्रेस को 13.68 फीसदी वोट मिले थे. 2014 के चुनाव में ऑल  इंडिया तृणमूल कांग्रेस को 52.5 पर्सेंट, बीजेपी को 40.05 फीसदी और सीपीएम को 4.22 पर्सेंट वोट मिले. इस सीट का मिजाज यह बताता है कि सीपीएम पश्चिम बंगाल में हाशिए पर आ गई है और तृणमूल कांग्रेस से लड़ाई के लिए बीजेपी तैयार है.  

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंदोपाध्याय की उम्र चुने जाने के वक्त 66 साल थी. इन्होंने बीएससी तक की पढ़ाई की है. इन्होंने गंगा की सफाई के लिए काम किया है. पहले यह कांग्रेस में ही थे लेकिन ममता बनर्जी के साथ इन्होंने पार्टी छोड़ दी थी और ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के फाउंडर मेंबर हैं. संसद में इनकी हाजिरी 59.19 फीसदी रही है. इन्होंने 16वीं लोकसभा में कोई सवाल नहीं पूछा है. कुल 55 डिबेट में हिस्सा लिया है. कोई प्राइवेट मेंबर बिल इनके नाम नहीं हैं. सांसद निधि को तौर पर विकास कार्यों के लिए मिले 25 करोड़ में से इन्होंने 60.4 फीसदी यानी 15.1 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं.

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