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पूर्वी चंपारण: राधामोहन सिंह को क्या अपने मजबूत गढ़ में मिलेगी महागठबंधन से कड़ी चुनौती?

2002 के परिसीमन से पहले पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट का नाम मोतिहारी था. इस सीट पर कांग्रेस लगातार पांच बार जीती. 1977 में जनता पार्टी उम्मीदवार ने खाता खोला. उसके बाद इस सीट से 5 बार बीजेपी जीती.

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राधामोहन सिंह (Photo Credit- Social Media)
राधामोहन सिंह (Photo Credit- Social Media)

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पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट चंपारण की धरती का सबसे अहम संसदीय सीट और बिहार की सियासत में काफी अहम माना जाता है. 2002 के परिसीमन के बाद 2008 में अलग से ये सीट भी अस्तित्व में आया. यहां से वर्तमान सांसद हैं केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह. 2009 और 2014 में राधामोहन सिंह ने इस सीट से चुनाव जीता. इससे पहले भी वे इस सीट से 2 बार सांसद रह चुके हैं.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

परिसीमन से पहले पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट मोतिहारी सीट के नाम से जानी जाती थी. आजादी के बाद से इस सीट पर कांग्रेस का बर्चस्व रहा था. लेकिन 1977 में जनता पार्टी उम्मीदवार ने पहली बार इस सीट पर कब्जा जमाया. उसके बाद इस सीट से 5 बार बीजेपी जीती.

1952 में देश में हुए पहले चुनाव से ही इस सीट पर कांग्रेस का परचम लहराया. 1971 तक इस सीट से पांच बार कांग्रेस के विभूति मिश्रा विजयी रहे थे. लेकिन इमरजेंसी के बाद हुए 1977 के चुनाव में यहां का गणित बदला. जनता पार्टी के ठाकुर रामापति सिंह चुनाव जीते और कांग्रेस का बर्चस्व खत्म हुआ. 1980 में यहां से सीपीआई के कमला मिश्र मधुकर जीते. 1984 में कांग्रेस की प्रभावति गुप्ता जीतीं. 1989 में यहां से बीजेपी ने अपने पुराने कार्यकर्ता और आरएसएस स्वयंसेवक राधामोहन सिंह को उतारा. राधामोहन सिंह चुनाव जीत गए. 1991 में फिर सीपीआई के टिकट पर कमला मिश्र मधुकर चुनाव जीते. लेकिन 1996 का चुनाव जीतकर फिर राधामोहन सिंह ने अपना परचम लहराया.

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1998 के चुनाव में राधामोहन सिंह चुनाव हार गए और आरजेडी की रमा देवी चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचीं. लेकिन 1999 में अटल लहर में बीजेपी के टिकट पर राधामोहन जीत हासिल करने में कामयाब रहे. 2004 में फिर इस सीट पर सियासत ने पलटी मारी और बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. आरजेडी के ज्ञानेंद्र कुमार जीतने में कामयाब रहे.

2002 में लोकसभा सीटों के परिसीमन के लिए कमेटी बनी और 2008 में मोतिहारी सीट पूर्वी चंपारण के नाम से अस्तित्व में आया. यहां से फिर इस सीट पर बीजेपी का कमल खिलना शुरू हुआ. अगले दो चुनाव 2009 और 2014 के दो चुनावों में राधामोहन सिंह को जीत हासिल हुई.

पूर्वी चंपारण सीट का समीकरण

इस लोकसभा क्षेत्र में वोटरों की कुल संख्या 1,187,264 है. इनमें से 640,901 पुरुष वोटर और 546,363 महिला वोटर हैं.

विधानसभा सीटों का समीकरण

बिहार की पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- हरसिद्धी, गोविंदगंज, केसरिया, कल्याणपुर, पिपरा और मोतिहारी. 2015 के विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 3 बीजेपी ने, 2 आरजेडी ने और 1 सीट एलजेपी ने जीती थी.

2014 चुनाव का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के राधामोहन सिंह ने आरजेडी के विनोद कुमार श्रीवास्तव को हराया. राधामोहन सिंह को 4,00,452 वोट मिले थे. जबकि आरजेडी उम्मीदवार विनोद कुमार श्रीवास्तव को 2,08,289 वोट. तीसरे नंबर पर जेडीयू उम्मीदवार अवनीश कुमार सिंह रहे थे जिन्हें 1,28,604 वोट हासिल हुए थे.

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सांसद का रिपोर्ट कार्ड

पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट से सांसद राधामोहन सिंह को मोदी सरकार में केंद्रीय कृषि मंत्रालय का जिम्मा मिला. 1 सितंबर 1949 को जन्में राधा मोहन सिंह युवा काल से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे. 1967-68 में राधा मोहन सिंह मोतिहारी में एबीवीपी के नगर प्रमुख बने. छात्र राजनीति के बाद वे जनसंघ और बाद में बीजेपी से जुड़े. बीजेपी किसान मोर्चे से भी वे जुड़े रहे और कई किसान समितियों में शामिल हैं. राधामोहन सिंह 2006 से 2009 के बीच बिहार बीजेपी के अध्यक्ष रहे. फिर वे 11वीं, 13वीं, 15वीं और 16वीं लोकसभा के सदस्य चुने गए. मोदी सरकार में उन्हें कृषि मंत्रालय का जिम्मा मिला.

राधा मोहन सिंह सांसद निधि का पूरा 100 फीसदी पैसा खर्च करने वाले चंद सांसदों में शामिल हैं. संसदीय कार्यवाही में भी राधामोहन सिंह की सक्रियता अच्छी-खासी रहती है. 16वीं लोकसभा के कार्यकाल के दौरान संसदीय कार्यवाही में 36 बहसों में राधा मोहन सिंह ने हिस्सा लिया. इसके अलावा पेट्रोलियम और नेचुरल गैस, ऊर्जा, सैलरी व एलाउंस तथा रेलवे पर संसदीय समितियों के भी वे सदस्य रहे.

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