scorecardresearch
 

मयूरभंज लोकसभा सीट: चिटफंड घोटाले में सांसद ने जेल में गुजारे 4 साल

Mayurbhanj Lok Sabha constituency जेल में रहने की वजह से सांसद रामचंद्र हांसदा लोकसभा की कार्यवाही में कम ही हिस्सा ले सके. लोकसभा की 321 बैठकों में वह मात्र 67 दिन ही सदन में मौजूद रहे. 16वीं लोकसभा के दौरान उन्होंने 18 सवाल किए. वह लोकसभा की 19 डिबेट्स में मौजूद रहे.

Advertisement
X
चिटफंड घोटाले के खिलाफ प्रदर्शन करते निवेशक (फाइल फोटो)
चिटफंड घोटाले के खिलाफ प्रदर्शन करते निवेशक (फाइल फोटो)

Advertisement

मयूरभंज क्षेत्र जंगलों से भरा, खनिज संपदा से भरपूर ओडिशा का एक जिला है. आदिवासी बहुल इलाका होने की वजह से यहां की राजनीति जल, जंगल और जमीन के आस-पास घुमती रहती है. प्राचीन काल में इस जगह पर भंज वंश के राजाओं का शासन रहा है. यहां पर 9वीं सदी से भंज शासकों ने शासन करना शुरू किया. इस सत्ता का विस्तार मयूरभंज के अलावा, क्योंझर, सिंहभूम और मेदिनीपुर तक था.

झारखंड से सटे होने की वजह से यहां शिबू सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा का भी प्रभुत्व है. 2014 में इस सीट पर बीजेडी की जीत हुई, लेकिन जीत के कुछ ही महीनों बाद सांसद रामचंद्र हांसदा को चिट फंड घोटाले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. 5 जनवरी को यहां हुई पीएम नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने ये कहकर यहां पर लोकसभा चुनाव के रण का ऐलान कर दिया कि यहां का सांसद ऐसा है जिसने अपने पांच साल के कार्यकाल में 4 साल जेल में गुजारे हैं.

Advertisement

राजनीतिक पृष्ठभूमि

मयूरभंज लोकसभा सीट पर कांग्रेस, बीजेपी, बीजेडी और झारखंड पार्टी के कैंडिडेट जीतते आए हैं. 1951, 57 में इस सीट से झारखंड पार्टी के आरसी मांझी चुनाव जीते. 1962, 67, 71 और 77 में क्रमश: एसयूआईसी, स्वतंत्र पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और जनता पार्टी के उम्मीदवार इस सीट से जीतते रहे. 1980, 84, 89, 91 और 96 में इस सीट पर कांग्रेस ने अपना परचम बुलंद किया. 1998 में यहां के मतदाताओं का कांग्रेस से मोहभंग हुआ और बीजेपी के सालखन मुर्मू चुनाव जीते. 1999 में एक बार फिर सालखन मुर्मू को बीजेपी के टिकट पर जीत मिली. 2004 में इस सीट पर जेएमएम ने पहली बार अपना खाता खोला और सुदाम मंराडी इस सीट से चुनाव जीते. 2009 में इस सीट पर बीजू जनता दल ने पहली बार एंट्री ली और लक्ष्मण टु़डू सांसद बने. 2014 में बीजेडी ने इस सीट से रामचंद्र हांसदा को मैदान में उतारा वह भी इस सीट से विजयी रहे.

सामाजिक ताना-बाना

मयूरभंज लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं.  2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 25 लाख 19 हजार 738 है. यहां की लगभग 60 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की है. जबकि 6.88 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जाति की है.

Advertisement

इस जिले की अर्थव्यवस्था खनिज संपदा और कृषि पर आधारित है. यहां पर स्टोन चिप्स, सेरामिक इंडस्ट्रीज, फर्टीलाइजर, पेपर मिल्स, पेंट् और केमिकल्स, बिजली के तार, अल्युमीनियम के बर्तन बनाने की फैक्ट्रियां हैं. खरीज के सीजन में यहां धान के अलावा तिलहन और दलहन की खेती होती है.

2014 के लोकसभा चुनाव के मुताबिक इस सीट पर 13 लाख 27 हजार 555 मतदाता थे. इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 6 लाख 70 हजार 100 थी. जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 6 लाख 57 हजार 455 थी.

मयूरभंज लोकसभा सीट के तहत विधानसभा की 7 सीटें आती हैं. ये सीटें हैं जाशीपुर, सरसकना, रैरांगपुर, बांगरीपोसी, उड़ाला, बारीपदा और मोरदा. 2014 के विधानसभा चुनाव में इन सभी 7 सीटों पर बीजू जनता दल ने जीत हासिल की थी.

2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर मुकाबला चौतरफा रहा. झारखंड आंदोलन से जुड़ी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) का इस सीट पर अच्छा दबदबा है. 2014 में इस सीट पर जेएमएम के देवाशीष मरांडी 1 लाख 72 हजार 984 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे. हालांकि 3 लाख 93 हजार 779 वोटों के साथ बीजेडी के रामचंद्र हांसदा नंबर वन पर रहे. वह 1 लाख 22 हजार 866 वोटों से चुनाव जीते. दूसरे नंबर पर बीजेपी रही. पार्टी कैंडिडेट डॉ नेपाल रघु मुर्मू को 2 लाख 70 हजार 913 वोट मिले. चौथे स्थान पर कांग्रेस के श्याम सुंदर हांसदा रहे. 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां बंपर वोटिंग हुई थी. और 79.35 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था.

Advertisement

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

रामचंद्र हांसदा की लोकसभा में ये पहली पारी है. 53 साल के रामचंद्र हांसदा ने 5 जून 2014 को सांसद पद की शपथ ली थी. 5 महीने बाद  बाद नवंबर 2014 में सीबीआई ने उन्हें ओडिशा के कुख्यात चिटफंड ठगी मामले में गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद वह लंबे समय तक जेल में बंद रहे. जुलाई 2018 में उन्हें जमानत मिली थी. रामचंद्र हांदसा पर आपराधिक षड़यंत्र रचने, धोखाधड़ी और फंड के गबन का आरोप है. बता दें कि सीबीआई ओडिशा में 44 पोंजी कंपनियों की जांच कर रही है.

जेल में रहने की वजह से रामचंद्र हांसदा लोकसभा की कार्यवाही में कम ही हिस्सा ले सके. लोकसभा की 321 बैठकों में वह मात्र 67 दिन ही सदन में मौजूद रहे. 16वीं लोकसभा के दौरान उन्होंने 18 सवाल किए. वह लोकसभा की 19 डिबेट्स में मौजूद रहे. इनके द्वारा सदन में कोई भी निजी बिल पेश नहीं किया गया है. अगर सांसद निधि के खर्च की बात करें तो उन्होंने 15.53 करोड़ रुपया विकास के अलग-अलग कार्यों पर खर्च किया है.

Advertisement
Advertisement