कोलकाता दक्षिण लोकसभा सीट पर आखिरी चरण में रविवार (19 मई) को वोट डाले गए. इस लोकसभा सीट से सुभाष चंद्रबोस के परपोते चंद्रबोस बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. पश्चिम बंगाल में मचे सियासी घमासान के बीच इस कोलकता दक्षिण सीट पर कब्जे की जंग बेहद रोमांचक है. 2014 में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी का इस सीट पर कब्जा था. इस कब्जे को बरकरार रखने के लिए ममता पूरा जोर लगा रही है. टीएमसी ने इस सीट से इस बार सीटिंग एमपी का टिकट काट दिया है और माला रॉय को अपना उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने यहां से मीता चक्रबर्ती को टिकट दिया है, जबकि नंदिनी मुखर्जी इस सीट से सीपीएम की उम्मीदवार हैं. यहां से निर्दलीय समेत 13 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं.
UPDATES...
- 17वें लोकसभा के लिए कराए गए चुनाव के सातवें और अंतिम चरण के तहत बंगाल की 9 संसदीय सीटों पर रविवार को मतदान हुआ. कोलकाता दक्षिण संसदीय सीट पर कुल 69.04% मतदान हुआ, जबकि इस दौरान पूरे राज्य में ओवरऑल 78 फीसदी मत पड़े.
- लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण के तहत बंगाल की 9 संसदीय सीटों पर आज रविवार को मतदान कराया गया. कोलकाता दक्षिण संसदीय सीट पर शाम 5 बजे तक 67.09% मतदान हुआ, जबकि इस दौरान पूरे राज्य में ओवरऑल 73.05 फीसदी मत पड़े. हालांकि यह अंतिम रिपोर्ट नहीं है और इसमें बदलाव संभव है.
-कोलकाता दक्षिण सीट पर 3 बजे तक 58.66% वोटिंग
-पश्चिम बंगाल में दोपहर 3 बजे तक 63.66 फीसदी मतदान
-कोलकाता दक्षिण सीट पर 1 बजे तक 33.73% वोटिंग
-पश्चिम बंगाल में दोपहर 1 बजे तक 46.69 फीसदी मतदान
-पश्चिम बंगाल में सुबह 11 बजे तक 26.07 फीसदी मतदान
-कोलकाता दक्षिण सीट पर 9 बजे तक 11.92% वोटिंग
-पश्चिम बंगाल में सुबह 9 बजे तक 14.22 फीसदी मतदान
-ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने डाला वोट
West Bengal: CM Mamata Banerjee's nephew & TMC leader, Abhishek Banerjee casts his vote at polling booth no. 208 in South Kolkata Parliamentary Constituency. pic.twitter.com/PLmTu7HpHH
— ANI (@ANI) May 19, 2019
-बीजेपी प्रत्याशी चंद्रबोस ने डाला वोट
West Bengal: BJP Lok Sabha candidate from South Kolkata parliamentary constituency, CK Bose casts his vote at a polling booth in City College, in Kolkata pic.twitter.com/MZAKmrrUvm
— ANI (@ANI) May 19, 2019
-कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह 7 बजे मतदान शुरू
पश्चिम बंगाल में ताजा राजनीतिक हिंसा को देखते हुए यहां सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं. ज्यादातार पोलिंग बूथों पर केंद्रीय बलों की तैनाती की गई है. मतदान को लेकर यहां के लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है और बड़ी संख्या में वोट डालने लोग मतदान केंद्रों की ओर उमड़ रहे हैं.
यहां पढ़ें 7वें चरण के मतदान से जुड़ी हर बड़ी अपडेट
2014 का जनादेश
2014 के चुनाव में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के सुब्रत बख्शी यहां से सांसद चुने गए लेकिन बीजेपी के तथागत रॉय ने उन्हें कड़ी टक्कर दी. पश्चिम बंगाल में अधिकांश जगहों पर तृणमूल कांग्रेस का मुकाबला सीपीएम से हुआ लेकिन कोलकाता दक्षिण में लड़ाई बीजेपी से थी. ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस को 431715 वोट जबकि बीजेपी के तथागत रॉय को 295376 वोट मिले. अगर वोट प्रतिशत की बात करें तो AITC को 57.19 पर्सेंट, बीजेपी को 35.39 और सीपीएम को 3.95 पर्सेंट वोट मिले. जबकि 2009 में AITC को 36.96 पर्सेंट, सीपीएम को 23.84 पर्सेंट और बीजेपी को 9.71 पर्सेंट वोट मिले थे.
कोलकाता दक्षिण सीट का इतिहास
कोलकाता दक्षिण पश्चिम बंगाल की एक पुरानी लोकसभा सीट है जिसका गठन 1951 में ही हो गया था. कोलकाता पश्चिम बंगाल की राजधानी भी है. यह बहुत पुराना शहर है. अंग्रेजों ने पहले यहीं से अपना कारोबार आगे बढ़ाया था. कोलकाता में देश का सबसे पुराना पोर्ट है. 1905 से पहले कोलकाता ही भारत की राजधानी थी लेकिन लॉर्ड कर्जन ने राजधानी कोलकाता से दिल्ली कर दी. कोलकाता को पहले कलकत्ता कहा जाता था. यहां पर सबसे पुराना बंदरगाह है. ऐसा कहा जाता है कि कोलकाता में एशिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है. कोलकाता को सिटी ऑफ जॉय के नाम से भी जाना जाता है. देश का सबसे पुराना कोलकाता विश्वविद्यालय की पूरे देश में पहचान है. कोलकाता दक्षिण शहरी सीट मानी जाती है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
ऐसा कहा जा सकता है कि यह सीट जमाने के साथ चलती रही. पहले जब सीपीएम मजबूत थी तो वह यहां से जीतती रही. कांग्रेस मजबूत हुई तो उसे यहां से सफलता मिली इसके बाद ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस ने इस पर कब्जा कर लिया. 1967 में यहां से सीपीएम के जी घोष जीते थे. उन्होंने कांग्रेस के बी. बी. घोष को हराया था. 1971 के चुनाव में बाजी पलट गई और इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रिय रंजन दासमुंशी ने सीपीएम के जी घोष को पराजित कर दिया. हालांकि 1977 में बीएलडी के दिलीप चक्रवर्ती यहां से चुनाव जीते.1980 के चुनाव में सीपीएम के सत्य साधन चक्रवर्ती को विजय मिली.
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जब पूरे देश में कांग्रेस के प्रति सहानुभूति की लहर चल रही थी तो यह सीट भी उससे अछूती नहीं रही. 1984 में चुनाव में यहां से कांग्रेस के भोलानाथ सेन जीते. 1989 में बाजी पलट गई और सीपीएम के बिप्लब दास गुप्ता ने यहां से जीत दर्ज की. कांग्रेस में अपनी मजबूत पकड़ बना रही ममता बनर्जी ने इसी सीट को अपना कर्मक्षेत्र बनाया. 1984 के चुनाव में सीपीएम के कद्दावर नेता सोमनाथ चटर्जी को हराकर लाइम लाइट में आ चुकी थीं.
1991 में ममता ने सीपीएम के दूसरे कद्दावर नेता बिप्लब दास गुप्ता को पराजित कर दिया. 1996 में भी ममता बनर्जी कांग्रेस से यहां की सांसद चुनी गईं. 1998 में ममता ने डब्ल्यूबीटीसी के बैनर पर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. 1999 के पहले ही ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस अस्तित्व में आ चुकी थी और ममता बनर्जी ने फिर यहां से जीत दर्ज की. 2004 में ममता ने अपनी जीत कायम रखी. 2009 में ममता ने यहां से AITC से सुब्रत बख्शी को टिकट देकर सांसद बनाया. 2011 में एक बार फिर ममता बनर्जी यहां से सांसद चुनी गईं. पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने यह सीट छोड़ दी और यहां से फिर तृणमूल कांग्रेस के सुब्रत बख्शी 2014 में सांसद चुने गए.
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