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आंध्र: नरसारावपेट में TDP के पास हैट्रिक का मौका, YSR बिगाड़ सकती है खेल

गुंटूर का प्रमुख कॉमर्शियल सेंटर होने के बावजूद नरसारावपेट की अधिकतर आबादी कृषि पर निर्भर है. उपजाऊ जमीन होने के कारण यहां पर धान, मिर्ची, तंबाकू, कॉटन और दाल की जबरदस्त खेती होती है. नरसारावपेट को पहले अटलूरू के नाम से जाना जाता था, लेकिन एक समय ऐसा आया जब राजा मलराजू नरसा राव ने इसके नाम को बदलकर नरसारावपेट कर दिया.

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सांसद आरएस राव
सांसद आरएस राव

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आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के तहत आने वाले नरसारावपेट लोकसभा सीट पर लंबे समय तक कांग्रेस का दबदबा रहा है. हालांकि, तेलुगू देशम पार्टी के अस्तित्व में आने के बाद कांग्रेस का ग्राफ नीचे गिरा है. वर्तमान में यहां से टीडीपी नेता रायपति संभाशिव राव (आरएस राव) लोकसभा सांसद हैं. पर्यटन के दृष्टि से भी यह क्षेत्र काफी महत्व रखता है. यहां कोटाप्पकोंडा स्थित भगवान शिव की विशाल प्रतिमा पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है.

गुंटूर का प्रमुख कॉमर्शियल सेंटर होने के बावजूद नरसारावपेट की अधिकतर आबादी कृषि पर निर्भर है. उपजाऊ जमीन होने के कारण यहां पर धान, मिर्ची, तंबाकू, कॉटन और दाल की जबरदस्त खेती होती है. नरसारावपेट को पहले अटलूरू के नाम से जाना जाता था, लेकिन एक समय ऐसा आया जब राजा मलराजू नरसा राव ने इसके नाम को बदलकर नरसारावपेट कर दिया.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

कांग्रेस ने इस सीट पर सबसे ज्यादा 10 बार जीत हासिल की है. वहीं तेलुगू देशम पार्टी को 4 बार जीत मिल पाई है. 1982 में टीडीपी की स्थापना हुई और उसके बाद हुए 9 आम चुनावों में भी कांग्रेस का ही पलड़ा भारी रहा है, उसे 5 बार जीत हासिल हुई है. हालांकि, पिछले दो चुनावों से यह सीट टीडीपी के पास है. 2009 में टीडीपी को महज 1,607 वोटों से जीत हासिल हुई थी. वहीं 2014 में टीडीपी नेता आरएस राव ने 35 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत दर्ज की.

विधानसभाओं में टीडीपी का दबदबा

2014 के आंकड़ों के मुताबिक इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 1514861 मतदाता हैं, जिसमें से 748474 पुरुष और 766262 महिला मतदाता हैं. 2014 के आम चुनाव में 84.68 फीसदी वोट पड़े. इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 7 विधानसभाएं आती हैं, जिसमें से पांच में (पेडाकुरापुडू, चिलकालूरिपेट, सत्तेनापल्ली, विनुकोंडा और गुरजाला) में टीडीपी के विधायक हैं. वहीं, अन्य दो (नरसारावपेट और मचेर्ला) में वाईएसआर विधायक हैं.

2014 का जनादेश

मौजूदा सांसद आरएस राव ने 2014 के आम चुनाव में कुल 6,32,464 वोट प्राप्त किए थे, वहीं वाईआरएस कांग्रेस के उम्मीदवार को 5,97,184 वोट मिले थे. आरएस राव ने वाईआरएस कांग्रेस के अयोध्या रामी रेड्डी को 35 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हाराया. इस चुनाव में कांग्रेस को काफी नुकसान झेलना पड़ा. एक तरफ जहां टीडीपी को 49.30 फीसदी और वाईएसआर को 46.55 फीसदी वोट मिले तो वहीं कांग्रेस को महज 1.79 फीसदी वोटों से संतुष्ट होना पड़ा.

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सांसद का रिपोर्ट कार्ड

कांग्रेस पार्टी से अपनी राजनीति की पारी शुरुआत करने वाले आरएस राव ने 2014 के आम चुनाव से ठीक पहले टीडीपी का दामन थाम लिया और नरसारावपेट लोकसभी सीट से चुनाव जीते. कांग्रेस पार्टी में रहते हुए आरएस राव 1982 में राज्यसभा पहुंचे और 1988 तक राज्यसभा सांसद रहे. इसी दौरान उन्हें कांग्रेस में दूसरी बड़ी जिम्मेदारी दी गई और उन्हें आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कोषाध्यक्ष बनाया गया. यही वो दौर था जब उन्हें पार्टी ने आंध्र प्रदेश में महासचिव बनाया. इसके बाद 1991 से 1994 तक आंध्र प्रदेश की कांग्रेस सरकार में राव 20 सूत्री कार्यक्रम संबंधी समिति के सभापति भी रहे.

1996 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर लोकसभा पहुंचे. 1998 में दोबारा जनता ने उनपर भरोसा जताया और लगातार दूसरी बार उन्हें लोकसभा सांसद बनने का मौका मिला. हालांकि, 1999 में राव जीत की हैट्रिक लगाने में असफल रहे. लेकिन उन्हें ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा और फिर 2004 में उन्होंने चुनाव लड़ा और जीतकर तीसरी बार लोकसभा सांसद बनने का गौरव हासिल किया. इस समय तक उन्हें चुनाव जिताऊ चेहरा माना जाने लगा. इस बीच उन्हें भारत-चिली संसदीय मैत्री समूह का उपाध्यक्ष चुना गया.

2004 में मिली जीत को बरकरार रखते हुए, 2009 और 2014 में भी लोकसभा का चुनाव जीता और संसद पहुंचे. दिलचस्प यह है कि कांग्रेस में रहते हुए एक बार राज्यसभा और चार बार लोकसभा पहुंचने वाले राव ने 2014 के आम चुनाव से पहले टीडीपी का दामन थाम लिया और पार्टी ने भी उन पर भरोसा जताते हुए टिकट थमाया, जिसके बाद उन्होंने जीत हासिल की.

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पांच बार संसद पहुंचने वाले आरएस राव की संसद में 38 फीसदी उपस्थिति रही है. इस दौरान उन्होंने सदन में होने वाली 5 बहस में हिस्सा लिया और 350 सवाल पूछे. अपने संसदीय क्षेत्र के अंदर विकास कार्यों पर उन्होंने 17.72 करोड़ रुपये सांसद निधि से खर्च किया.

सांसद आरएस राव लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय नेता हैं. अपने क्षेत्र में नियमित तौर पर घूमकर लोगों की परेशानी को जानना और उन्हें दूर करने वाली छवि के कारण क्षेत्र की जनता इन्हें पसंद करती है. राव जरूरतमंद गांव के लोगों के लिए अपने खर्च पर पानी की सुविधा मुहैया करा चुके हैं. पानी के टैंकर के अलावा गरीब लोगों को वित्तीय सहायता भी करते रहे हैं.

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