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बालासोर सीट: कांग्रेस से बगावत के बाद श्रीकांत जेना की परीक्षा

Balasore lok sabha constituency 2019 बालासोर ओडिशा का ऐसा लोकसभा सीट है, जहां बीजेपी 3 बार चुनाव जीत चुकी है. इस सीट पर बीजू जनता दल ने 2014 में पहली बार जीत हासिल की. आजादी के बाद शुरुआती लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस की बादशाहत रही.

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कांग्रेस से हटाए गए श्रीकांत जेना (फोटो-फेसबुक/srikantjena)
कांग्रेस से हटाए गए श्रीकांत जेना (फोटो-फेसबुक/srikantjena)

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खूबसूरत समुद्री तटों से घिरा बालासोर जिला ओडिशा का एक मनोरम इलाका है. ये जिला तीन ओर से जमीन से तो एक ओर बंगाल की खाड़ी से घिरा है. चांदीपुर, तलसारी, चौमुख जैसे कुछ सुंदर समुद्री किनारे इस जिले की शोभा बढ़ाते हैं. समुद्री तट के किनारे बसे होने की वजह से मत्स्य पालन यहां के लोगों का रोजगार का प्रमुख साधन है.

हाल ही में कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ बगावत का बिगूल फूंकने वाले श्रीकांत जेना 2009 में यहां से सांसद बने थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व से उनकी नहीं पटी वह राज्य में किनारे पड़ते गए. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जब उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर कर दिया तो उन्होंने यहकर ओडिशा से लेकर दिल्ली तक का राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया कि अगर उन्होंने मुंह खोला तो राहुल गांधी मुंह दिखाने के लायक नहीं रह जाएंगे. ऐसे में उनका अगला कदम राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है.

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इस बीच हाल ही में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ओडिशा में श्रीकांत जेना के साथ मंच शेयर किया था. माना जा रहा है कि ओडिशा में आम आदमी पार्टी श्रीकांत जेना के संगठन सामाजिक न्याय अभिजन के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

बालासोर ओडिशा का ऐसा लोकसभा सीट है, जहां बीजेपी 3 बार चुनाव जीत चुकी है. इस सीट पर बीजू जनता दल ने 2014 में पहली बार जीत हासिल की. आजादी के बाद शुरुआती लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस की बादशाहत रही. 1951, 57 और 62 का चुनाव कांग्रेस ने जीता. 1967 में सीपीआई ने इस सीट पर अपना खाता खोला और समरेन्द्र कुंडू विजयी हुए . 1971 में कांग्रेस ने यहां फिर वापसी की. 1977 में इंदिरा विरोधी लहर के बाद कांग्रेस यहां से हार गई और समरेन्द्र कुंडू एक बार फिर से चुनाव जीते.

1980 और 84 में कांग्रेस का परचम इस सीट पर फिर फहराया. 1989 के चुनाव में समरेंद्र कुंडू जनता दल के टिकट पर चुनाव जीते.  1991 और 96 में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई.  अटल-आडवाणी के दौर में इस सीट कमल खिला. 1998, 99 और 2004 में यहां बीजेपी के टिकट पर खारबेला स्वैन चुनाव जीते. 2009 में बीजेडी और बीजेपी के बीच गठबंधन में हुई टूट का फायदा कांग्रेस को मिला और इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर श्रीकांत जेना विजयी रहे. हालांकि 2014 में यहां से बीजेडी के रवीन्द्र कुमार जेना विजयी हुए.

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हाल ही में श्रीकांत जेना को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से हटा दिया है. हालांकि जेना पिछले साल दिसंबर में ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी से इस्तीफा दे चुके थे. पार्टी से हटाने के बाद श्रीकांत जेना ने ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष निरंजन पटनायक पर माइनिंग घोटाले में शामिल रहने का आरोप लगाया था. श्रीकांत जेना ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर भी हमला किया था और कहा था कि अगर वह राहुल गांधी की पोल खोलेंगे तो वह मुंह दिखाने लायक नहीं रह जाएंगे. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि श्रीकांत जेना अगले लोकसभा चुनाव में किस पार्टी का दामन थामते हैं, अथवा निर्दलीय मैदान में उतरते हैं.

सामाजिक ताना-बाना

बालासोर जिले का गठन 1828 ईस्वी में बंगाल प्रेसीडेंसी के तहत किया गया था. बालासोर संसदीय क्षेत्र  का विस्तार बालेश्वर और मयूरभंज जिले में है. 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी 23 लाख 17 हजार 419 है. यहां पर अनुसूचित जाति की आबादी 18.66 प्रतिशत है, जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 17.89 प्रतिशत है. कृषि और मत्स्य बालासोर में रोजी रोटी का प्रमुख साधन है. हालांकि कुछ औद्योगिक यूनिट्स भी इस जिले में अब काम कर रहे हैं. इनमें बिरला टायर्स, बालासोर एलॉयज लिमिटेड, इमामी पेपर मिल्स प्रमुख हैं. खेती की बात करें तो इस क्षेत्र में धान, दलहन, तिलहन, सरसों की उपज प्रमुख रूप से होती है.  

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2014 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक बालासोर में कुल 13 लाख 66 हजार 218 मतदाता हैं. इसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 7 लाख 09 हजार 342 है. जबकि महिला मतदताओं की संख्या 6 लाख 56 हजार 876 है. 2014 में इस सीट पर बंपर वोटिंग हुई थी और 76.81 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था.

बालासोर लोकसभा के तहत विधानसभा की 7 सीटें आती हैं. ये सीटें हैं- जलेस्वर, भोगरई, बस्ता, बालासोर, रमुना, नीलगिरि और सिमुलिया. 2014 के विधानसभा चुनाव में रमुना सीट पर बीजेपी के कैंडिडेट की जीत हुई थी, जबकि बाकी सीटों पर बीजेडी के उम्मीदवारों के सिर पर जीत का सेहरा बंधा था.

2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट में बड़ा फेरबदल हुआ. 2009 में चुनाव जीतकर केंद्रीय मंत्री बनने वाले कांग्रेस के नेता रहे श्रीकांत जेना को इस सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा. इस चुनाव में वह तीसरे नंबर पर आ गए. बीजू जनता दल के रवीन्द्र कुमार जेना 4 लाख 33 हजार 768 वोट लाकर पहले नंबर पर रहे. उन्होंने 1 लाख 41 हजार 825 वोटों से चुनाव जीता. बीजेपी के प्रताप चंद्र सारंगी 2 लाख 91 हजार 943 वोट लाकर दूसरे नंबर पर रहे. पूर्व केन्द्रीय मंत्री को 2 लाख 77 हजार 517 वोट मिले. सीपीआई के प्रशांत कुमार मिश्रा को भी लगभग 15 हजार वोट मिले.

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सांसद का रिपोर्ट कार्ड

51 साल के रवीन्द्र कुमार जेना  2014 में पहली बार सांसद बने. जेना ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. राजनीति के अलावा रवीन्द्र कुमार जेना सामाजिक कामों में सक्रिय रहते हैं. रवींद्र कुमार जेना दो बच्चों के पिता हैं, उन्हें एक बेटा और एक बेटी है. वह ट्विटर और फेसबुक पर भी सक्रिय हैं, फेसबुक पर  Rabindra Kumar Jena के नाम से उनका वैरीफाइट अकाउंट है.

संसद में उपस्थित रहने के मामले में रवीन्द्र कुमार जेना का उम्दा प्रदर्शन रहा है. संसद में उनकी हाजिरी 96 प्रतिशत रही है. वह सदन की 321 बैठकों में से 308 दिन मौजूद रहे. लोकसभा में उन्होंने 501 सवाल पूछे. वह सदन की 324 डिबेट्स में मौजूद रहे. उन्होंने सदन में 20 निजी बिल भी पेश किए. सांसद निधि फंड के तहत उन्होंने विकास के कार्यों पर 15 करोड़ 77 लाख रुपये खर्च किए.

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