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पुरुलिया सीट पर 82.28% वोटिंग, मैदान में हैं 15 प्रत्याशी, 23 को आएंगे नतीजे

पश्चिम बंगाल की पुरुलिया लोकसभा सीट से 2019 के चुनाव में 15 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी ने इस सीट पर ज्योतिर्मय सिंह महतो को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस की ओर इस सीट पर नेपाल महता मैदान में हैं. ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी से मृगांक महतो चुनावी रण में हैं.

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मतदान के लिए कतार में लगे मतदाता (फाइल फोटो)
मतदान के लिए कतार में लगे मतदाता (फाइल फोटो)

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पश्चिम बंगाल की पुरुलिया लोकसभा सीट पर 2019 चुनाव के छठे चरण के तहत रविवार (12 मई) को मतदान सपंन्न हो गया. पुरुलिया लोकसभा सीट से इस बार 15 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी ने इस सीट पर ज्योतिर्मय सिंह महतो को टिकट दिया है. जबकि कांग्रेस की ओर इस सीट पर नेपाल महता मैदान में हैं. ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने इस सीट से मृगांक महतो को टिकट दिया है. इस सीट से ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, शिवसेना, झारखंड मुक्ति मोर्चा बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार मैदान में हैं. निर्वाचन आयोग के वोटर टर्नआउट एप के मुताबिक इस सीट पर 82.28% फीसदी मतदान दर्ज किया गया.

यहां पढ़ें लोकसभा चुनाव के छठे चरण से जुड़ी हर बड़ी अपडेट

पुरुलिया लोकसभा क्षेत्र पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में है. 1995 में यहां आसमान से हथियारों की बारिश हुई थी. पुरुलिया शहर कासल नदी के उत्तरी छोर पर बसा हुआ है. यह अपने लैंडस्केप के लिए जाना जाता है. पुरुलिया जिले का मुख्यालय पुरुलिया ही है. यहां की साक्षरता दर 65% है.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

इस सीट का मिजाज अलग रहा. यहां कांग्रेस और सीपीएम की लड़ाई नहीं रही बल्कि सीपीएम से अलग हुए धड़े ही यहां से लड़ते रहे. यहां से कांग्रेस को तो एकबार जीत मिल गई लेकिन सीपीएम को कभी नहीं मिली. यहां से फॉरवर्ड ब्लॉक और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक विजयी होते रहे. अब यह सीट तृणमूल कांग्रेस के पास है. 1957 में पुरुलिया से आईएनडी के विभूति भूषण दास गुप्ता सांसद चुने गए उन्होंने कांग्रेस के महतो नागेंद्र नाथ सिंह देव को हराया. 1962 में लोकसेवक संघ (LSS) के भजाहारी महतो सांसद चुने गए. 1967 में आएनडी के बी महतो सांसद चुने गए. 1971 में पहली बार यहां से कांग्रेस को यहां सफलता मिली और देबेंद्र नाथ महतो यहां से सांसद चुने गए.

1977 में एफबीएल के चितरंजन महता को सफलता मिली. चितरंजन 1980, 1984 और 1989 तक पुरूलिया से लगातार सांसद चुने जाते रहे. 1991 में यहां पर उप चुनाव हुआ जिसमें फॉरवर्ड ब्लॉक (एफबीएल ) के बी महतो सांसद चुने गए. लेकिन 1991 में ही फॉरवर्ड ब्लॉक के चितरंजन मेहता को फिर से जीत मिल गई. 1996, 1998, 1999 में फॉरवर्ड ब्लॉक के बीर सिंह महतो यहां से सांसद चुने जाते रहे. इसके बाद फॉरवर्ड ब्लॉक में विभाजन हो गया और 2004 में बीर सिंह महतो ने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (AIFB) से ताल ठोंकी और सांसद चुन लिए गए. 2006 के उप चुनाव में ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के नरहरि महतो विजयी हुए. 2009 में AIFB के नरहिर महतो ही सांसद चुने गए. 2014 में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस ने यह सीट कम्युनिस्टों से छीन ली और AITC के डॉक्टर मृगांका महतो यहां से सांसद चुने गए.

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कैसा रहा 2014 का चुनाव

पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्टों के कई धड़े थे. इन्हीं में से एक फॉरवर्ड ब्लॉक और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक थी. 2014 के चुनाव में यहां से ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के डॉक्टर मृगांका महतो को विजय मिली. मृगांका ने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के नरहरि महतो को हराया. मृगांका महतो को 4,68,277 वोट मिले. वहीं नरहरि महतो को 3,14,400 वोट मिले.

2014 के लोकसभा चुनाव में यहां 81.98 फीसदी वोटिंग हुई थी वहीं 2009 के लोकसभा चुनाव में 71.91 फीसदी. 2014 के चुनाव में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस को 38.87 फीसदी, सीपीएम को 21.41 फीसदी और बीजेपी को 7.16 फीसदी वोट मिले थे. जबकि 2009  के चुनाव में सीपीएम को 42 फीसदी वोट मिले थे और सीपीएम का सांसद चुना गया था. 

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