scorecardresearch
 

केंद्रपाड़ा लोकसभा सीट: नवीन पटनायक से अनबन के बाद बागी बन गए MP बैजयंत पांडा

Kendrapara lok sabha constituency ओडिशा के पूर्व सीएम बीजू पटनायक के पारिवारिक दोस्तों में शुमार 54 साल के विजयंत जे  पांडा ने पार्टी छोड़ने के वक्त कहा था कि वह बेहद दुखी मन से उस राजनीति को छोड़ने का फैसला कर रहे हैं जिसमें बीजेडी लगातार नीचे जा रही है.

Advertisement
X
फोटो-Twitter/@PandaJay
फोटो-Twitter/@PandaJay

Advertisement

केंद्रपाड़ा ओडिशा की पौराणिक नगरी है. धार्मिक कहानियां और ऐतिहासिक साक्ष्य इस प्रदेश में बड़े पैमाने पर मिलते हैं. मान्यता है कि भगवन कृष्ण के अग्रज बलराम ने यहीं केंद्रसुर का वध कर यहीं उसकी उसकी पुत्री से विवाह किया फिर यहीं बस गए. यहां भगवान बलराम की रथयात्रा को पुरी रथयात्रा जैसी ही ख्याति प्राप्त है. 1998 से इस सीट पर बीजू जनता दल का प्रभुत्व रहा है.

यहां की राजनीति में पिछले साल उठापटक तब देखने को मिला जब बीजद की स्थापना के साथ ही पार्टी से जुड़े रहे सांसद विजयंत जे पांडा ने पार्टी छोड़ दी. इससे पहले बीजद ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए उन्हें बीजद से निलंबित कर दिया था. ओडिशा के पूर्व सीएम बीजू पटनायक के पारिवारिक दोस्तों में शुमार 54 साल के पांडा ने पार्टी छोड़ने के वक्त कहा था कि वह बेहद दुखी मन से उस राजनीति को छोड़ने का फैसला कर रहे हैं जिसमें बीजेडी लगातार नीचे जा रही है. 4 मार्च 2019 को बैजयंत पांडा बीजेपी में शामिल हो गए.

Advertisement

राजनितिक पृष्ठभूमि

केंद्रपाड़ा लोकसभा का संसदीय इतिहास आजादी के बाद ही शुरू हो जाता है. 1952 में यहां पहली बार चुनाव हुए थे. पहली बार यहां कांग्रेस के नित्यानंद चुनाव जीते. 1957, 62 और 67 में इस सीट पर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का कब्जा हुआ. तीनों ही बार सुरेंद्र नाथ द्विवेदी विजयी रहे.

1971 में उत्कल कांग्रेस के सुरेंद्र मोहंती ने इस सीट से बाजी मारी. ओडिशा के कद्दावर नेता बीजू पटनायक ने कांग्रेस से नाराजगी के बाद उत्कल कांग्रेस की स्थापना की थी.

1977 में इंदिरा के खिलाफ लहर के दौरान बीजू पटनायक इस सीट पर जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते. बीजू पटनायक की लोकप्रियता इस समय उफ़ान पर थी, वह 1980 में तो चुनाव जीते ही, 1984 में इंदिरा की हत्या के बाद कांग्रेस के प्रति जबरदस्त भावनात्मक लगाव के बावजूद वह इस सीट से कामयाबी हासिल करने में सफल रहे. 1985 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ और जनता पार्टी चुनाव जीती. 1989 और 1991 में जनता दल के रबी रे का डंका बजा. 1996 में जनता दल के श्री कान्त जेना जीते.

1998 में बीजू जनता दल जब वजूद में आई तो इस सीट से सभी दूसरी पार्टियों का सफाया हो गया. 1998 और 1999 में बीजू जनता दल के प्रभात कुमार सामंत रे इस सीट से चुनाव जीते. 2004 में बीजू जनता दल (बीजद) ने अर्चना नायक को इस सीट से टिकट दिया और वह जीतीं.

Advertisement

2009 में बीजद ने इस सीट से पार्टी के इंटेलेक्चुअल फेस विजयंत पांडा को सियासी रण में उतारा. वह चुनाव जीत गये. 2014 में भी पार्टी और वोटर्स ने उन्हें  ही रिपीट किया.

सामाजिक ताना-बाना

केंद्रपाड़ा लोकसभा क्षेत्र  का विस्तार केंद्रपाड़ा और कटक जिले में है. 2011 की जनसंख्या के मुताबिक यहां की जनगणना 20 लाख 39 हजार 740 थी. यहां की 95 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है, जबकि 5 परसेंट जनसंख्या शहरों में निवास करती है. इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति की आबादी लगभग 22 फीसदी है जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 2 फीसदी है.

2014 के आंकड़ों के मुताबिक यहां पुरुष मतदाताओं की संख्या 8 लाख 28 हजार 491 है. जबकि महिला वोटर्स का आंकड़ा 7 लाख 26 हजार 953 है. पिछले लोकसभा के दौरान यहां कुल 15 लाख 55 हजार 444 वोट थे. तब यहां मतदान का प्रतिशत 73.36 प्रतिशत था.

केंद्रपाड़ा में विधानसभा की 7 सीटें हैं. ये सीटें हैं सलीपुर, महंगा, पटकुरा, केंद्रपाड़ा, औल, राजनगर और महाकलपद. 2014 के विधानसभा चुनाव में सलीपुर, औल और राजनगर में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी, बाकी 4 सीट पर बीजू जनता दल ने जीत हासिल की थी.

2014 का जनादेश

अमेरिका में पढ़े, इस युवा नेता को केंद्रपाड़ा की जनता ने बेहद पसंद किया. 2014 में इन्हें बम्पर 6 लाख 01 हजार 574 वोट मिले. कांग्रेस के धरणीधर नायक को यहां पर 3 लाख 92 हजार 466 वोट मिले. इस तरह से विजयंत पांडा 2 लाख 09 हजार 108 वोट से चुनाव जीते. तीसरे स्थान पर रहे बीजेपी के विष्णु प्रसाद दास. उन्हें 1 लाख 18 हजार 707 वोट मिले.

Advertisement

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

बीजू जनता दल से बगावत करने वाले बीजे पांडा दूसरी बार बीजद के टिकट पर संसद पहुंचे थे. अमेरिका के मिशिगन टेक्निकल यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की डिग्री लेने वाले पांडा सामाजिक जीवन में बेहद सक्रिय हैं. सम-सामयिक मुद्दों पर देश की प्रतिष्टित पत्रिकाओं और अखबारों के संपादकीय में उनके लेख छपते हैं. अंग्रेजीदां तेवर, मुद्दों की गहन परख और पड़ताल की वजह से वह लुटयन्स मीडिया जोन के प्यारे हैं. बी जे पांडा विमान उड़ाने का निजी लाइसेंस भी रखते हैं.

संसद में उनकी उपस्थिति 233 दिन रही है. 16वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही वह लोकसभा की सदस्यता से वह इस्तीफा दे चुके थे. उन्होंने संसद में 458 सवाल पूछे. वह संसद में 17 डिबेट में मौजूद रहे. सांसद निधि फंड की बात करें तो वह 25 करोड़ में से 12.31 करोड़ रुपये विकास के विभिन्न मद पर खर्च कर चुके हैं. पांडा सोशल मीडिया के दोनों प्लेटफार्म ट्विटर और फेसबुक पर जोरदार तरीके से सक्रिय हैं.  ट्विटर पर वे @PandaJay के नाम से मशहूर हैं. यहां उनका verified account है.

Advertisement
Advertisement