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ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट: कांग्रेस के गढ़ में इस बार हो सकता है त्रिकोणीय मुकाबला

lok sabha election 2019 इस सीट पर लंबे समय तक कांग्रेस का कब्जा रहा है. यहां से कांग्रेस नेता बिरेन सिंह इंगती 5 बार सांसद रह चुके हैं. लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस उम्मीदवार और मौजूदा सांसद बिरेन सिंह इंग्ती को बीजेपी के होरेन स‍िंह बे से कड़ी टक्कर म‍िल सकती है. ऑटोनॉमस स्टेट डिमांड कमेटी पार्टी से होलीराम तेरांग मैदान में हैं ज‍िन्होंने मुकाबले को त्रिकोणीय बना द‍िया है.

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प्रतीकात्मक फोटो (Photo: Facebook)
प्रतीकात्मक फोटो (Photo: Facebook)

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असम की स्वशासी जिला (ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट) संसदीय सीट पर रोचक मुकाबला होने के आसार हैं. लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस उम्मीदवार और मौजूदा सांसद बिरेन सिंह इंग्ती को बीजेपी के होरेन स‍िंह बे से कड़ी टक्कर म‍िल सकती है. बीजेपी ने जयराम इंगलेंग का ट‍िकट काट नए चेहरे पर दांव लगाया है. ऑटोनॉमस स्टेट डिमांड कमेटी पार्टी से होलीराम तेरांग मैदान में हैं ज‍िन्होंने मुकाबले को त्रिकोणीय बना द‍िया है. नेशनल पीपुल्स पार्टी और एक न‍िर्दलीय भी मैदान में है.

बता दें क‍ि असम की पांच सीटों पर 18 अप्रैल को दूसरे फेज में मतदान होना है. 10 मार्च को लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा होने के बाद देश,  चुनावी माहौल में आ गया है. 19 मार्च को इस सीट के ल‍िए नोट‍िफ‍िकेशन न‍िकला, 26 मार्च को नोम‍िनेशन की अंत‍िम तारीख, 27 मार्च को उम्मीदवारों की अंत‍िम ल‍िस्ट पर मुहर लगी. अब 18 अप्रैल के मतदान के ल‍िए सभी दलों ने अपनी ताकत झोंक दी है. लोकसभा चुनाव 2019 के दूसरे चरण में 13 राज्यों की 97 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है. मतदान का पर‍िणाम 23 मई को आना है.

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अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित असम की स्वशासी संसदीय सीट कार्बीं आंगलोंग और दीमा हसाओ जिले में आती है. यहां एसटी समुदाय का काफी प्रभाव है. कांग्रेस नेता बिरेन सिंह इंग्ती लगातार तीन बार और कुल 7 बार यहां से सांसद रह चुके हैं. 2014 में मोदी लहर भी यहां कोई करिश्मा नहीं दिखा सकी. यह इलाका असम के हिंसाग्रस्त इलाकों में शुमार है.  

राजनीतिक पृष्ठभूमि

इस सीट पर लंबे समय तक कांग्रेस का कब्जा रहा है. यहां से कांग्रेस बिरेन सिंह इंग्ती 7 बार सांसद रह चुके हैं. 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस प्रत्याशी बोनिली खोंगमेनने जीत दर्ज की थी. 1962 से 1971 तक लगातार तीन बार गिलबर्ट जी स्वेल नेजीत दर्ज की. 1977 में हुए छठे लोकसभा चुनाव में बिरेन सिंह ने पहली दफा जीत दर्ज की. 1985 के चुनाव में भी बिरेन ने बाजी मारी, लेकिन 1991 से 1999 तक लगातार चार बार ऑटोनोमस स्टेट डिमांड कमेटी की ओर से जयंता रोंगपी ने जीत दर्ज की. 2004 में कांग्रेस ने फिर वापसी की और बिरेन सिंह ने 24129 मतों के अंतर से जीत दर्ज की. उसके बाद 2009 और 2014 में भी उन्होंने अपना किला बचाए रखा.

सामाजिक ताना-बाना

2011 की जनगणना के अनुसार यहां कुल जनसंख्या 11 लाख 70 हजार 415 है. इसमें 85.01 फीसदी आबादी ग्रामीण और 14.99 शहरी है. इसमें एससी 4.21 जबकि एसटी 59 फीसदी हैं.

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2014 के चुनाव में यहां कुल मतदाता 7 लाख 2 हजार 223 थे. इसमें 3 लाख 59 हजार 58 वोटर पुरुष और 3 लाख 43 हजार 172 वोटर महिलाएं थी.

2018 की वोटर लिस्ट के मुताबिक यहां कुल मतदाताओं की संख्या 7 लाख 68 हजार 832 है. 2009 के चुनाव में यहां 69.4 फीसदी और 2014 के चुनाव में 77.43 प्रतिशत है.

2014 का जनादेश

लगातार तीन बार सांसद चुने गए बिरेन सिंह इंग्ती ने 2014 के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी जयराम इंगलेंग को 24095 मतों के अंतर से हराया. बिरेन को कुल 2 लाख 13 हजार 152 वोट मिले, जबकि जयराम को 1 लाख 89 हजार 57 वोट. तीसरे नंबर पर आईएनडी के चोमांग क्रो को एक लाख 82 हजार 99 वोट मिले. 11 हजार 747 वोटरों ने नोटा का बटन दबाया.

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