गुजरात की बनासकांठा लोकसभा सीट सामान्य श्रेणी के लिए है. 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. बनासकांठा गुजरात के 33 जिलों में से एक है और यह इलाका देशभर में मार्बल, ग्रेनाइट के लिए मशहूर है. बनासकांठा लोकसभा क्षेत्र की आबादी उद्योगों के अलावा खेती पर भी आश्रित है. खनिज उत्पादन होने के बावजूद बनासकांठा क्षेत्र को गुजरात के सबसे पिछड़े इलाकों में शुमार किया गया है. 2017 में आई बाढ़ ने यहां की अर्थव्यवस्था को और भी नुकसान पहुंचाया. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान यह इलाका बाढ़ और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की गाड़ी पर पथराव के लिए चर्चित रहा.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
2014 के लोकसभा चुनाव में बनासकांठा लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के हरिभाई पारथीभाई चौधरी ने बाजी मारी. उन्होंने कांग्रेस के ज्योतिभाई कासनाभाई पटेल को हराया था. इससे पहले 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के मुकेशकुमार गढ़वी ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 2013 की शुरुआत में उनका देहांत होने से यहां उपचुनाव कराए गए, जिसमें बीजेपी के हरिभाई चौधरी जीते. इसके बाद हरिभाई चौधरी ने दूसरी बार यानी अगले ही साल 2014 के आम चुनाव में फिर से यहां जीत दर्ज की. ठीस इसी तरह हरिभाई चौधरी ने 1998 और 1999 में लगातार हुए लोकसभा चुनाव में बाजी मारी थी. इन दोनों चुनाव में उन्होंने कांग्रेस बीके गढ़वी को हराया था.
सामाजिक ताना-बाना
2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां की आबादी 24,22,063 है. इसमें 84.73% ग्रामीण और 15.27% आबादी शहरी है. अनुसूचित जाति की संख्या 10.33 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति 11.21 प्रतिशत है. 2018 की वोटर लिस्ट के अनुसार, यहां 16,51,666 मतदाता हैं.
कांग्रेस के लिए इस इलाके से एक झटका देने वाली खबर ये है कि गुजरात के बड़े राजपूत नेता शंकर सिंह वाघेला के बेटे महेंद्र सिंह वाघेला ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है. महेंद्र सिंह बनासकांठा की बायड सीट से विधायक भी रह चुके हैं और उनकी इलाके में अच्छी पकड़ मानी जाती है.
बनासकांठा लोकसभा क्षेत्र के अंतरग्त सात विधानसभा सीट आती हैं. इनमें वाव, थराद, धानेरा, दांता, पालनपुर, डीसा और दियोदर हैं. वाव, धानेरा, दांता, पालनपुर और दियोदर सीट पर 2017 चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी. जबकि थराद और डीसा सीट पर बीजेपी ने बाजी मारी थी. यानी इस लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली सीटों पर 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी से अच्छा प्रदर्शन किया था.
2014 लोकसभा चुनाव का जनादेश
हरिभाई चौधरी, बीजेपी- 507,856 वोट (57.3%)
ज्योतिभाई कासनाभाई पटेल, कांग्रेस- 305,522 (34.5%)
2014 चुनाव का वोटिंग पैटर्न
कुल मतदाता- 15,15,711
पुरुष मतदाता- 7,96,124
महिला मतदाता- 7,19,587
मतदान- 8,86,634 (58.5%)
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
64 साल के हरिभाई चौधरी कुल चार बार सांसद का चुनाव जीत चुके हैं. उन्होंने पहला चुनाव 1998 में जीता था. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता बी.के गढ़वी को मात दी थी. इसके बाद अगले ही साल 1999 में आम चुनाव हुए और इसमें भी हरिभाई ने बाजी मारी और एक बार फिर बी.के गढ़वी को शिकस्त दी. इसके बाद 2004 व 2009 के आम चुनाव में उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी. लगातार दो चुनाव हारने के बाद हरिभाई चौधरी ने फिर कमबैक किया और 2013 में हुए उपचुनाव में इसी सीट से संसद में वापसी की. 2014 के चुनाव में मोदी लहर में भी वह बाजी मार गए. लगातार सांसद बनने का ही उन्हें इनाम मिला और मोदी कैबिनेट में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई.
हरिभाई चौधरी ने अपने कार्यकाल के दौरान जारी कुल धनराशि का लगभग 81.75 फीसदी खर्च किया है. उनकी निधि से अलग-अलग मद में कुल 18.18 करोड़ रुपये की राशि जारी हुई है, जिसमें 14.61 करोड़ रुपये खर्च कर दिया गया. यानी करीब 3.57 करोड़ रुपये उनकी निधि से खर्च नहीं हो सके.
हरिभाई चौधरी की संपत्ति की बात की जाए तो एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, उनके पास कुल 1 करोड़ 57 लाख के करीब संपत्ति की है. इसमें 71 लाख 90 हजार रुपये के करीब चल संपत्ति और 85 लाख 83 हजार की अचल संपत्ति शामिल है.
हरिभाई चौधरी का संसद में प्रदर्शन औसत से बेहतर रहा है. संसद में उपस्थिति की बात की जाए तो उनकी मौजूदगी 97 फीसदी रही. जबकि गुजरात के सांसदों की औसत उपस्थिति 84 फीसदी है और देशभर के सांसदों का औसत 80 फीसदी है. वहीं, बहस में उन्होंने सात बार हिस्सा लिया. जबकि इस मामले में गुजरात के सांसदों का औसत 4.1 है और राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 5.2 है. सवाल पूछने के मामले में वह औसत से कम रहे हैं और उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान महज 12 सवाल पूछे. जबकि सवाल पूछने के मामले में गुजरात के सांसदों का औसत 18 है और देशभर के सांसदों का औसत 18 है. वह एक बार भी प्राइवेट मेंबर बिल नहीं लाए हैं.
हरिभाई चौधरी फेसबुक और ट्विटर दोनों ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद हैं. हालांकि, वो फेसबुक से ज्यादा ट्विटर पर एक्टिव रहते हैं. ट्विटर पर उनके करीब सात हजार फॉलोअर्स हैं. साथ ही वह 11 हजार से ज्यादा ट्वीट कर चुके हैं. फेसबुक पर भी उन्हें फॉलो करने वालों की संख्या काफी ज्यादा है. फ्रेंड लिस्ट के अलावा 18 हजार से ज्यादा लोग फेसबुक पर हरिभाई चौधरी को फॉलो करते हैं.