मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ ने अपने बेटे नकुलनाथ के पक्ष में छिंदवाड़ा में चुनाव प्रचार करते हुए कहा कि अगर उनका बेटा काम ना करे तो लोग उसके कपड़े फाड़ दें. छिंदवाड़ा से 9 बार सांसद रहे कमलनाथ ने कहा कि अब उन्होंने जनता की सेवा करने का जिम्मेदारी अपने बेटे को सौंपी है. उन्होंने कहा ‘मैं आज जहां हूं वहां इसलिए हूं क्योंकि आपने मुझे प्यार और ताकत दी है. नकुल आज यहां नहीं है, लेकिन वह आपकी सेवा करेगा.’
कमलनाथ ने पीएम नरेंद्र मोदी और मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर लोगों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया. रविवार को कांग्रेसी नेता छिंदवाड़ा मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर धनोरा गांव में जनता को संबोधित कर रहे थे. यह क्षेत्र अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के तहत आता है. बता दें कि सीएम कमलनाथ छिंदवाड़ा सीट से 9 बार सांसद रहे हैं, लेकिन अब उन्होंने अपने बेटे नकुलनाथ के लिए यह सीट छोड़ दी है.
कमलनाथ फिलहाल छिंदवाड़ा विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ रहे हैं. हाल ही में 9 अप्रैल को पिता-पुत्र की जोड़ी ने एक ही सीट से विधानसभा और लोकसभा के लिए नामांकन दाखिल कर इतिहास बनाया है. छिंदवाड़ा में 29 अप्रैल को मतदान होना है. बीते लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में भाजपा ने 26 और कांग्रेस ने 3 सीटें जीती थी.
कमलनाथ के लिए विधायक ने खाली की थी सीट
दो महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा से चुनकर आए कांग्रेस विधायक दीपक सक्सेना ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने छिंदवाड़ा सीट मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए खाली की है ताकि मुख्यमंत्री छिंदवाड़ा विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ सकें. मुख्यमंत्री कमलनाथ फिलहाल विधायक नहीं हैं और मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के छह महीने के अंदर उन्हें विधायक बनना जरूरी है.
1996 में कांग्रेस ने नहीं दिया था टिकट
1980 में कांग्रेस की ओर से कमलनाथ मैदान में उतरे. उन्होंने अपने पहले ही चुनाव में जीत हासिल की और राजनीतिक करियर की एक शानदार शुरुआत की. कमलनाथ 1980 से लेकर 1991 तक हुए 3 चुनावों में जीत हासिल किए. 1996 के चुनाव में इस सीट पर कमलनाथ की पत्नी अलकानाथ लड़ीं. यहां की जनता ने उन्हें भी निराश नहीं किया और उन्होंने बीजेपी के चौधरी चंद्रभान सिंह को मात दी. हालांकि 1996 में हवाला कांड में नाम आने के बाद कांग्रेस ने कमलनाथ को टिकट नहीं दिया था. बाद में कमलनाथ की पत्नी ने इस्तीफा दे दिया. जिसके कारण 1997 में यहां पर उपचुनाव हुआ.कमलनाथ एक बार फिर मैदान में उतरे.
उनके सामने बीजेपी के दिग्गज नेता सुंदरलाल पटवा थे. इस चुनाव में पटवा ने कमलनाथ के सपने को तोड़ दिया और इस सीट पर पहली बार कमलनाथ को हार मिली. हालांकि अगले साल 1998 में फिर चुनाव हुए और पटवा कमलनाथ से हार गए. 1998 से लेकर 2014 तक इस सीट पर हुए 5 चुनावों में सिर्फ और सिर्फ कमलनाथ का ही जादू चला है.
(पीटीआई के इनपुट के साथ)
चुनाव की हर ख़बर मिलेगी सीधे आपके इनबॉक्स में. आम चुनाव की ताज़ा खबरों से अपडेट रहने के लिए सब्सक्राइब करें आजतक का इलेक्शन स्पेशल न्यूज़लेटर