मेडक लोकसभा सीट तेलंगाना के मेडक जिले में है. मेडक जिले में प्रसिद्ध ऑर्डिनेंस फैक्ट्री भी है और इस छोटे से जिले में यह रोजगार का मुख्य साधन है. यहां से भारतीय सेना को हथियार उपलब्ध कराए जाते हैं. यह फैक्ट्री इस जिले की अर्थव्यवस्था का प्रमुख साधन है. मेडक लोकसभा सीट से इस समय टीआरएस के कोथा प्रभाकर रेड्डी सांसद हैं. वह पहली बार यहां से सांसद चुने गए हैं. इस लोकसभा सीट से कई हाई प्रोफाइल नेता चुनाव जीते हैं, जिनमें भारत की भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी शामिल हैं. वह अपना आखिरी लोकसभा चुनाव यहीं से लड़ी और जीती थीं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
मेडक लोकसभा सीट 1957 में अपने अस्तित्व से ही कांग्रेस का मजबूत गढ़ रही है. बीच-बीच में यहां से तेलंगाना प्रजा समिति, भारतीय जनता पार्टी और तेलुगू देशम पार्टी भी अपनी जीत का परचम लहराती रही हैं. टीआरएस का गठन होने के बाद यहां से पर तीन आम चुनाव और एक बार उपचुनाव हुए हैं जिसमें से चारों बार टीआरएस को ही जीत मिली है. यहां से जीतने वालों में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और अभिनेत्री और निर्माता विजयशांति श्रीनिवास भी रह चुके हैं. अभिनेत्री से नेत्री बनीं विजयशांति तेलुगू, तमिल, मलयालम, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों में भी काम कर चुकी हैं. कांग्रेस से एम. बागा रेड्डी यहां से सबसे ज्यादा चार बार सांसद रहे हैं. यही नहीं, 1980 के आम चुनावों में यहां से इंदिरा गांधी सांसद रह चुकी हैं. जब 1984 में उनकी हत्या हुई तो वह यहीं से सांसद थीं.
सामाजिक तानाबाना
2011 की जनगणना के मुताबिक मेडक की 71 फीसदी आबादी ग्रामीण है और करीब 29 फीसदी आबादी शहरी इलाकों में रहती है. यहां अनुसूचित जाति की आबादी कुल आबादी की 16.55 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की आबादी कुल आबादी की 4.44 फीसदी है. मेडक जिले में 1000 पुरुषों पर 1074 महिलाएं हैं. मेडक लोकसभा सीट में सात विधानसभा सीटें- मेडक, सिद्दीपेट, नरसापुर, पाटनचेरू, डुब्बक, गजवेल और संगारेड्डी हैं. यहां पर 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में छह सीटों में टीआरएस को जीत मिली है तो एक सीट पर कांग्रेस का विधायक है. मेडक लोकसभा सीट में 7,75,903 पुरुष और 7,60,812 महिला यानी कुल 15,36,715 मतदाता हैं. इनमें से 2014 के लोकसभा चुनावों में 77.51 फीसदी मतदाताओं ने वोट दिया था. यहां पर महिला और पुरुष मतदाताओं ने लगभग बराबर संख्या (75 फीसदी से ज्यादा) में मतदान किया था.
2014 का जनादेश
2014 के आम चुनावों में यहां से टीआरएस के के. चंद्रशेखर राव चुनाव जीते थे. बाद में उन्होंने यह सीट छोड़ दी थी. इसके बाद यहां इसी साल हुए हुए उपचुनावों में टीआरएस के कोथा प्रभाकर रेड्डी को बड़ी जीत मिली थी. उन्होंने कांग्रेस की सुनीता लक्ष्मा रेड्डी वी. को 3 लाख 60 हजार से ज्यादा वोटों के मार्जिन से हराया था. प्रभाकर रेड्डी को 58.03 फीसदी यानी 5,71,800 वोट मिले थे. वहीं सुनीता लक्ष्मा को 21.36 फीसदी यानी 2,10,523 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर बीजेपी के जग्गा रेड्डी को 1,86,334 वोट मिले थे. इससे पहले, 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से टीआरएस के टिकट पर के. चंद्रशेखर राव खड़े हुए थे और उन्होंने बड़ी जीत हासिल की थी. उन्होंने कांग्रेस के पी. श्रवण कुमार रेड्डी को करीब 3 लाख वोटों के अंतर से जबरदस्त मात दी थी. केसीआर को 55.2 फीसदी यानी 6,57,492 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर कांग्रेस के पी. श्रवण कुमार रेड्डी को 21.87 फीसदी यानी 2,60,463 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर रहे भाजपा उम्मीदवार सी. नरेंद्र नाथ को 1,81,804 वोट मिले थे.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
कोथा प्रभाकर रेड्डी की संसद में उपस्थिति काफी कम (केवल 57 फीसदी) रही है. वह इस मामले में राष्ट्रीय औसत 80 फीसदी और राज्य के औसत 69 फीसदी से काफी पीछे हैं. इस दौरान उन्होंने केवल 20 बहसों में हिस्सा लिया. इस मामले में भी वह राष्ट्रीय औसत 60.2 बहसों और राज्य के औसत 34.3 बहसों से काफी पीछे रहे. सवाल पूछने के मामले में जरूर प्रभाकर रेड्डी आगे रहे हैं. उन्होंने संसद में 366 सवाल पूछे, जो कि राष्ट्रीय औसत 285 सवाल और राज्य के औसत 295 सवाल से ज्यादा है. वह एक भी प्राइवेट मेंबर बिल नहीं लाए. कोथा प्रभाकर रेड्डी को अपने लोक सभा क्षेत्र में खर्च करने के लिए सांसद निधि से 12.50 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे जो कि ब्याज समेत मिलाकर 15.86 करोड़ हो गए थे. इसमें से वह केवल 11.65 यानी मूल आवंटित फंड का 91.62 फीसदी ही खर्च कर सके. वह अपने फंड में से 4.21 करोड़ रुपये खर्च नहीं कर सके.