देश के सबसे नए राज्य तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद यहां की महत्वपूर्ण लोकसभा सीट है. यह सीट शहरी इलाके की सीट है. यह सीट तेलंगाना राज्य के हैदराबाद जिले में है. मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू यहां से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि, वह 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट से जीत नहीं सके थे. 2014 में AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी यहां से लगातार तीसरी बार लोकसभा सांसद चुने गए.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
आजादी के बाद से हैदराबाद लोक सभा सीट पर 16 आम चुनाव हुए हैं. इनमें से 8 बार AIMIM को जीत मिली है तो 6 बार यह सीट कांग्रेस के खाते में आई है. एक बार तेलंगाना प्रजा समिति और एक बार निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में. यह सीट तीन दशकों से AIMIM के पास रही है. यहां से AIMIM मुखिया असदुद्दीन ओवैसी के पिता सुल्तान सलाहउद्दीन ओवैसी सात बार सांसद चुने गए, छह बार AIMIM के टिकट पर और एक बार निर्दलीय लड़कर. उनके बाद से यह सीट तीन बार से लगातार उनके बेटे असदुद्दीन ओवैसी के खाते में जा रही है. हालांकि, आजादी के बाद से लेकर 1980 के दशक तक यह सीट कांग्रेस के खाते में रही है. बीच में 1971 के लोकसभा चुनावों में इस सीट पर तेलंगाना प्रजा समिति जीती थी. इसके बाद 1980 के लोकसभा चुनावों में यह सीट कांग्रेस (इंदिरा) के टिकट पर के. एस. नारायणा जीते थे.
सामाजिक ताना-बाना
हैदराबाद लोकसभा सीट का परिसीमन 2008 में हुआ था. इस सीट में अल्पसंख्यकों (अधिकांश मुस्लिम) वोटों (65 फीसदी) की बहुतायत है और वे ही यहां निर्णायक भूमिका में हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 21,84,467 है. यहां की 100 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है. यहां पर अनुसूचित जाति की आबादी 3.89 फीसदी है तो अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.24 फीसदी है. हैदराबाद लोक सभा सीट पर 9,61,290 पुरुष मतदाता और 8,62,374 महिला मतदाता समेत कुल 18,23,664 कुल मतदाता हैं. 2014 के लोक सभा चुनाव में यहां पर केवल 53.27 फीसदी मतदाताओं ने ही वोट दिए. यहां पर पुरुष मतदाताओं का वोटिंग प्रतिशत 54.77 फीसदी रहा था और महिलाओं का प्रतिशत केवल 51.59 फीसदी ही रहा था. हैदराबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें हैं. मलकपेट, कारवां गोशमहल, चारमीनार, चंद्रयान गुट्टा, याकूतपुरा और बहादुरपुर सीटें हैं. ये सभी सीटें अनारक्षित हैं. इनमें से छह सीटें AIMIM के पास हैं तो एकमात्र सीट भाजपा के खाते में है. मलकपेट, चारमीनार, चंद्रयान गुट्टा, कारवां, याकूतपुरा और बहादुरपुर में AIMIM के सांसद हैं और गोशमहल सीट बीजेपी के पास है.
2014 का जनादेश
2014 में हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट से AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने बड़ी जीत दर्ज की थी. उन्होंने भाजपा के डॉ. भगवंत राव को 3 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से मात दी थी. ओवैसी को इस सीट पर डाले गए वोटों के 52.94 फीसदी वोट (6,13,868 वोट) मिले थे. दूसरे नंबर पर भाजपा के उम्मीदवार भगवंत राव को 32.05 फीसदी (3,11,414 वोट) मिले थे. तीसरे नंबर पर कांग्रेस के उम्मीदवार ए. कृष्णा रेड्डी को 49,310 और टीआरएस के राशिद शरीफ को केवल 37,195 वोट मिले थे. यहां से 2009 और 2004 के लोकसभा चुनाव में भी असदुद्दीन ओवैसी ही जीते थे.
ओवैसी का रिपोर्ट कार्ड
असदुद्दीन ओवैसी अपनी दमदार आवाज और आक्रामक अंदाज के लिए जाने जाते हैं. उनकी 16वीं लोक सभा में उपस्थिति 82 फीसदी रही है. वह इस मामले में राष्ट्रीय औसत 80 फीसदी और तेलंगाना के औसत 69 फीसदी से कहीं आगे हैं. बहस में हिस्सा लेने के मामले में उनका औसत थोड़ कम है. उन्होंने कुल 62 बहसों में हिस्सा लिया है. बहस में हिस्सा लेने का राष्ट्रीय औसत 65.3 है. तेलंगाना के सांसदों का बहस में हिस्सा लेने का औसत 38.2 का रहा है. हालांकि, सवाल पूछने के मामले में ओवैसी का प्रदर्शन काफी अच्छा है. उन्होंने संसद में 719 सवाल पूछे, जबकि इस मामले में राष्ट्रीय औसत 285 सवालों का है और राज्य का औसत 295 सवालों का है. ओवैसी अपने इस कार्यकाल में 2 प्राइवेट मेंबर बिल लाए हैं. इस मामले में राष्ट्रीय औसत और तेलंगाना का औसत 2.2 प्राइवेट मेंबर बिल का है. असदुद्दीन ओवैसी को अपने संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए 15 करोड़ रुपये का विकास फंड आवंटित हुआ था. इसमें से उन्होंने 117.01 फीसदी (ब्याज सहित) रकम खर्च की थी. हालांकि, इसके बावजूद उनके फंड में से 1.91 करोड़ रुपये बिना खर्च हुए रह गए थे.
ओवैसी परिवार का दबदबा
1984 के बाद से यह सीट लगातार ओवैसी परिवार के पास रही है. 1999 में यह सीट असदुद्दीन ओवैसी के पिता सुल्तान सलाहउद्दीन ओवैसी के पास थी. सीनियर ओवैसी को इन चुनावों में 4,48,165 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे भाजपा नेता बी. बाल रेड्डी को 3,87,344 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर कांग्रेसी नेता कोंडा लक्ष्मा रेड्डी को 2,00,642 वोट मिले थे. यह सलाहउद्दीन ओवैसी का आखिरी चुनाव था. इसके बाद उन्होंने खराब सेहत का हवाला देकर राजनीति से संन्यास ले लिया था. तब से इस सीट पर असदुद्दीन ओवैसी ही जीत रहे हैं.
एक नजर में तेलंगाना
तेलंगाना में लोक सभा की 17 सीटें हैं, जिसमें से 14 पर तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) काबिज है. बाकी तीन सीटों में से एक-एक बीजेपी, कांग्रेस और AIMIM के सांसद हैं. तेलंगाना के प्रमुख सांसदों में से एक बीजेपी के सांसद बंडारू दत्तात्रेय हैं जो केंद्र सरकार में श्रम और रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रह चुके हैं. उनके अलावा AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी तेलंगाना से ही सांसद हैं. 2014 के लोक सभा चुनाव में तेलंगाना में टीआरएस के पास सबसे ज्यादा सीटें आई थीं. इन चुनावों में टीआरएस ने 11 सीटें जीती थीं. इसके बाद कांग्रेस के पास 2 सीटें आई थीं. भाजपा, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और एआईएमआईएम के पास एक-एक सीट आई थी. इस समय तेलंगाना से राज्य सभा में छह सांसद हैं, जिसमें कांग्रेस के पास सबसे ज्यादा तीन सांसद हैं. इसके अलावा दो सांसद तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के दो सांसद और TRS का एक सांसद है. 2018 में यहां पर 119 सीटों पर हुए विधानसभा चुनावों में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को 88 सीटें मिली थीं. इसके बाद कांग्रेस को 19, AIMIM को 2, टीडीपी को 2 और भाजपा और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक को 1-1 सीट मिली थी. 1 सीट निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गई थी.