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नागौर सीट: EVM में बंद 13 उम्मीदवारों की किस्मत, 23 मई को आएंगे नतीजे

राजस्थान की नागौर लोकसभा सीट पर इस बार बेहद दिलचस्प मुकाबला है. इस सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल बीजेपी का समर्थन लेकर कांग्रेस की ज्योति मिर्धा को टक्कर दे रहे हैं. इस सीट पर इस बार कुल 13 कैंडिडेट मैदान में हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (फाइल फोटो)
प्रतीकात्मक तस्वीर (फाइल फोटो)

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राजस्थान की नागौर लोकसभा सीट पर पांचवें चरण के तहत सोमवार को वोट डाले गए.  इस सीट पर इस बार बेहद दिलचस्प मुकाबला है. सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों के बीच 6 मई को संपन्न हुए मतदान में नागौर सीट पर 62.17 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई. इस सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल बीजेपी का समर्थन लेकर कांग्रेस की ज्योति मिर्धा को टक्कर दे रहे हैं. अब 23 मई को चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे.

बीजेपी ने रालोपा के साथ गठबंधन कर यह सीट उनके लिए छोड़ दी है.  ज्योति मिर्धा पूर्व केंद्रीय मंत्री नाथूराम मिर्धा की पोती हैं. इस सीट पर इस बार कुल 13 कैंडिडेट मैदान में हैं. यहां से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, राष्ट्रीय पावर पार्टी के उम्मीदवार मैदान में हैं. इस सीट से 10 निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

राजस्थान में मारवाड़ की राजनीति में आजादी के पहले से ही मिर्धा परिवार का वर्चस्व रहा है. सबसे बलदेवराम मिर्धा ने किसानों के हितों की रक्षा के लिए मारवाड़ किसान सभा स्थापना की. लेकिन देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू से मध्यस्तता के बाद किसान सभा का कांग्रेस में विलय हो गया. इसके बाद बलदेव राम मिर्धा के बेटे रामनिवास मिर्धा और उनके ही परिवार के नाथूराम मिर्धा का यहां की राजनीति में लगभग 6 दशक तक प्रभुत्व रहा. लेकिन धीरे-धीरे मिर्धा परिवार का असर कम होने लगा. लिहाजा अब नई पीढ़ी अपनी इस राजनीतिक विरासत तो बचाने के लिए संघर्ष करती नजर आ रही है. पिछले कुछ समय से दो प्रमुख दल कांग्रेस और बीजेपी के बीच एक नए खिलाड़ी के तौर पर हनुमान बेनीवाल उभरे हैं जो जाट युवाओं को साथ लेकर इस दोनों दलों से अलग लकीर खीचना चाहते हैं.  

आजादी के बाद 1952 से 2014 तक नागौर लोकसभा सीट पर हुए कुल 16 आम चुनाव और 2 उप चुनाव में सबसे अधिक 11 बार कांग्रेस को ही जीत मिली. 1952 में निर्दलीय उम्मीदवार जीडी सोमानी जीते. 1957 में कांग्रेस के मथुरा दास, 1960 के उपचुनाव में कांग्रेस के एनके सोमानी और 1962 में कांग्रेस के ही सुरेंद्र कुमार डे यहां से सांसद चुने गए. लेकिन 1967 में कांग्रेस के एनके सोमानी स्वतंत्री पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत. इसके बाद 1971 से 1997 तक लगातार इस सीट पर मिर्धा परिवार का कब्जा रहा. 1971 में नाथूराम मिर्धा यहां के सांसद चुने गए. तो वहीं 1977 की जनता लहर में नाथूराम मिर्धा यह सीट बचाने में कामयाब रहें. 1980 में नाथूराम मिर्धा कांग्रेस (यू) के टिकट पर यहां के सांसद बने.

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1984 में इस सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला जब मिर्धा परिवार के दो कद्दावर नेता रामनिवास मिर्धा और नाथूराम मिर्धा एक दूसरे के खिलाफ खड़े हो गए. इस चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर रामनिवास मिर्धा ने भारतीय लोकदल से उम्मीदवार नाथूराम मिर्धा को शिकस्त दी. लेकिन 1989 के चुनाव में नाथूराम मिर्धा ने जनता दल से चुनाव लड़ते हुए रामनिवास मिर्धा को हरा दिया. इसके 1991 और 1996 के लोकसभा चुनाव में काग्रेस के टिकट पर नाथूराम मिर्धा का इस सीट पर कब्जा रहा. लेकिन नाथूराम मिर्धा के निधन के बाद 1997 के उपचुनाव में बीजेपी के टिकट पर उनके बेटे भानुप्रकाश मिर्धा ने कांग्रेस के रामनिवास मिर्धा को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया. यह पहला मौका था जब बीजेपी ने इस सीट पर जीत का स्वाद चखा, लेकिन पार्टी को सहारा मिर्धा परिवार का ही लेना पड़ा.

अब तक मिर्धा परिवार के इर्द गिर्द घूमने वाली नागौर की राजनीति में रामरघुनाथ चौधरी एंट्री हुई. माना जाता है कि मिर्धा परिवार की आपसी फूट की वजह से रामरघुनाथ चौधरी यहां की सियासत में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहें. 1998 और 1999 में कांग्रेस के टिकट पर रामरघुनाथ चौधरी लगातार दो बार यहां के सांसद चुने गए. लेकिन चौधरी साल 2004 में बीजेपी के भंवर सिंह डंगावास से चुनाव हार गए. इसके बाद साल 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट नाथूराम मिर्धा की पोती ज्योति मिर्धा यहां से सांसद चुनी गईं. लेकिन 2014 की मोदी लहर में ज्योति मिर्धा यह सीट बचाने में नाकामयाब रहीं और बीजेपी के सीआर चौधरी नागौर के सांसद चुने गए.

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2014 का जनादेश

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में नागौर संसदीय सीट पर 59.8 फीसदी मतदान हुआ था. जिसमें से बीजेपी को 41.3 फीसदी और कांग्रेस को 33.8 फीसदी वोट मिले. जबकि 15.9 फीसदी वोट के साथ निर्दलीय हनुमान बेनिवाल तीसरे नंबर रहें. इस चुनाव में बीजेपी के सीआर चौधरी ने कांग्रेस सांसद ज्योति मिर्धा को 75,218 मतो से पराजित किया. सीआर चौधरी को 4,14,791 और ज्योति मिर्धा को 3,39,573 वोट मिले. वहीं हनुमान बेनीवाल 1,59,980 वोट पाने में कामयाब रहें.

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