झारखंड की सिंहभूम लोकसभा सीट पर मतदान खत्म हो गया है. इस सीट पर कुल 9 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं. चुनाव आयोग ने शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए थे. पोलिंग बूथ से लेकर पूरे इलाके में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी. वहीं, मतदान को लेकर वोटरों में अच्छा खासा उत्साह देखने को मिला. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस सीट पर 67.79 प्रतिशत मतदान हुआ है. 2014 में इस सीट पर 66.70 प्रतिशत मतदान हुआ था.
अपडेट्स
झारखंड लोकसभा सीट पर 59.96 प्रतिशत मतदान हुआ है.
सिंहभूम लोकसभा सीट पर दोपहर एक बजे तक 46.35 प्रतिशत मतदान हुआ है.
झारखंड की सिहंभूम लोकसभा सीट पर भारी मतदान की खबर है. यहां पर पर दोपहर 12 बजे तक 33.34 प्रतिशत मतदाता वोट डाल चुके हैं.
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सिंहभूम लोकसभा सीट से इस बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मौजूदा सांसद लक्ष्मण गिलुवा को फिर से चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने गीता कोड़ा पर एक बार फिर से दांव चला है. इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी के टिकट से परदेशी लाल मुंडा, झारखंड मुक्ति मोर्चा (उलगुलान) के टिकट से कृष्णा मर्दी, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) के टिकट से चंद्र मोहन हेमब्रोम और अंबेडकराइट पार्टी ऑफ इंडिया से प्रताप सिंह बनारा चुनाव लड़ रहे हैं.
इससे पहले साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी के लक्ष्मण गिलुवा दूसरी बार सांसद बने. उन्होंने जेबीएसपी की गीता कोड़ा को चुनाव हराया था. लक्ष्मण गिलुवा को करीब 3.03 लाख और गीता कोड़ा को करीब 2.15 लाख वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर कांग्रेस के चित्रसेन सिंकू रहे. उनको करीब 1.11 लाख वोट मिले थे. वहीं, 35 हजार वोटों के साथ चौथे नंबर पर झामुमो के दशरथ गगरई रहे.
झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में सिंहभूम लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. यह सीट सेराकेला खरसावां और पश्चिमी सिंहभूम जिले में फैली हुई है. यह इलाका रेड कॉरिडोर का हिस्सा है. इस इलाके में अनुसूचित जनजाति के वोटरों का दबादबा है. यही कारण है कि लोकसभा सीट के अन्तर्गत आने वाली सभी छह विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं.
शुरुआत में यह सीट झारखंड पार्टी का गढ़ थी, लेकिन समय के साथ यहां कांग्रेस ने पांव पसारा और उसके प्रत्याशी कई बार जीते. इस सीट से झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीत चुके हैं. फिलहाल इस सीट से बीजेपी के लक्ष्मण गिलुवा सांसद हैं. लक्ष्मण गिलुवा ही झारखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
साल 1957 से लेकर 1977 तक इस सीट पर झारखंड पार्टी का दबदबा रहा और इसके प्रत्याशी जीतते रहे. साल 1957 में शंभू चरण, 1962 में हरी चरण शॉ, 1967 में कोलई बिरुआ, 1971 में मोरन सिंह पुर्ती और 1977 में बगुन संब्रुई ने चुनाव जीते. इसके बाद साल 1980 में बगुन संब्रुई ने कांग्रेस का दामन थाम लिया और उसके टिकट पर जीतकर संसद पहुंचे. इसके बाद वो साल 1984 और 1989 के चुनाव भी जीते यानी बगुन संब्रुई इस सीट से लगातार चार बार सांसद चुने गए.
इसके बाद साल 1991 में यहां से झारखंड मुक्ति मोर्चा की कृष्णा मरांडी जीतीं. साल 1996 में पहली बार इस सीट पर बीजेपी का खाता खुला. बीजेपी के टिकट पर चित्रसेन सिंकू जीते. 1998 में कांग्रेस ने वापसी की और विजय सिंह शॉ जीते. 1999 में बीजेपी के टिकट पर लक्ष्मण गिलुवा जीतने में कामयाब हुए. एक बार फिर इस सीट से बगुन संब्रुई सांसद बने. 2004 में वह कांग्रेस के टिकट पर पांचवीं बार संसद पहुंचे. 2009 में इस सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मधु कोड़ा जीते. 2014 के चुनाव में बीजेपी के लक्ष्ण गिलुवा जीते.
सामाजिक तानाबाना
सिंहभूम लोकसभा सीट पर अनुसूचित जनजाति का खास दबदबा है. इस सीट पर उरांव, संथाल समुदाय, महतो (कुड़मी), प्रधान, गोप, गौड़ समेत कई अनुसूचित जनजाति और इसाई व मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं. 2014 के चुनाव में बीजेपी अनुसूचित जनजातियों की गोलबंदी के कारण जीती थी. इस सीट के अंतर्गत सरायकेला, चाईबासा, मंझगांव, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर और चक्रधरपुर विधानसभा सीट आते हैं. यह सभी सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है.
2014 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 5 सीटों (सरायकेला, चाईबासा, मंझगांव, मनोहरपुर, चक्रधरपुर) और निर्दलीय प्रत्याशी ने एक सीट (जगन्नाथपुर) पर जीत दर्ज की थी. इस सीट पर मतदाताओं की संख्या 11.52 लाख है, इसमें 5.83 लाख पुरुष और 5.69 लाख महिला मतदाता शामिल है. 2014 में इस सीट पर 69 फीसदी मतदान हुआ था.
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