जाधवपुर लोकसभा क्षेत्र पश्चिम बंगाल का एक महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्र है. यह 24 परगना जिले में आता है. 24 परगना को भारत का छठा सबसे ज्यादा घनी आबादी वाला जिला है. यह सुंदरवन और कोलकाता से जुड़ा हुआ है. इसकी पहचान जाधवपुर विश्वविद्यालय से भी है जहां पढ़ाई के लिए पश्चिम बंगाल से ही नहीं बिहार और उड़ीसा से भी छात्र आते हैं. सीपीएम के कद्दावर नेता सोमनाथ चटर्जी यहां से सांसद हुआ करते थे लेकिन कांग्रेस की ममता बनर्जी ने 1984 में उन्हें पराजित कर दिया. आज यह सीट ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के कब्जे में है. 2019 में यहां से ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस तो लड़ाई में रहेगी ही सीपीएम और बीजेपी से उसका जोरदार मुकाबला होगा. माना जाता है कि पढ़े-लिखे लोगों और मिडल क्लास में पार्टी की पकड़ मजबूत रहती है, जाधवपुर सीट बीजेपी के लिए लिटमस टेस्ट की तरह होगी.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
1977 के लोकसभा चुनाव से पहले जाधवपुर संसदीय सीट अस्तित्व में आई. यह सीट सीपीएम का गढ़ रही लेकिन फिलहाल ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस ने इस पर कब्जा कर लिया है. 1977 और 1980 के चुनाव में सीपीएम के कद्दावर नेता सोमनाथ चटर्जी यहां से सांसद चुने गए. उन्होंने सीपीआई और कांग्रेस आई के उम्मीदवारों को हराया था लेकिन इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में जो सहानुभूति लहर चली उसमें सोमनाथ दा अपनी सीट बचाने में असफल रहे और कांग्रेस की उम्मीदवार ममता बनर्जी से 1984 में हार गए. सोमनाथ जैसे दिग्गज नेता को पराजित करने से ममता बनर्जी एकाएक आकर्षण का केंद्र बन गईं.
1989 के चुनाव में एकबार फिर बाजी पलट गई और सीपीएम की मालिनी भट्टाचार्य ने कांग्रेस की ममता बनर्जी को हरा दिया. 1996 में फिर एकबार हालात बदले और कांग्रेस की कृष्णा बोस सांसद चुनीं गईं जबकि सीपीएम की मालिनी भट्टाचार्य दूसरे स्थान पर रहीं. 1998 में भी कृष्णा बोस को ही सफलता मिली लेकिन इस बार वो WBTC के बैनर तले मैदान में थीं. 1999 तक कृष्णा बोस ने ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था और संसद में पहुंचने में सफल रहीं.
2004 में एकबार फिर बाजी पलटी और 3 बार से लगातार जीत रहीं कृष्णा बोस को सीपीएम के सुजान चक्रबर्ती ने हरा दिया. 2009 आते-आते ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस और मजबूत हो चुकी थी और यहां से पार्टी के सुमन कबीर को विजय हासिल हुई और सीपीएम के सुजान चक्रबर्ती दूसरे स्थान पर रहे. इस सीट पर वोटिंग का पैटर्न कभी ऐसा नहीं रहा कि किसी एक नेता पर आंख मूदकर भरोसा कर लिया जाए. जाधवपुर से सोमनाथ चटर्जी जीते तो उन्हें यहीं से हार का भी सामना करना पड़ा. सोमनाथ को ममता बनर्जी ने हराया तो ममता बनर्जी को भी यहीं से हार का सामना करना पड़ा.
सामाजिक ताना-बाना
2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 2273479 है इसमें 42.24 पर्सेंट ग्रामीण आबादी है जबकि 57.76 पर्सेंट शहरी. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का रेश्यो यहां 24.5 और .48 फीसदी है. 2017 की वोटर लिस्ट के मुताबिक यहां 1729287 वोटर हैं. 2014 के चुनाव में यहां 79.99 फीसदी वोटिंग हुई थी जबकि 2009 के चुनाव में यहां पर 81.47 फीसदी मतदान हुआ था.
इस संसदीय सीट के तहत 7 विधानसभा सीटें आती हैं
1- बरियूपुर पूरबा (एससी) से AITC के निर्मल चंद्र मिस्त्री विधायक हैं.
2-बरियूपुर पश्चिम से AITC के विमान बनर्जी विधायक चुने गए हैं3- सोनारपुर दक्षिण से AITC के जिबान मुखोपाध्याय विधायक हैं
4- जाधवपुर से CPM के सुजान चक्रबर्ती को विजय मिली है.
5- सोनारपुर उत्तर से AITC के फिरदौसी बेगम को ताज मिला है
6- टालिगॉन्ग पर AITC के अरूप विश्वास जीते हैं
7- भांगर से AITC के रजक मुल्ला को विजय मिली है
2014 का जनादेश
2014 का चुनाव हिंदी पट्टी के राज्यों में मोदी बनाम अन्य चल रहा था लेकिन पश्चिम बंगाल में यह लड़ाई ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस और सीपीएम के बीच चल रही थी. जाधवपुर से ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के डॉक्टर सुगाता बोस को विजय मिली. बोस को 582244 वोट मिले जबकि सुजान चक्रबर्ती को 459041. AITC के सुगाता बोस को 45.92 फीसदी वोट मिले जबकि सीपीएम के उम्मीदवार को 36.08 फीसदी वोट ही हासिल कर पाए. गौरतलब है कि दोनों के वोट प्रतिशत में कमी आई पिछले चुनाव की अपेक्षा सुगाता बोस को 3.9 फीसदी कम वोट मिले तो सीपीएम को 8.5 फीसदी. बीजेपी के उम्मीदवार स्वरूप प्रसाद घोष को 155,511 वोट मिले. इसके साथ ही पिछले लोकसभा चुनाव की अपेक्षा बीजेपी को 10 फीसदी से ज्यादा वोट मिले. यानी बोजेपी ने AITC और सीपीएम दोनों का वोट काटा. अब बीजेपी यहां से और जोरदार तरीके से टक्कर देने की स्थिति में है.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
डॉ. सुगाता बोस को एक इतिहासकार के रूप में जाना जाता है. उन्होंने 1980 के दशक में युनाइटेड स्टेट में काम किया था. उनकी शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज कोलकाता से हुई है. इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से भी शिक्षा हासिल की. उन्होंने 2001 तक टुफ्ट विश्वविद्यालय में पढ़ाया भी. वह नेताजी रिसर्च ब्यूरो कोलकाता के डायरेक्टर भी रहे हैं. सुगाता बोस ने कई किताबें भी लिखी हैं. सुगाता बोस 67 साल के हैं, संसद में उनकी हाजिरी 57.01 फीसदी रही. उन्होंने 16वीं लोकसभा में कुल 3 सवाल पूछे. उन्होंने कुल 28 डिबेट में हिस्सा लिया हालांकि कोई प्राइवेट मेंबर बिल उनके नाम पर नहीं है. संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए उन्हें जो 25 करोड़ रुपये मिले थे उनमें से 16.34 करोड़ रुपये खर्च कर चुके हैं यानी 65.36 फीसदी रकम उन्होंने खर्च कर दी है.