साल 2019 की शुरूआत होते ही लोकसभा चुनावों को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है. राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बाद अब आम चुनावों के लिए जिताऊ उम्मीदवार को लेकर विभिन्न दलों में बैठकों और फीडबैक लेने का काम जोरों पर है. विधानसभा चुनाव जीत कर सत्ता में वापसी करने वाली कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं, तो वहीं कम वोट प्रतिशत हारी भारतीय जनता पार्टी भी लोकसभा चुनावों हार का बदला लेने के लिए तत्पर दिख रही है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
राजस्थान के बीकानेर लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो 2009 में परीसीमन के बाद से यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. पिछले 3 लोकसभा चुनाव से बीकानेर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. पिछले दो चुनाव से बीजेपी के अर्जुन राम मेघवाल इस सीट से जीतते आ रहे हैं. मेघवाल इस समय केंद्र सरकार में मंत्री है. साल 2004 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर फिल्मस्टार धर्मेंद्र बीकानेर का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. आजादी के बाद बीकानेर में अब तक 16 लोकसभा चुनाव हुए हैं. जिसमें 6 बार कांग्रेस, 4 बार बीजेपी, 1 बार भारतीय लोकदल, 1 बार सीपीएम और 4 बार निर्दलीय का कब्जा रहा. 1957 से 1971 तक इस सीट पर महाराजा करनी सिंह 4 बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सांसद रहें.
साल 1977 में जनता लहर में बीएलडी के हरिराम गोदारा, 1980 और 1984 में कांग्रेस के मनफूल सिंह, 1989 में सीपीएम के सोपत सिंह, 1991 में एक बार फिर कांग्रेस के मनफूल सिंह, 1996 में बीजेपी के महेंद्र सिंह भाटी, 1998 में कांग्रेस नेता बलराम जाखड़, 1999 में कांग्रेस के जाट नेता रामेश्वर डूडी बीकानेर लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.
पिछले चुनावों के ट्रेंड पर नजर डालें तो बीकानेर में राजपूत, ब्राह्मण बीजेपी के समर्थक रहें, जबकि जाट, मुस्लिम और दलित कांग्रेस का समर्थन करते आएं. 2009 के परीसमन से पहले इस सीट पर जाटों का दबदबा था लेकिन परीसीमन के बाद नागौर जिले की जायल विधानसभा के हट जाने से इस सीट पर दलितों की आबादी ज्यादा हो गई.
सामाजिक ताना-बाना
साल 2014 के आम चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक बीकानेर संसदीय सीट पर मतदाताओं की संख्या 15,91,068 है, जिसमें 8,47,064 पुरुष और 7,44,004 महिला मतदाता हैं. बीकानेर में हिंदू आबादी 78 फीसदी और मुस्लिम आबादी 15 फीसदी है. 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की कुल आबादी का 22.91 फीसदी अनुसूचित जाति और .37 फीसदी अनुसूचित जनजाति हैं.
बीकानेर संसदीय सीट के अंतर्गत जिले की सात विधानसभा सीट-बीकानेर पूर्व, बीकानेर पश्चिम, कोलायत, खाजूवाल, लूणकसर, श्री डूंगरगढ़, नोखा के अलावा श्रीगंगानगर की एक विधानसभा अनूपगढ़ शामिल हैं. हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में बीकानेर पूर्व, लूणकसर, नोखा और अनूपगढ़ सीट पर बीजेपी ने कब्जा जमाया, जबकि कोलायत, खाजूवाल और बीकानेर पश्चिम पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की. वहीं श्रीडूंगरगढ़ सीट पर सीपीएम ने जीत दर्ज की.
2014 का जनादेश
साल 2014 के आम चुनावों में बीकानेर लोकसभा सीट पर 58.4 फीसदी वोटिंग हुई थी. इस सीट पर प्रमुख मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच थी. बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर अर्जुनराम मेघवाल ने कांग्रेस के शंकर पन्नू को 3,08,079 मतों के भारी अंतर से हराते हुए लगातार दूसरी बार इस सीट पर कब्जा जमाया. बीजेपी से अर्जुनराम मेघवाल को 5,84,932 मिले थे जबकि शंकर पन्नू को 2,76,853 वोट मिले थें.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
64 वर्षीय अर्जुन राम मेघवाल राजनीति में आने से पूर्व 1982 में राजस्थान प्रशासनिक सेवा के लिए चुने गए और राजस्थान औद्योगिक सेवा में विभिन्न पदों पर रहें. उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा में पदोन्नति भी की और कई प्रशासनिक पदों पर काम किया राजनीति में शामिल होने के लिए उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा से स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति ली. मेघवाल राजनीति शास्त्र में पोस्टग्रैजुएड, लॉ में स्नातक हैं. उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ फिलिपिन्स से एमबीए भी किया है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में अपने हलफनामे में मेघवाल ने 1 करोड़ 81 लाख की संपत्ति घोषित की थी.
16 वीं लोकसभा में अर्जुन राम मेघवाल के प्रदर्शन की बात करें तो सदन में उनकी उपस्थिति 98 फीसदी रही. उन्होंने 166 बहस में हिस्सी लिया, 16 निजी बिल पास कराए और 343 प्रश्न पूछे. मेघवाल ने अपनी सांसद निधि का 69.24 फीसदी खर्च किया है. मेघवाल अनुसूचित जाति आयोग के अंतर्गत न्यायपालिका में अनूसूचित जाति के आरक्षण पर बनी कमेटी के को-चेयरमैन भी हैं.