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झारग्राम सीट पर 85.39% मतदान, चुनाव मैदान में हैं 9 उम्मीदवार

पश्चिम बंगाल की झारग्राम लोकसभा सीट पर 2019 के चुनाव में 9 कैंडिडेट चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी, कांग्रेस, टीएमसी और सीपीएम के अलावा बीएसपी, झारखंड पार्टी, अखिल भारतीय झारखंड पार्टी के उम्मीदवार इस सीट पर चुनावी रण में हैं.

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मतदान के लिए कतार में लगे लोग (फाइल फोटो-पीटीआई)
मतदान के लिए कतार में लगे लोग (फाइल फोटो-पीटीआई)

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पश्चिम बंगाल की झारग्राम लोकसभा सीट पर छठे चरण में रविवार (12 मई) को मतदान संपन्न हो गया. संवेदनशील इलाका होने की वजह से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए. 2019 के चुनाव में इस सीट पर 9 कैंडिडेट चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी, कांग्रेस, टीएमसी और सीपीएम के अलावे बीएसपी, झारखंड पार्टी, अखिल भारतीय झारखंड पार्टी के उम्मीदवार इस सीट पर चुनावी जंग में हैं. चुनाव आयोग के वोटर टर्नआउट एप के मुताबकि यहां 85.39 फीसदी मतदान दर्ज किया गया.

TMC कार्यकर्ता की हत्या

लोकसभा चुनाव के छठे चरण में बंगाल में वोटिंग होने के साथ हिंसा की भी खबर है. झारग्राम में बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या की गई है, तो वहीं मरधारा के कांठी में टीएमसी कार्यकर्ता को मारा गया है. टीएमसी के सुधाकर मैती रविवार रात से ही गायब थे, लेकिन बाद में उनका शव मिला. बताया जा रहा है कि देर रात को वह किसी रिश्तेदार से मिलने जा रहे थे लेकिन वापस ही नहीं लौटे.

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यहां पढ़ें लोकसभा चुनाव के छठे चरण से जुड़ी हर बड़ी अपडेट

झारग्राम संसदीय क्षेत्र पश्चिम मेदिनीपुर और पुरुलिया जिले में स्थित है. यह संसदीय सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस सीट का गठन परसीमन आयोग की सिफारिश पर 1962 में किया गया था. चुनाव आयोग की सिफारिश पर 2009 में इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया. आर्थिक रूप से देखा जाए तो इस इलाके को लोगों को जीवन कृषि पर आधारित है. यह इलाका पश्चिम बंगाल के पिछड़े जिलों के तहत आता है. नेशनल हाइवे झारग्राम को कई इलाकों से जोड़ता है.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

1962 में झारग्राम संसदीय सीट का गठन हुआ. इस सीट पर पहली सफलता कांग्रेस को मिली, इसके बाद एक क्षेत्रीय दल का सदस्य विजयी हुआ. इसके बाद सीपीएम ने इस पर कब्जा कर लिया और 2009 तक इस सीट पर काबिज रही. पहले जो लड़ाई कांग्रेस से होती थी वह अब ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के साथ होने लगी. 1962 के चुनाव में कांग्रेस के सुबोध हंसदा चुनाव जीते. 1967 में बीएसी के एके किस्कू को विजय मिली.

1971 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अमिय कुमार किस्कू को सफलता मिली. 1977 के चुनाव में जरूरत सीपीएम के जादूनाथ किस्कू ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली. 1980 में सीपीएम के हसदा मतिलाल सांसद बने. 1984 और 1989 में भी सीपीएम के मतिलाल हसदा चुनाव जीते. 1991,1996,1998,1999 में सीपीएं के रूपचंद मुर्मू यहां से चुनाव जीतते रहे. 2004 में सीपीएम के डी पुलिन बिहारी सांसद चुने गए.

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2014 का जनादेश

2009 तक आते-आते ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस मजबूत हो चुकी थी. लेकिन 2009 के चुनाव में भी झारग्राम संसदीय सीट पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी. 2014 में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की डॉक्टर उमा सरीन ने सीपीएम के डॉक्टर पुलिन बिहारी को हरा दिया. उमा सरीन को 674504 वोट मिले तो पुलिन बिहारी को 326621.

2014 के चुनाव में यहां पर 85.26% फीसदी वोटिंग हुई थी. जबकि 2009 में 77.19 फीसदी. 2014 के चुनाव में AITC को 53.63 फीसदी, सीपीएम को 25.97 फीसदी, बीजेपी को 9.74 फीसदी और कांग्रेस को 3.22 फीसदी वोट मिले थे.

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