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श्रावस्ती लोकसभा सीट: 54 फीसदी वो‍टिंग, 11 उम्मीदवारों की किस्मत EVM में कैद

उत्तर प्रदेश की श्रावस्ती लोकसभा सीट से बीजेपी ने मौजूदा सांसद दद्दन मिश्रा पर फ‍िर दांव लगाया है. दद्दन के सामने सपा-बसपा गठबंधन की तरफ से बसपा के राम श‍िरोमण‍ि चुनावी मैदान पर हैं. कांग्रेस ने धीरेंद्र प्रताप स‍िंह को मैदान में उतारा है.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

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लोकसभा चुनाव 2019 के छठे चरण के तहत उत्तर प्रदेश की श्रावस्ती लोकसभा सीट पर रविवार (12 मई) को वोट डाले गए. छठे चरण में प्रदेश की 80 सीटों में से 14 संसदीय सीटों पर औसतन 54.74 फीसदी मतदान हुआ जबकि श्रावस्ती लोकसभा सीट पर 54.34 फीसदी वोट पड़े. हालांकि 2014 के चुनाव की तुलना में इस बार वोटिंग में कमी आई, पिछले चुनाव में यहां पर 54.79 फीसदी मतदान हुआ था.

2014 के चुनाव के आधार पर देखा जाए तो इन 14 सीटों में से एनडीए ने 13 और समाजवादी पार्टी (सपा) ने 1 सीट जीती थी. हालांकि इसमें फूलपुर लोकसभा सीट पर पिछले साल हुए उपचुनाव में सपा ने बीजेपी से यह सीट छीनते हुए अपने नाम कर लिया था.

श्रावस्ती सीट पर सुबह 9 बजे तक 9.20 फीसदी, दोपहर 1 बजे तक 33.56 फीसदी, 3 बजे तक 41.93 फीसदी और शाम 6 बजे तक 48.62 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई. दूसरी ओर, इन 14 लोकसभा सीटों पर सुबह 9 बजे तक औसत मतदान 9.28 प्रतिशत, 11 बजे तक 21.56 प्रतिशत, दोपहर 1 बजे तक 34.30% और 3 बजे तक 43% और शाम 6 बजे तक 50.82 फीसदी दर्ज किया गया.

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इस बार उत्तर प्रदेश की श्रावस्ती लोकसभा सीट से 11  उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. बीजेपी ने मौजूदा सांसद दद्दन मिश्रा पर फ‍िर दांव लगाया है. दद्दन के सामने सपा-बसपा गठबंधन की तरफ से बसपा के राम श‍िरोमण‍ि चुनावी मैदान पर हैं. कांग्रेस ने धीरेंद्र प्रताप स‍िंह को मैदान में उतारा है. इसके अलावा क‍िसान मजदूर संघर्ष पार्टी, ह‍िंदुस्तान न‍िर्माण दल, सीपीआई, श‍िवसेना के साथ तीन निर्दलीय चुनाव मैदान पर हैं.

Lok Sabha Election 2019 Live Update छठे चरण में 59 सीटों पर वोटिंग शुरू

श्रावस्ती संसदीय सीट उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा सीटों में से एक है और इसकी सीट संख्या 58 है. यह संसदीय सीट का अस्तित्व 2008 में आई जब परिसीमन आयोग ने इसकी सिफारिश की. हिमालय की तलहटी में बसा श्रावस्ती जिला नेपाल सीमा के करीब है. इस शहर की पहचान बौद्ध स्थल के रूप में है और यहां पर दुनियाभर के बौद्ध श्रद्धालु आते हैं. इस जिले का गठन सबसे पहले 1997 में 22 मई को किया गया, लेकिन 13 जनवरी 2004 की ओर से इस जिले का अस्तित्व खत्म कर दिया. बाद में 4 महीने बाद जून में इसे फिर से जिले के रूप में बहाल कर दिया गया.

इस सीट का प्रोफाइल जानने के ल‍िए क्ल‍िक करें- श्रावस्तीः सपा-बसपा गठबंधन के बाद मुश्किल में BJP,सीट बचाना चुनौतीपूर्ण    

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प्राचीन काल में श्रावस्ती कोशल महाजनपद का एक प्रमुख नगर हुआ करता था. महात्मा बुद्ध के जीवनकाल में यह कोशल देश की राजधानी थी. बुद्धकालीन भारत के समय इसकी गिनती 16 महाजनपदों में हुआ करती थी. बौद्ध मान्यता के अनुसार अवत्थ श्रावस्ती नाम के एक ऋषि यहां रहते थे, जिनके नाम पर इस नगर का नाम श्रावस्ती पड़ा. महाभारत के अनुसार श्रावस्ती नाम श्रावस्त नाम के एक राजा के नाम पर रखा गया.

महाकाव्यों और पुराणों के अनुसार श्रावस्ती राम के पुत्र लव की राजधानी हुआ करती थी. आधुनिक काल में ब्रिटिश राज के दौरान जनरल कनिंघम ने इस स्थल की खुदाई कर इसकी प्राचीन महत्ता को दुनिया के सामने पेश किया. कुशीनगर की तरह यहां भी कई देशों ने बौद्ध मंदिरों का निर्माण कराया है.

सामाजिक ताना-बाना

2011 की जनगणना के आधार पर श्रावस्ती जिले की आबादी 11.2 लाख है जिसमें 5.9 लाख (53%) पुरुष और 5.2 लाख (47%) महिलाएं हैं. इसमें 83% आबादी सामान्य वर्ग के लोगों की है जबकि 17% अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं.

धर्म के आधार पर देखा जाए तो यहां पर 68.87% आबादी हिंदुओं की और 31% मुस्लिम समाज की है. 2011 जनगणना के मुताबिक जिले में प्रति हजार पुरुषों में 881 महिलाएं हैं. जबकि साक्षरता दर 47% है जिसमें 57% पुरुष और 35% महिलाएं साक्षर हैं.

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श्रावस्ती लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभा सीट (भींगा, श्रावस्ती, तुलसीपुर, ज्ञानसारी और बलरामपुर) आती है जिसमें 4 पर बीजेपी और एक पर बसपा का कब्जा है. भींगा विधानसभा सीट से बसपा के मोहम्मद असलम का कब्जा है जिन्होंने 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के एके सिंह को 6,090 मतों के अंतर से हराया था. श्रावस्ती विधानसभा सीट पर बीजेपी के राम फेरन का कब्जा है जिन्होंने पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी के मोहम्मद रिजवान को बेहद कड़े मुकाबले में 445 मतों के अंतर से हराया था.

धार्मिक नगरी तुलसीपुर विधानसभा सीट पर भी बीजेपी के नाम है जिन्होंने 2 साल पहले हुए चुनाव में कैलाश नाथ शुक्ला ने कांग्रेस के जेबा रिजवान को 18,659 मतों से हराया था. बलरामपुर जिले में पड़ने वाले ज्ञानसारी क्षेत्र श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है और इस विधानसभा पर बीजेपी के शैलेष कुमार सिंह विधायक है जिन्होंने बसपा उम्मीदवार अलाउद्दीन को 2,303 मतों के अंतर से हराया था. वहीं अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बलरामपुर विधानसभा सीट पर भी बीजेपी की पकड़ है और यहां से पलटुराम ने कांग्रेस के शिवलाल को 24,860 मतों से हराया था.

2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दद्दन मिश्रा ने चुनाव में जीत हासिल की थी. उस चुनाव में यहां पर कुल 17,88,080 मतदाता थे, जिसमें 9,76,415 पुरुष और 8,11,665 महिला मतदाताएं थीं. 9,79,638 (54.8%) लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जिसमें 14,587 (0.8%) मतदाताओं ने नोटा के पक्ष में वोट दिया.

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श्रावस्ती लोकसभा चुनाव में कुल 14 प्रत्याशी मैदान में थे लेकिन मुख्य मुकाबला दद्दन मिश्रा और समाजवादी पार्टी के अतीक अहमद के बीच रहा. दद्दन को कुल मतों का 35.3% (345,964) वोट मिले, जबकि अतीक अहमद के खाते में 260,051 (26.5%) वोट आए और इस आधार पर दद्दन ने 85,913 (8.8%) मतों के अंतर से जीत हासिल कर ली.

बहुजन समाज पार्टी के लालजी वर्मा तीसरे स्थान पर रहे जिनको 194,890 (19.9%) वोट मिले. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की तुलना में पीस पार्टी को ज्यादा वोट मिले और वह चौथे स्थान पर रही. आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार रत्नेश (2,578 वोट) सबसे नीचे रहे. तीसरे स्थान पर रहने वाले लालजी वर्मा प्रदेश की राजनीति में बड़ा नाम हैं और वह कई सरकारों में मंत्री रहे हैं.

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