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बिहार: पहले चरण में एनडीए के तीनों दलों की अग्निपरीक्षा, मैदान में नहीं है कांग्रेस

लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार की सियासी लड़ाई राजनीतिक दलों के बजाय दो गठबंधनों के बीच है. पहले चरण में बिहार की गया, नवादा, जमुई और औरंगाबाद सीट पर 11  अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. पहले दौर की सियासी लड़ाई एनडीए बनाम महागठबंधन के बीच होती नजर आ रही है.

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चिराग पासवान, रामविलास पासवान, अमित शाह, नीतीश कुमार (फोटो-twitter)
चिराग पासवान, रामविलास पासवान, अमित शाह, नीतीश कुमार (फोटो-twitter)

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लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार की सियासी लड़ाई राजनीतिक दलों की बजाय दो गठबंधनों के बीच है. पहले चरण में बिहार की गया, नवादा, जमुई और औरंगाबाद सीट पर 11  अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. पहला दौर एनडीए के सहयोगी दल बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी की राजनीतिक ताकत की अग्निपरीक्षा है. वहीं, महागठबंधन के सहयोगी दल आरजेडी, आरएलएसपी और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा की प्रतिष्ठा भी दांव पर है. जबकि कांग्रेस इस दौर में किसी भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ रही है.

बिहार की जिन चार सीटों पर पहले चरण में चुनाव हो रहे हैं. ये सभी सीटें झारखंड से लगी हुई हैं. इसी के चलते नक्सल प्रभावित मानी जाती हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में ये सभी सीटें एनडीए के खाते में गई थीं. बीजेपी ने गया, नवादा और औरंगाबाद सीट पर जीत हासिल की थी. जबकि एलजेपी जमुई सीट पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही थी.

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एनडीए की ओर से नवादा और जमुई सीट पर एलजेपी चुनावी मैदान में है. जबकि गया सीट पर जेडीयू और औरंगाबाद सीट पर बीजेपी चुनाव लड़ रही है. जबकि महागठबंधन की ओर से औरंगाबाद और गया सीट पर जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा चुनाव लड़ रही है. जबकि नवादा सीट पर आरएलडी और जमुई सीट पर आरएलएसपी चुनावी मैदान में है.

नवादा: LJP बनाम RJD

बिहार की नवादा सीट पर एनडीए की ओर से एलजेपी ने चंदन सिंह तो महागठबंधन की ओर से आरजेडी ने विभा देवी पर दांव लगाया है. हालांकि इस सीट पर और भी उम्मीदवार हैं, लेकिन एलजेपी और आरजेडी के बीच सीधी लड़ाई होने के साथ-साथ दो बाहुबलियों के बीच भी वर्चस्व की जंग है. चंदन कुमार जहां बाहुबली सूरजभान सिंह के भाई हैं, वहीं विभा देवी राजबल्लभ यादव की पत्नी हैं.

2014 के लोकसभा चुनाव में नवादा सीट पर बीजेपी के गिरिराज सिंह ने आरजेडी के राजवल्लभ यादव को 1 लाख 40 हजार मतों से मात दी थी. पिछले चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत की वजह जेडीयू से भी यादव प्रत्याशी के उतरने के चलते हुए थी. जेडीयू के कौशल यादव को 1 लाख 68 हजार 217 वोट मिले थे. इस बार के रण में यादव समुदाय से एकलौते उम्मीदवार हैं. ऐसे में यादव वोटों के बिखराव की बहुत कम संभावना मानी जा रही है. जबकि गिरिराज सिंह की जगह चंदन सिंह मैदान में है. बीजेपी के बजाय एलजेपी के खाते में सीट गई है. इस तरह से दोनों के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा है.

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औरंगाबाद: बीजेपी और HAM के बीच लड़ाई

बिहार की राजपूत बहुल औरंगाबाद लोकसभा सीट पर बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद सुशील कुमार को उतारा है. जबकि महागठंबन की ओर से हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (HAM) ने उपेंद्र प्रसाद पर दांव लगाया है. हालांकि इस सीट पर 9 प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी बनाम हम के बीच है.

हालांकि ये कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है, लेकिन इस बार गठबंधन में मांझी के पार्टी के खाते में गई है. ऐसे में महागठबंधन को इस सीट पर कांग्रेस की नाराजगी उठानी पड़ सकती है. जबकि बीजेपी इस बार जेडीयू के साथ गठबंधन होने के नाते बड़ी जीत की उम्मीद लगाए हुए हैं. लेकिन महागठबंधन ने जिस तरह राजनीतिक समीकरण सेट किए हैं, ऐसे सीधी लड़ाई दिखाई दे रही है.

जमुई: पासवान की सियासी विरासत बचाने की जंग

जमुई लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. एनडीए के तहत ये सीट एलजेपी के खाते में गई है और यहा से रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान दूसरी बार मैदान में उतरे हैं. जबकि, महागठबंधन की ओर से आरएलएसपी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष भूदेव सिंह को उतारा है.

2014 के लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान ने 85 हजार 945 मतों से जीत हासिल की थी. इस बार के राजनीतिक समीकरण बदले हुए हैं. एलजेपी के खिलाफ आरएलएसपी के मैदान में होने से पासवान के सबसे बड़ी चिंता दोबारा से जीत दर्ज करने है. आरएलएसपी कुशवाहा, यादव, निषाद, मुस्लिम मतों के साथ-साथ दलितों को अपने पाले में लाकर चिराग को मात देना चाहती है. हालांकि एलजेपी के पास अपने परंपरागत वोट होने के साथ-साथ बीजेपी और जेडीयू के वोटबैंक भी हैं, जिसके जरिए दोबारा से सांसद में पहुंचने की कवायद में हैं.

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गया: मांझी बनाम मांझी की जंग

बिहार की गया लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. ये सीट एनडीए के तहत जेडीयू के खाते में गई है और पार्टी ने यहां से विजय कुमार मांझी मैदान में हैं. वहीं, महागठबंधन की ओर इस सीट पर हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी खुद मैदान में हैं. ऐसे में यहां सीधी लड़ाई दो गठबंधनों के बीच नजर आ रही है.

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के हरी मांझी ने जीत हासिल की थी और जीतन राम मांझी तीसरे नंबर पर रहे थे. लेकिन इस बार उन्हें आरजेडी का समर्थन हासिल है. ऐसे में वो यादव, मुस्लिम और अपने मुसहर जाति के वोटों के सहारे जीत का स्वाद चखना चाहते हैं. इतना ही नहीं हरि मांझी के मैदान में न होने से भितरघात का भी जेडीयू को डर सता रहा है, लेकिन बीजेपी के परंपरागत वोटों के सहारे जेडीयू के विजय मांझी जीत की उम्मीद लगाए हुए हैं.

बता दें कि पहले चरण में एनडीए के तीनों पार्टियां जहां चुनावी मैदान में हैं. वहीं, महागठबंधन के सहयोगी दलों में आरजेडी, आरएलएसपी और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा चुनावी लड़ रही हैं, लेकिन कांग्रेस और वीआईपी पार्टी पहले दौर में किसी भी सीट पर नहीं है. हालांकि उनका समर्थन महागठबंधन को है. बिहार के पहले दौर से राजनीतिक तस्वीर काफी हद तक साफ हो जाएगी कि सूबे के लोग किस गठबंधन के साथ खड़े नजर आ रहे हैं और किसके साथ नहीं.

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