लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण के तहत आज सोमवार को देश की चंद हाई प्रोफाइल संसदीय सीटों में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सीट पर मतदान किया गया. सुबह बसपा चीफ मायावती इस संसदीय क्षेत्र के लक्कड़ के सिटी मॉन्टेसरी इंटर कॉलेज के मतदान केंद्र पर पहुंची और अपना वोट डाला. इस सीट पर 54.29% मतदान दर्ज किया गया. वहीं इस पांचवें चरण में शामिल उत्तरप्रदेश की 14 सीटों पर औसत मतदान का आंकड़ा 53.20% रहा.
BSP Chief Mayawati casts her vote at a polling booth in City Montessori Inter College in Lucknow. #LokSabhaElections2019 pic.twitter.com/h28DExxZ8E
— ANI UP (@ANINewsUP) May 6, 2019
लखनऊ से बीजेपी उम्मीदवार राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि महागठबंधन यहां बीजेपी के लिए कोई चुनौती नहीं है. मैं उनपर (सपा-बसपा-रालोद प्रत्याशी पूनम सिन्हा) टिप्पणी नहीं करना चाहता, क्योंकि मेरा मानना है कि चुनाव व्यक्तियों के बारे में नहीं, बल्कि मुद्दों पर है.
Rajnath Singh,Lucknow BJP candidate: The Mahagatbandhan is no challenge for BJP here. I don't want to comment on her(SP-BSP-RLD candidate Poonam Sinha), as I believe elections are not about individuals but about issues. pic.twitter.com/FdwsHdj7nd
— ANI UP (@ANINewsUP) May 6, 2019
बीजेपी के लिए सुरक्षित माने जाने वाले इस संसदीय सीट पर राजनाथ सिंह के सामने कभी दोस्त रहे शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा भी चुनौती पेश कर रही हैं. लखनऊ में 15 उम्मीदवारों के बीच लड़ाई है, जिसमें बीजेपी के राजनाथ सिंह के सामने समाजवादी पार्टी की ओर से पूनम शत्रुघ्न सिन्हा और कांग्रेस के आचार्य प्रमोद कृष्णनम मैदान में हैं. 3 उम्मीदवार बतौर निर्दलीय चुनौती पेश कर रहे हैं जबकि 9 उम्मीदवार क्षेत्रीय दलों से हैं.
Sahara chief Subrata Roy casts his vote at a polling booth in Lucknow. pic.twitter.com/d4VjVsIGsL
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लखनऊ में अब तक 16 लोकसभा चुनाव
लखनऊ संसदीय सीट पर कुल 16 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं जिसमें सबसे ज्यादा 7 बार बीजेपी और 6 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है. इसके अलावा जनता दल, भारतीय लोकदल और निर्दलीय उम्मीदवारों ने एक-एक बार जीत दर्ज की है. लखनऊ लोकसभा सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुए तो कांग्रेस से शिवराजवती नेहरू जीतकर पहली बार सांसद बनने का गौरव हासिल किया. इसके बाद कांग्रेस ने लगातार तीन बार जीत हासिल की, लेकिन 1967 के चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार आनंद नारायण ने जीत का परचम लहराया. इसके बाद 1971 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस की शीला कौल सांसद बनीं.
आपातकाल के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में हेमवती नंदन बहुगुणा भारतीय लोकदल से जीतकर संसद पहुंचे. हालांकि 1980 में कांग्रेस ने एक बार फिर शीला कौल को यहां से चुनावी मैदान में उतारकर वापसी की. वह 1984 में चुनाव जीतकर तीसरी बार सांसद बनने में कामयाब रहीं. 1989 में कांग्रेस की हाथों से जनता दल के मानधाता सिंह ने यह सीट ऐसा छीना कि फिर दोबारा कांग्रेस यहां से वापसी नहीं कर सकी.
90 के दशक में बीजेपी के कद्दावर नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ संसदीय सीट से मैदान में उतरकर जीत का जो सिलसिला शुरू किया थो फिर वो नहीं थमा. यहां से बीजेपी पिछले सात लोकसभा चुनाव से लगातार जीत दर्ज कर रही है. अटल बिहारी वाजपेयी लगातार पांच बार सांसद चुने गए. इसके बाद 2009 में उनकी राजनीतिक विरासत संभालने के लिए लालजी टंडन को मैदान में उतारा गया तो उन्होंने जीत दर्ज की.
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने किस्मत आजमाई और उन्होंने कांग्रेस की रीता बहुगुणा को करारी मात देकर लोकसभा पहुंचे. अब वह फिर से यहां से उम्मीदवार हैं.
21 फीसदी मुस्लिम आबादी वाला लखनऊ
लखनऊ लोकसभा सीट पर 2011 के जनगणना के मुताबिक कुल जनसंख्या 23,95,147 है. यहां पर अनुसूचित जाति की आबादी 9.61 फीसदी है और जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 0.02 फीसदी है. इसके अलावा ब्राह्मण और वैश्य मतदाता निर्णयक भूमिका में है. जबकि मुसलमानों की आबादी 21 प्रतिशत है.
लखनऊ लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें लखनऊ पश्चिम, लखनऊ उत्तर, लखनऊ पूर्व, लखनऊ मध्य और लखनऊ कैंट विधानसभा सीट शामिल है. पांचों विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है.
2014 के लोकसभा चुनाव में लखनऊ संसदीय सीट पर 53.02 फीसदी मतदान हुआ जिसमें बीजेपी के राजनाथ सिंह को 5,61,106 वोट मिले तो कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी को 2,88,357 वोट हासिल हुए. इस तरह से राजनाथ ने रीता को 2 लाख 72 हजार 749 मतों के अंतर से हरा दिया. बसपा के निखिल दूबे को महज 64,449 वोट जबकि सपा के अभिषेक मिश्रा को 56,771 वोट मिले.
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अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मभूमि रहा है नवाबों का शहर
गोमती नदी के किनारे बसे लखनऊ को 'नवाबों का शहर' कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस शहर को भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने बसाया था तो कुछ लोग इसे लखन पासी के शहर के तौर पर भी जानते हैं. दशहरी आम, चिकन की कढ़ाई और कबाब के लिए विख्यात लखनऊ शहर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मभूमि रही है और वह यहां से 5 बार सांसद चुने गए.
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