बेंगलुरु ग्रामीण लोकसभा सीट कर्नाटक की 28 सीटों में एक है और यह देश की बड़ी लोकसभा सीटों में गिनी जाती है. यहां करीब 24 लाख वोटर हैं. यह सीट साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई है और 2009 में यहां पहला चुनाव लड़ा गया था. इस सीट से कर्नाटक के मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एच डी कुमारस्वामी पहले सांसद थे. इसके बाद से इस सीट पर लगातार 2 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है, इसमें 2013 का उपचुनाव भी शामिल है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
कांकापुर लोकसभा क्षेत्र को खत्म कर साल 2008 में हुए परिसीमन में इस सीट का उदय हुए था. इस सीट पर अब तक कुल 3 बार चुनाव में हुए हैं जिनमें एक बार जेडीएस और 2 बार कांग्रेस को जीत मिली है. इस सीट का ऐतिहासिक महत्व भी है क्योंकि कांकापुर सीट रहने के दौरान इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस नेता एच डी देवगौड़ा चुनाव जीत चुके हैं. पूर्व में इस सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता एम वी चंद्रशेखर मूर्ति 5 बार सांसद रह चुके हैं.
सामाजिक तानाबाना
बेंगलुरु ग्रामीण लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल 27.5 लाख आबादी आती है जिसमें से ग्रामीण आबादी 48 फीसदी के करीब है. इस सीट पर रहने वाली 51 फीसदी आबादी शहरी है. अनुसूचित जाति की आबादी कुल का 16 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की आबादी करीब 2.15 फीसदी है. सीट के अंतर्गत करीब 24 लाख वोटर आते हैं जिनमें करीब 12.35 लाख पुरुष और करीब 11.54 लाख महिला वोटर शामिल हैं. इस सीट पर वोकलिंगा और ओबीसी वोट निर्णायक भूमिका निभाता रहा है.
2014 का जनादेश
साल 2014 की मोदी लहर के बीच कांग्रेस जिन सीटों को बचाने में कामयाब रही उनमें बेंगलुरु ग्रामीण की सीट भी शामिल है. यहां कांग्रेस के डीके सुरेश ने बीजेपी के मुनिराजू गौड़ा को करीब 2.31 लाख वोटों से शिकस्त दी थी. सुरेश को तब 6.52 लाख वोट मिले जबकि गौड़ा को 4.21 लाख वोट ही हासिल हो सके. इस सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में करीब 66 फीसदी मतदान हुआ था. इस चुनाव में जेडीएस, AAP और बसपा क्रमश: तीसरे, चौथे औरर 5वें पायदान पर रही थीं.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
बेंगलुरु ग्रामीण से सांसद डी के सुरेश (52) लगातार 2 बार इसी सीट से लोकसभा सदस्य रहे हैं. उनके एक बेटा है. सांसद ने 12वीं तक ही पढ़ाई की है और पेशे से किसान हैं. साल 2104 के हलफनामे के मुताबिक सांसद के पास करीब 86 करोड़ की संपत्ति है और उनके खिलाफ 8 आपराधिक मामले दर्ज हैं. सुरेश ने सांसद निधि के तहत आवंटित कुल राशि 22.5 करोड़ रुपये का 90 फीसदी अपने संसदीय क्षेत्र के विकास में खर्च किया है.
सांसद की लोकसभा में उपस्थिति का रिकॉर्ड अच्छा है और वह 84 फीसदी से ज्यादा उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं. इसके अलावा उन्होंने सांसद के तौर पर 637 सवाल पूछे और 85 चर्चाओं में हिस्सा लिया.