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लोकसभा: दक्षिण की 'सुषमा स्वराज' पर BJP की नजर, 2014 में मिली थी हार

राजमपेट लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 11 बार जीत दर्ज की है. वहीं, तेलुगू देशम पार्टी महज 2 बार इस सीट पर कब्जा कर पाई है. एक समय में इस सीट पर स्वतंत्र पार्टी का वर्चस्व था, इस पार्टी ने 1962 के आम चुनावों में यह हासिल की थी लेकिन उसके बाद स्वतंत्र पार्टी को यह सीट दोबारा नहीं मिल सकी.

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एल के आडवाणी और सुषमा स्वराज के साथ दग्गुबती पुरंदेश्वरी
एल के आडवाणी और सुषमा स्वराज के साथ दग्गुबती पुरंदेश्वरी

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आंध्र प्रदेश का राजमपेट कडप्पा जिला का एक शहर है. राजमपेट लोकसभा सीट रायलसीमा क्षेत्र के 8 संसदीय क्षेत्रों में से एक है. इस सीट पर शुरू से ही कांग्रेस का दबदबा रहा है, हालांकि 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बनी वाईएसआर कांग्रेस के उम्मीदवार पीवी मिधुन रेड्डी को जीत मिली. उन्होंने प्रदेश बीजेपी के सबसे मजबूत चेहरों में से एक दग्गुबती पुरंदेश्वरी को मात दी.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

राजमपेट लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 11 बार जीत दर्ज की है. वहीं, तेलुगू देशम पार्टी महज 2 बार इस सीट पर कब्जा कर पाई है. एक समय में इस सीट पर स्वतंत्र पार्टी का वर्चस्व था, इस पार्टी ने 1962 के आम चुनावों में यह हासिल की थी लेकिन उसके बाद स्वतंत्र पार्टी को यह सीट दोबारा नहीं मिल सकी.

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राजमपेट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता साई प्रताप अन्नययागरी ने सबसे ज्यादा 6 बार जीत हासिल की है, तो वहीं 4 बार पूर्व कांग्रेस सांसद पोथुराजू पार्थसारथी के पास रही है. दिलचस्प यह है कि पूरे प्रदेश में गठन के बाद से ही असर दिखाने वाली टीडीपी को इस सीट पर मजह दो बार (1984 और 1999 में) ही जीत मिल सकी है. 2014 के आम चुनाव में भी टीडीपी तीसरे नंबर पर खिसक गई थी.

विधानसभा में वाईएसआर का दबदबा

राजमपेट लोकसभा क्षेत्र में वाईएसआर कांग्रेस के मजबूत होने का एक बड़ा कारण यहां की विधानसभाओं में वाईएसआर का दबदबा होना है. राजमपेट लोकसभा में 7 विधानसभाएं आती हैं, जिसमें से पांच विधानसभाओं में कोदूर, रायचोटी, पीलेरु, मदनपल्ली और पुंगनूर में वाईएसआर कांग्रेस के विधायक हैं.

वहीं , दो अन्य विधानसभाओं (राजमपेट और थान्बलापल्ले) में टीडीपी का कब्जा है. कोदूर विधानसभआ अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. 2014 के आम चुनाव के मुताबिक राजमपेट लोकसभा सीट पर कुल 14,87,791 मतदाता हैं. जिसमें महिलाओं (7,52,029) की संख्या पुरुषों (7,35,613) से ज्यादा है. जानकारी के मुताबिक इस लोकसभा क्षेत्र की 78 फीसदी जनता ग्रामीण इलाके में रहती है और 22 फीसदी लोग शहर में रहते हैं.

2014 का जनादेश

2014 का आम चुनाव राजमपेट लोकसभा सीट के लिए काफी अप्रत्याशित रहा. यह इसलिए क्योंकि इस सीट पर कांग्रेस, बीजेपी और टीडीपी तीनों पार्टियों को मुंह की खानी पड़ी और वाईएसआर कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया. वाईएसआर कांग्रेस के नेता पीवी मिधुन रेड्डी ने 51.82 फीसदी वोट शेयर के साथ 174,763 वोटों के भारी अंतर से बीजेपी उम्मीदवार दग्गुबती पुरंदेश्वरी को हराया.

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वाईएसआर कांग्रेस की तकत के सामने कांग्रेस के सबसे मजबूत चेहरे और 6 बार के विजेता साई प्रताप अन्नायागरी को न सिर्फ हार का सामना करना पड़ा बल्कि उनकी जमानत राशि भी जब्त हो गई. वोट शेयर (2.53 फीसदी) के मामले में वो खिसककर चौथे स्थान पर चले गए. कांग्रेस के अलावा बीजेपी ने भी इस सीट पर अपने सबसे मजबूत उम्मीदवारों में से एक दग्गुबती पुरंदेश्वरी को उतारा था. पुरंदेश्वरी टीडीपी के संस्थापक और आंध्र प्रदेश की राजनीति में अपने नाम का लोहा मनवा चुके एनटी रामाराव की बेटी हैं.

उन्हें दक्षिण भारत की सुषमा स्वराज के नाम से जाना जाता है. पुरंदेश्वरी कांग्रेस के टिकट पर 2004 और 2009 में क्रमश: विशाखापत्तनम और बापटला लोकसभा से चुनाव जीत चुकी हैं. हालांकि, इसके बाद उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया लेकिन 2014 में मोदी लहर होने के बावजूद उन्हें 1,74,762 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा. इस सीट पर वोट शेयर की बात करें तो वाईएसआर कांग्रेस 51.82 फीसदी, बीजेपी को 36.77 फीसदी और कांग्रेस को 2.53 फीसदी वोट प्राप्त हुए.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

वाईएसआरसीपी के सांसद पी वी मिधुन रेड्डी ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जे देने की मांग को लेकर 2018 के अप्रैल में लोकसभा स्पीकर को अपना इस्तीफा दे दिया था. पोस्ट ग्रेजुएट मिधुन रेड्डी की सदन में 53 फीसदी उपस्थिति रही है. इस दौरान उन्होंने 19 बहस में हिस्सा लिया और 171 सवाल पूछे. इसके अलावा उन्होंने सांसद निधि में से 19.21 करोड़ खर्च किए.

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