तेलंगाना की नलगोन्डा (Nalgonda) लोकसभा सीट यहां के नलगोन्डा जिले में स्थित है. नलगोन्डा जिले की सीमा आंध्र प्रदेश की सीमा से लगती है. नलगोन्डा तेलुगू दो शब्दों- Nalla और Konda से मिलकर बना है. Nalla का आशय है काली और Konda का आशय है पहाड़ी, यानी नलगोन्डा का अर्थ होता है- कली पहाड़ी. पहले यहां का नाम नीलगिरी हुआ करता था जो यहां के राजपूत शासकों ने दिया था. तेलंगाना राज्य निर्माण के विद्रोह में इस जिले की अहम भूमिका रही है. नलगोन्डा जिले से कई नदियां होकर बहती हैं, जिनमें कृष्णा नदी, Musi नदी, Dindi नदी आदि हैं. नलगोन्डा लोकसभा सीट से टीआरएस के गुथा सुकेंदर रेड्डी सांसद हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
नलगोन्डा लोकसभा सीट अपने अस्तित्व से लेकर अब तक कई दलों के पास रही है. सबसे ज्यादा बार यहां से लेफ्ट के नेता लोकसभा में पहुंचते रहे हैं. 16 लोकसभा चुनाव में से यहां छह बार सीपीआई और एक बार सीपीएम के सांसद चुने गए हैं. इसके बाद यहां से छह बार कांग्रेस को जीत मिली है. इनके अलावा एक बार तेलंगाना प्रजा समिति और दो बार तेलुगू देशम पार्टी के उम्मीदवारों को जीत मिली है. मौजूदा सांसद गुथा सुकेंदर रेड्डी इस सीट से तीसरी बार सांसद चुने गए हैं. वह यहां से वह पहली बार 1999 में सीपीआई के एस. सुधाकर रेड्डी को हराकर जीते थे. अगले चुनावों में सुधाकर रेड्डी ने उन्हें हराया था. इसके बाद 2009 और 2014 में सुकेंदर रेड्डी को ही जीत मिली.
सामाजिक ताना-बाना
2011 की जनगणना के अनुसार यहां की करीब 76 फीसदी आबादी ग्रामीण है तो करीब 24 फीसदी आबादी शहरी है. यहां पर अनुसूचित जाति की आबादी यहां की कुल आबादी की 17.55 फीसदी है तो अनुसूचित जनजाति की आबादी यहां की कुल आबादी का 15.36 फीसदी है. यह जिला देश के 250 सबसे पिछड़े और तेलंगाना के 9 सबसे पिछड़े जिलों में से एक है. नलगोन्डा लोकसभा सीट में सात विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें से देवरकोन्डा सीट ही अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित है, बाकी सीटें अनारक्षित हैं. 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में छह सीटों से टीआरएस और एक सीट से कांग्रेस को जीत मिली थी. नलगोन्डा में पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. इस लोकसभा सीट पर 7,47,281 पुरुष और 7,48,299 महिला यानी कुल 14,95,580 मतदाता हैं. यहां पर 2014 में हुए आम चुनावों में करीब 80 फीसदी मततादातओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था.
2014 का जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में गुथा सुकेंदर रेड्डी को 39.69 फीसदी यानी 4,72,093 वोट मिले थे. उन्होंने टीडीपी के टी. चिनप्पा रेड्डी को करीब 2 लाख वोटों के अंतर से मात दी थी. चिनप्पा रेड्डी को 23.45 फीसदी यानी 2,78,937 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर टीआरएस के डॉ. पी. राजेश्वर रेड्डी रहे थे, उन्हें 21.92 फीसदी यानी 2,60,677 वोट मिले थे. इससे पहले, 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के गुथा सुकेंदर रेड्डी करीब 1.50 लाख वोटों के अंतर से जीते थे. दूसरे नंबर पर सीपीआई के एस. सुधाकर रेड्डी रहे थे.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
नलगोन्डा के सांसद गुथा सुकंदर रेड्डी का संसद में प्रदर्शन औसत से कम रहा है. वह संसद में केवल 47 फीसदी उपस्थिति ही दर्ज करा सके. जबकि इस मामले में राष्ट्रीय औसत 80 फीसदी और उनके राज्य तेलंगाना का औसत 69 फीसदी है. इस दौरान उन्होंने केवल 13 बहसों में हिस्सा लिया, जबकि इस मामले में राष्ट्रीय औसत 65.3 बहसों का और राज्य का औसत 38.2 बहसों का है. सुकंदर रेड्डी सवाल पूछने के मामले में जरूर आगे रहे हैं. उन्होंने सदन में 352 सवाल पूछे, जबकि इस मामले में राष्ट्रीय औसत 285 सवालों का है और राज्य का औसत 295 सवालों का है. अपने कार्यकाल में वह एक भी प्राइवेट मेंबर बिल नहीं लाए. गुथा सुकंदर रेड्डी को अपने संसदीय क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए सांसद निधि से 22.50 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे. इसमें से उन्होंने 20.89 करोड़ रुपये (ब्याज और मूलधन समेत) खर्च किए जो कि यानी मूल आवंटित फंड का 90.86 फीसदी बैठता है. उनके हिस्से में आए 4.15 करोड़ रुपये खर्च नहीं हो सके.