scorecardresearch
 

शिवहर लोकसभा सीट: आरजेडी के सामने अपना दबदबा फिर से कायम करने की चुनौती

शिवहर तिरहुत प्रमंडल में पड़ता है. आजादी के बाद जब पहला चुनाव हुआ तो इस सीट का नाम था मुजफ्फरपुर नॉर्थ-वेस्ट सीट. 1953 में कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर जुगल किशोर सिन्हा जीतकर लोकसभा पहुंचे.

Advertisement
X
शिवहर का गूगल मैप
शिवहर का गूगल मैप

Advertisement

बिहार का शिवहर तिरहुत प्रमंडल का एक जिला है. शिवहर पहले मुजफ्फरपुर फिर हाल तक सीतामढी जिले का अंग रहा है. इस जिले के पूर्व एवं उत्तर में सीतामढी, पश्चिम में पूर्वी चंपारण तथा दक्षिण में मुजफ्फरपुर जिला स्थित है. शिवहर बिहार का सबसे छोटा एवं आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत ही पिछड़ा जिला है. बारिश एवं बाढ़ के दिनों में इसका संपर्क पड़ोसी जिलों से भी पूरी तरह कट जाता है. बज्जिका एवं हिन्दी यहां की मुख्य भाषाएं हैं.

शिवहर लोकसभा सीट का समीकरण

2014 में इस सीट से बीजेपी की रमा देवी जीतकर सांसद बनीं. शिवहर क्षेत्र राजपूत बहुल सीट माना जाता है. यहां की सियासत पर राजपूत समाज का खासा प्रभाव है और चुनावी नतीजों में इसका साफ असर दिखता है. इस संसदीय क्षेत्र में वोटरों की कुल संख्या 1,269,056 है. इसमें 591,390 महिला वोटर और 677,666 पुरुष मतदाता हैं.

Advertisement

राजनीतिक पृष्ठभूमि

शिवहर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर जुगल किशोर सिन्हा जैसी शख्सियतों ने भी किया है. जुगल किशोर सिन्हा को भारत में सहकारी आंदोलन के जनक के रूप में जाना जाता है. उनकी पत्नी राम दुलारी सिन्हा भी स्वतंत्रता सेनानी थीं. वे केंद्रीय मंत्री और गवर्नर भी रही थीं. वे बिहार की पहली महिला पोस्ट ग्रेजुएट थीं.

आजादी के बाद देश में जब पहला चुनाव हुआ तो इस सीट का नाम था मुजफ्फरपुर नॉर्थ-वेस्ट सीट. 1953 में कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर जुगल किशोर सिन्हा जीतकर लोकसभा पहुंचे. 1957 के चुनाव में पुपरी सीट के नाम से यहां लोकसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में कांग्रेस के दिग्विजय नारायण सिंह, 1962 के चुनाव में राम दुलारी सिन्हा, 1967 में एस. पी. साहू और 1971 में हरी किशोर सिंह चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे.

इसके बाद इस संसदीय सीट का नाम शिवहर हो गया. इमरजेंसी के बाद देशभर में इंदिरा गांधी के खिलाफ नाराजगी थी और इसका असर 1977 के चुनाव में इस सीट पर भी देखने को मिला. जब जनता पार्टी के ठाकुर गिरजानंदन सिंह ने यहां से चुनाव जीतकर कांग्रेस को धूल चटाई. लेकिन 1980 और 1984 के लोकसभा चुनाव में फिर कांग्रेस के टिकट पर राम दुलारी सिन्हा चुनाव जीतने में कामयाब रहीं. 1989 के चुनाव में जनता दल ने यहां सियासी उलटफेर किया. जनता दल के टिकट पर 1989 और 1991 में हरी किशोर सिंह चुनाव जीतने में कामयाब रहे.

Advertisement

आनंद मोहन का उभार

इसके बाद शिवहर क्षेत्र से बाहुबली आनंद मोहन सिंह का नाम उभरा. एक जमाने में आनंद मोहन को उत्तरी बिहार के कोसी क्षेत्र का बेताज बादशाह कहा जाता था. स्वतंत्रता सेनानी रामबहादुर सिंह के परिवार से आने वाले आनंद मोहन ने 1993 में बिहार पीपुल्स पार्टी की स्थापना की. आनंद मोहन ने 1996 के चुनाव में समता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता और फिर 1998 में ऑल इंडिया राष्ट्रीय जनता पाार्टी के टिकट पर जीत की कहानी दोहराई.

लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट जी. कृष्णैया की हत्या के लिए लोगों को भड़काने और बढ़ावा देने के आरोपों में बाद में आनंद मोहन को उम्रकैद की सजा हो गई. जेल में कविताएं और जेल डायरी लिखने को लेकर आनंद मोहन की चर्चाएं कई बार सामने आईं. आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद भी 1994 में वैशाली लोकसभा सीट के उपचुनाव में जीतकर सांसद बनीं.

शिवहर सीट से 1999 में आरजेडी के मोहम्मद अनवारुल हक ने जीत हासिल की. 2004 के चुनाव में भी आरजेडी के सीताराम सिंह ने इस सीट से जीत दर्ज की. 2009 में बीजेपी ने इस सीट से रमा देवी को उतारा. रमा देवी ने 2009 और 2014 के चुनाव में शिवहर लोकसभा सीट से जीत हासिल कर संसद का प्रतिनिधित्व किया.

Advertisement

विधानसभा सीटों का समीकरण

शिवहर लोकसभा क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- मधुबन, चिरैया, ढाका, शिवहर, रिगा और बेलसंड. 2015 के विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 2-2 सीटें बीजेपी और जेडीयू को मिली थीं. जबकि 1-1 सीट कांग्रेस और आरजेडी के हाथ आई थी.

2014 चुनाव का जनादेश

2014 में 16वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में शिवहर सीट बीजेपी के खाते में गई. बीजेपी की उम्मीदवार रमा देवी को इस चुनाव में 3,72,506 वोट हासिल हुए. वहीं आरजेडी के मोहम्मद अवनारुल हक को 2,36,267 वोट हासिल हुए. जेडीयू के शाहिद अली खान 79,108 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. जबकि इस सीट से पूर्व सांसद और जेल में सजा काट रहे बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को 46,008 वोट मिले और वे चौथे स्थान पर रहीं.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

2014 में शिवहर सीट से चुनाव जीतकर राम देवी लोकसभा पहुंचीं. 5 मई 1949 को वैशाली जिले के लालगंज में जन्मीं रमा देवी ने कानून की पढ़ाई की है. वे आरजेडी के पूर्व विधायक और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी हैं. बृज बिहारी प्रसाद की हत्या 3 जून, 1998 को आईजीआईएमएस के कैंपस में कर दी गई थी जहां वे इलाज के लिए गए थे. बृजबिहारी प्रसाद बाहुबली नेता थे और जातिय बर्चस्व की लड़ाई में उनका नाम आता रहता था. दूसरे बाहुबली छोटन शुक्ला की हत्या के पीछे उनके लोगों का हाथ बताया गया. 13 जून 1998 को बृजबिहारी प्रसाद की भी हत्या कर दी गई.  इसके बाद उनकी पत्नी रमा देवी आरजेडी के टिकट पर मोतिहारी से चुनाव मैदान में उतरीं और जीतकर संसद पहुंची. लेकिन 2009 के चुनाव में वे बीजेपी के टिकट पर शिवहर से उतरीं और लगातार दो बार जीत हासिल किया.

Advertisement

चुनावी हलफनामे में उन्होंने अपनी संपत्ति 30 करोड़ बताई है. उनपर 6 आपराधिक मामले दर्ज हैं. उन्होंने अपने सांसद निधि के आवंटित हिस्से का पूरा 100 फीसदी खर्च किया है. 16वीं लोकसभा के दौरान संसदीय कार्यवाही में रमा देवी ने 134 बहसों में हिस्सा लिया जबकि 552 सवाल पूछे. इसके अलावा विभिन्न मुद्दों पर 7 प्राइवेट मेंबर बिल भी लेकर आईं.

Advertisement
Advertisement