आंध्र प्रदेश की काकीनाडा लोकसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है, लेकिन तेलुगू देशम पार्टी के गठन के बाद कांग्रेस की चमक यहां फीकी पड़ गई है. वर्तमान में इस सीट पर टीडीपी नेता थोटा नरसिम्हम लोकसभा सांसद हैं. पूर्वी गोदावरी जिले के तहत आने वाले काकीनाडा खेती के लिए मशहूर है.
यहां खेतों में गोदावरी नदी के पानी की पहुंच के कारण चावल की पैदावार अच्छी होती है. यही कारण है कि इसे आंध्र प्रदेश का ‘चावल का कटोरा’ कहा जाता है. यही नहीं, समुद्री तट पर बसे होने के कारण काकीनाडा मछलियों के व्यापार भी एक बड़ा केंद्र है. काकीनाडा उन चुनिंदा 20 शहरों में से एक है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्मार्ट सीटी मिशन के तहत विकसित करने के लिए चुना गया था.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
काकीनाडा लोकसभा सीट पर हुए पहले आम चुनाव में कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी. इस सीट पर अभी तक के चुनावों में सीपीआई की यह पहली और आखिरी जीत रही. वर्तमान में सीपीआई इस सीट पर अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है. वहीं, टीडीपी के चुनावी मैदान में उतरने के बाद शुरुआती दिनों में एकतरफा दबदबा रखने वाली कांग्रेस की पकड़ भी ढीली हुई है.
कांग्रेस ने इस सीट पर सबसे ज्यादा 9 बार जीत हासिल की जिसमें 6 बार 1982 से पहले जीत हासिल की और इसके बाद हुए 9 चुनावों में मजह 3 बार ही कांग्रेसी उम्मीदवार संसद पहुंच सके. 1982 में अस्तित्व में आई टीडीपी ने शुरू से ही अपनी पकड़ बनाई हुई है. इस सीट पर टीडीपी को 5 बार जीत मिली है, वहीं भारतीय जनता पार्टी ने भी एक बार 1998 में जीत हासिल की थी. 2014 के आम चुनाव में टीडीपी नेता थोटा नरमिम्हम ने जीत दर्ज की थी.
सामाजिक ताना-बाना
समुद्र किनारे बसे काकीनाडा में अधिकतर लोग कृषि और मछली-पालन का काम करते हैं. काकीनाडा कापू समुदाय बहुल इलाका है. यह आंध्र का चौथा सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला शहर है. यहां कुल 1,418,290 वोटर हैं, जिसमें 709,103 पुरुष और 709,050 महिलाएं हैं. 2014 के आम चुनाव में 77.68 फीसदी मतदान हुआ. काकीनाडा लोकसभा क्षेत्र में 7 विधानसभाएं आती हैं, जिसमें तीन सीटों (काकीनाडा सिटी, पेड्डापुरम और काकीनाडा देहात) पर टीडीपी, तीन (टूनी, प्राथि पाडू और जग्गमपेटा) पर वाईएसआर कांग्रेस और पिठापुरम सीट पर निर्दलिय विधायक है.
कापू समुदाय का महत्व
आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले के तहत आने वाले काकीनाडा लोकसभा क्षेत्र में कापू समुदाय का दबदबा माना जाता है. थोटा नरसिम्हम भी कापू समुदाय से आते हैं. तेलुगू में कापू शब्द का मतलब किसान होता है. कापू समुदाय अगड़ी जातियों में आता है. आनुमानित तौर पर आंध्र की आबादी में कापू समुदाय के लोगों की संख्या 16 से 20 फीसदी के बीच है. प्रदेश में तटीय इलाकों उतने ही ताकतवर हैं जितने जाट और पाटीदार अपने-अपने राज्यों में हैं.
2014 का जनादेश
2014 के आम चुनावों से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए थोटा नरसिम्हम ने तेलुगू देशम पार्टी का दामन थाम लिया. टीडीपी ने उन पर भरोसा जताते हुए 2014 में काकीनाडा लोकसभा सीट से टिकट थमाया, जिसके बाद उन्होंने महज 3431 वोटों से जीत दर्ज की. थोटा ने वाईएसआर कांग्रेस के उम्मीदवार चलमलासेट्टी सुनील को हराया. वहीं, इस सीट से 2 बार के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री एमएम पल्लम राजू की हार से कांग्रेस से बड़ा झटका लगा. उन्हें कुल 19754 वोट मिले जो कि कुल मतदान का 1.79 फीसदी है.
टीडीपी सांसद नरसिम्हम इससे पहले कांग्रेस पार्टी में रहते हुए दो बार विधायक रहे. आंध्र प्रदेश के बंटवारे को लेकर विधेयक के संसद में पास होने के बाद नरसिम्हम ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और टीडीपी में शामिल हो गए थे. वह जग्गमपेट विधानसभा से 2004 और 2009 में विधायक बने थे.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
बी.कॉम और ICWA की पढ़ाई करने वाले सांसद नरसिम्हम का सदन में मौजूदगी का बेहतर रिकॉर्ड रहा है. सदन में उनकी हाजिरी 94 फीसदी रही है. इस दौरान उन्होंने 66 बहस में हिस्सा लिया और 129 सवाल पूछे हैं. इस दौरान उन्होंने कोई प्राइवेट बिल पेश नहीं किया. अपने संसदीय क्षेत्र के विकास कार्यों में उन्होंने 19.14 करोड़ रुपये की राशि खर्च की है.