राजस्थान की सीमा से सटा साबरकांठा जिला गुजरात के पिछड़े इलाकों में आता है. यहां की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है. दूध का व्यापार भी यहां बड़े पैमाने पर किया जाता है. राजनीतिक तौर पर यह इलाका कांग्रेस का गढ़ रहा है, और इस सीट से कांग्रेस के बड़े नेता मधुसूदन मिस्त्री जैसे नेता चुनाव जीतते रहे हैं. हालांकि, पिछले दो चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को यहां की जनता ने चुना है. 2014 के चुनाव में बीजेपी के दीप सिंह राठौड़ ने कांग्रेस के शंकर सिंह वाघेला को मात दी थी. गुजरात के वरिष्ठ नेता अब कांग्रेस छोड़कर एनसीपी में शामिल हो गए हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
1951 में इस लोकसभा सीट पर हुए पहले चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. गुलजारी लाल नंदा को इस लोकसभा क्षेत्र से पहला सांसद बनने का गौरव मिला था. इसके बाद लगातार दो और चुनाव जीते. 1967 के चुनाव में कांग्रेस को पहली बार यहां हार मिली, जब स्वतंत्र पार्टी की लहर चली और सी.सी देसाई ने परचम लहराया. इसके बाद 1971 में कांग्रेस के दूसरे धड़े यानी NCO को यहां से जीत मिली. 1977 में भारतीय लोकदल की हवा चली, लेकिन 1980 में फिर कांग्रेस ने वापसी की.
हालांकि, 1984 में जनतंत्र पार्टी को यहां से जीत मिली. 1989 में जनता दल ने बाजी मारी. 1991 में पहली बार बीजेपी ने यहां से खाता खोला और अरविंद त्रिवेदी सांसद चुने गए. इसके बाद 1996 से लेकर 2004 तक कांग्रेस इस सीट से जीतती रही. यहां तक कि 2001 में हुए उपचुनाव में भी कांग्रेस को जीत मिली और वरिष्ठ नेता मधुसूदन मिस्त्री सांसद निर्वाचित हुए. हालांकि, पिछले दो चुनाव यानी 2009 और 2014 में बीजेपी को जीत मिली.
सामाजिक ताना-बाना
2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां की आबादी 2428589 है, इसमें 85.02% ग्रामीण और 14.98% शहरी आबादी है. अनुसूचित जाति की आबादी 7.73% है, जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 22.32 प्रतिशत है. 2018 की वोटर लिस्ट के मुताबिक, यहां मतदाताओं की कुल संख्या 17,515,16 है. राजकोट जिले में करीब 7 फीसदी मुस्लिम आबादी है.
इस लोकसभा क्षेत्र (सामान्य सीट) के अंतर्गत हिम्मतनगर, भिलोडा, ईडर, मोडासा, बायड, खेडब्रह्मा और प्रांतिज है. इनमें भिलोडा और खेडब्रह्मा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है, जबकि ईडर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. 2017 के विधानसभा चुनाव में हिम्मतनगर, ईडर और प्रांतिज से बीजेपी जबकि खेडब्रह्मा, भिलोडा, मोडासा और बायड से कांग्रेस को जीत मिली थी. यानी 3 सीट पर बीजेपी और 4 सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी.
2014 चुनाव का जनादेश
दीप सिंह राठौड़, बीजेपी- 552,205 वोट (50.5%)
शंकर सिंह वाघेला, कांग्रेस- 467,750 (42.8%)
2014 चुनाव का वोटिंग पैटर्न
कुल मतदाता- 16,15,840
पुरुष मतदाता- 8,33,521
महिला मतदाता- 7,82,319
मतदान- 10,94,002 (67.7%)
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
दीप सिंह राठौड़ का पढ़ाई से खास लगाव नहीं रहा, लेकिन राजनीति में उनका अनुभव काफी ज्यादा है. 1998 में वह पहली बार विधानसभा चनाव जीते थे, इसके बाद दूसरी बार भी वह विधायक बने और 2007 तक गुजरात विधानसभा में रहे. पिछड़े समाज से आने वाले दीप सिंह गुजरात विधानसभा में ओबीसी कमेटी के चेयरमैन भी रहे हैं. 2014 में वह पहली बार सांसद बने.
लोकसभा में उपस्थिती की बात की जाए तो उनकी मौजूदगी 95 फीसदी रही है, जो कि औसत से बेहतर है. जबकि बहस के मामले में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है. उन्होंने 27 बार संसद की बहस में हिस्सा लिया. सवाल पूछने के मामले में उनका प्रदर्शन बेहतर रहा और उन्होंने कुल 292 सवाल पूछे.
सांसद निधि से खर्च के मामले में उनका प्रदर्शन अच्छा रहा है. उनकी निधि से जारी 21.10 करोड़ रुपये का वह लगभग 93 प्रतिशत विकास कार्यों पर खर्च करने में कामयाब रहे हैं.
संपत्ति की बात की जाए तो एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी कुल संपत्ति 2 करोड़ रूपये से ज्यादा की है. इसमें 29 लाख से ज्यादा की चल संपत्ति और 1 करोड़ 77 लाख रूपये से ज्यादा की अचल संपत्ति है.