ढेंकनाल जिला ओडिशा के मध्य में जंगलों के बसा एक पारंपरिक आदिवासी क्षेत्र है. मान्यता है कि इस कभी इस क्षेत्र पर सवारा वंश के ढेंका नाम के राजा ने राज किया था. उन्हीं के नाम पर इस जिले का नाम ढेंकनाल पड़ा. काजू, धान, आलू और आम की पैदावार के लिए प्रसिद्ध इस क्षेत्र में वनों और पहाड़ियों की एक लंबी श्रृंखला है. 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से बीजू जनता दल के तथागति सत्पथी ने जीत हासिल की थी. तब बीजेपी यहां दूसरे नंबर पर रही थी.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
ढेंकनाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस और बीजू जनता दल का प्रभुत्व रहा है. बीच-बीच में इस सीट पर जनता दल, स्वतंत्र पार्टी और गणतंत्र परिषद के उम्मीदवार जीतते रहे हैं. 1952 में इस सीट पर कांग्रेस कैंडिडेट निरंजन जेना ने जीत हासिल की. 1957 में गणतंत्र परिषद के सुरेंद्र मोहंती चुनाव जीते. 1962 में ये सीट कांग्रेस के कब्जे में आई. 1967 में स्वतंत्र पार्टी ने सीट पर खाता खोला. 1971 में यहां से कांग्रेस के देवेन्द्र सत्पथी को विजय श्री हासिल हुई. 1977 में जब देश में कांग्रेस के खिलाफ लहर बनी तो देवेन्द्र सत्पथी भारतीय लोक दल में आ गए और इस सीट पर चुनाव जीते. 1980-84 में ढेंकनाल सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा. दोनों ही बार कामाख्या प्रसाद सिंह देव चुनाव जीते. कामाख्या प्रसाद सिंह देव स्थानीय राज परिवार के सदस्य हैं और उनके परिवार का इस सीट पर प्रभुत्व है.
1989 में यहां पर बदलाव की बयार चली और जनता को जीत मिली. लेकिन 1991 में कांग्रेस के टिकट पर कामाख्या देव ने फिर वापसी की. वह 1996 में भी जीते. 1997 के आखिरी दिनों में बीजू जनता दल के गठन के बाद इस सीट का समीकरण बदल गया. 1998 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के तथागत सत्पथी चुनाव में विजयी हुए. हालांकि 1999 में जब चुनाव हुए तो कांग्रेस ने यहां जीत हासिल की. 2004 से बीजू जनता दल ने इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. 2004, 09, 14 तीनों ही लोकसभा चुनाव में बीजेडी के टिकट पर तथागत सत्पथी यहां से चुनाव जीतते रहे हैं.
सामाजिक ताना-बाना
ढेंकनाल लोकसभा सीट ओडिशा के अनुगुल और ढेंकनाल जिल के क्षेत्रों को मिलाकर बना है. 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की जनसंख्या 19 लाख 32 हजार 982 है. यहां की लगभग 84 फीसदी आबादी गांवों में रहती है, जबकि 16 फीसदी जनसंख्या का निवास शहरों में है. इस सीट पर अनुसूचित जाति की आबादी 19.27 प्रतिशत है, जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 13.6 प्रतिशत है. यहां की आदिवासी और गरीब आबादी को मुख्यधारा में लाने के लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय ने ढेंकनाल में प्रतिष्ठित पत्रकारिता प्रशिक्षण संस्थान IIMC का केन्द्र भी खोला है.
2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 76.43% मतदान हुआ था. जबकि 2009 में इस सीट पर 66.74 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. 2014 में यहां पर पुरुष मतदाता की संख्या 7 लाख 22 हजार 328 है. जबकि महिला वोटर्स का आंकड़ा 4 लाख 90 हजार 204 है. 2014 में इस लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 10 लाख 42 हजार 101 थी.
ढेंकनाल लोकसभा सीट के अंतर्गत ओडिशा विधान सभा की 7 सीटे हैं. ये सीटें हैं ढेंकनाल, प्रजंगा, कामाख्यानगर, हिंडोल, अनुगुल, तालचर और पल्लहरा. 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर बीजू जनता दल से शानदार कामयाबी हासिल की थी और सभी सीटों पर उनके कैंडिडेट जीते थे.
2014 का जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में तथागत सत्पथी इस सीट से चौथी बार चुनाव जीते. उन्हें 4 लाख 53 हजार 277 वोट मिले. जबकि बीजेपी के रुद्र नारायण पानी को 3 लाख 15 हजार 937 वोट मिले. इस तरह तथागत सत्पथी ने बीजेपी कैंडिडेट को 1 लाख 37 हजार 340 वोटों से मात दी. कांग्रेस के सुधीर कुमार समल को 2 लाख 13 हजार 794 वोट मिले.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
बीजेडी सांसद तथागत सत्पथी ओडिशा के राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनकी मां नंदिनी सत्पथी जून 1972 से दिसंबर 1976 तक ओडिशा की मुख्यमंत्री रहीं है. वह ओडिया सामाचार पत्र 'धरित्री' के संपादक भी रह चुके हैं. 1 अप्रैल 1956 को जन्मे 62 साल के तथागत सत्पथी 16वीं लोकसभा में बीजू जनता के चीफ व्हीप भी है. वह ट्विटर पर भी @SatpathyLive अकाउंट के नाम से सक्रिय हैं.
सांसद महोदय के रिपोर्ट कार्ड पर नजर डाले तो सांसदों के कामकाज का लेखा जोखा रखने वाली वेबसाइट parliamentarybusiness.com के मुताबिक तथागत सत्पथी लोकसभा की 321 बैठकों में से 293 दिन मौजूद रहे. सदन में उन्होंने 39 सवाल पूछे. तथागत सत्पथी सदन में हुए 83 चर्चा में शामिल हुए. उनके द्वारा लोकसभा में 1 निजी बिल पेश किया गया. सांसद निधि के तहत उन्होंने 16.29 करोड़ रुपये विकास के अलग-अलग कार्यों पर खर्च किए.