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कोकराझार: न‍िर्दलीयों में होता है यहां मुख्य मुकाबला, बीजेपी गठबंधन कर सकता है उलटफेर

असम की कोकराझार लोकसभा सीट पर इस बार रोमांचक मुकाबले के आसार हैं. लोकसभा चुनाव 2019 में असम की कोकराझार लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे निर्दलीय उम्मीदवार नबा कुमार सरान‍िया फ‍िर से न‍िर्दलीय ही चुनाव मैदान में है. इनके नाम चुनावी इत‍िहास में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में दर्ज है.

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नबा कुमार सरान‍िया (Photo: Facebook)
नबा कुमार सरान‍िया (Photo: Facebook)

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असम की कोकराझार लोकसभा सीट पर इस बार रोमांचक मुकाबले के आसार हैं. लोकसभा चुनाव 2019 में असम की कोकराझार लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे निर्दलीय उम्मीदवार नबा कुमार सरान‍िया फ‍िर से न‍िर्दलीय ही चुनाव मैदान में है. इनके नाम चुनावी इत‍िहास में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में दर्ज है.

प‍िछली बार दूसरे नंबर पर रहे न‍िर्दलीय उम्मीदवार उरखाओ ग्वारा ब्रह्मा ने स्थानीय दल युनाइटेड पीपल्स पार्टी, ल‍िबरल का दामन थामा है. बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट से सर्बानंद सोनोवाल सरकार में मंत्री प्रम‍िला रानी ब्रह्मा चुनावी मैदान में हैं. बीपीएफ का बीजेपी से चुनावी गठबंधन है. कांग्रेस से सब्दा राम रब्हा, राष्ट्रीय पार्टी का वजूद द‍िखाने के ल‍िए कोकराझार से चुनाव लड़ रहे हैं.

 बता दें क‍ि असम की चार सीटों पर 23 अप्रैल को तीसरे फेज में मतदान होना है. 10 मार्च को लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा होने के बाद देशभर में चुनावी माहौल गरमा गया है. 28 मार्च को इस सीट के ल‍िए नोट‍िफ‍िकेशन न‍िकला, 4 अप्रैल को नोम‍िनेशन की अंत‍िम तारीख, 5 अप्रैल को उम्मीदवारों की अंत‍िम ल‍िस्ट पर मुहर लगी. अब 23 अप्रैल के मतदान के ल‍िए सभी दलों ने अपनी ताकत झोंक दी है. लोकसभा चुनाव 2019 के तीसरे चरण में 14 राज्यों की 115 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है. मतदान का पर‍िणाम 23 मई को आना है.

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असम की कोकराझार सीट पर बोडो समुदाय का बाहुल्य है. इस सीट की राजनीति बोडो बनाम नॉन बोडो के बीच चलती आ रही है. यह सीट अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित है. यहां पहली बार 2014 के चुनाव में नॉन बोडो सांसद बना है. बोडो समुदाय के वर्चस्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2016 के विधानसभा चुनावों में यहां की 10 में 8 विधासभा सीटों पर बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. यह इलाका 2012 में दंगों के चलते पूरे देश में चर्चा में था.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

कोकराझार सीट पर 1957 से अब तक हुए चुनावों का परिणाम बताता है कि यहां सत्ता विरोधी लहर नहीं रहती. यानी एक बार जीता प्रत्याशी अगले तीन से चार चुनावों में लगातार जीतता है. 1957 से 1971 तक हुए चार चुनावों में जहां कांग्रेस प्रत्याशी डी बासुमतारी ने जीत दर्ज की, वहीं 1998 से 2004 तक लगातार तीन पर संसुमा खुंगुर बविश्वमुथियारी विजयी रहे. संसुमा 2009 के चुनाव में बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट के टिकट से लड़े और फिर लगातार चौथी बार विजयी रहे.

कोकराझार में कुल 10 विधानसभा सीटें हैं. यहां बीपीएफ यानी बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट का दबदबा है. 10 में से 8 सीटों पर बीडीएफ प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. इनमें गोसाईगाव में बीपीएफ, कोकराझार ईस्ट बीपीएफ, कोकराझार वेस्ट बीपीएफ, सिदली बीपीएफ, बिजनी बीपीएफ, सोरभोग बीजेपी, भबनीपुर में एआईयूडीएफ,  तमुलपुर में बीपीएफ, बरामा  में बीपीएफ और छपागुरी में बीपीएफ है.

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सामाजिक ताना-बाना

2011 की जनगणना के अनुसार कोकराझार सीट पर 23 लाख 81 हजार 32 लोगों में से 93.41 प्रतिशत ग्रामीण जबकि 6.59 फीसदी शहरी आबादी है. इस सीट पर एससी आबादी 6.41 और एसटी आबादी 28.57 प्रतिशत है. 2009 में यहां 73.65 फीसदी मतदान हुआ था जो 2014 में बढ़कर 81.32 प्रतिशत हो गया. कोकराझार सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 15 लाख 5 हजार 476 है. इसमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 7 लाख 76 हजार 71 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 7 लाख 29 हजार 405 है.

2014 का जनादेश

असम की कोकराझार सीट पर 2014 में निर्दलीय प्रत्याशी नबा कुमार सरानिया (हीरा) ने जीत दर्ज की थी. नबा कुमार को 2014 के चुनाव में कुल 6 लाख 34 हजार 428 मत हासिल हुए थे. उनके निकटतम प्रतिद्वंदी उरखाओ ग्वारा ब्रह्मा को 2 लाख 78 हजार 649 वोट मिले थे. ये भी निर्दलीय ही थे. नबा कुमार ने साढ़े तीन लाख से भी ज्यादा मतों के अंतर से जीत हासिल की जो पूरे असम में सबसे बड़े अंतर वाली जीत थी. वहीं पूरे देश में किसी निर्दलीय प्रत्याशी द्वारा दर्ज की गई ये सबसे बड़ी जीत भी थी. 18183 लोगों को कोई भी प्रत्याशी पसंद नहीं आया, लिहाजा उन्होंने NOTA का बटन दबाया. तीसरे नंबर पर चंदन ब्रह्मा रहे जो बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट से थे. चुनावी नतीजों से साफ है कि यहां किसी बड़े दल का जनाधार नहीं है. टॉप थ्री में न तो बीजेपी-कांग्रेस का कोई प्रत्याशी रहा और न ही एआईयूडीएफ का.

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2012 में दंगों के चलते सुर्खियों में था कोकराझार

कोकराझार सीट 2012 में दंगों के चलते पूरे देश में सुर्खियों में रहा था. यहां जुलाई 2012 में स्थानीय बोडो आदिवासी समुदाय और बंगाली भाषी मुस्लिमों के बीच जमकर दंगे-फसाद हुए. इसमें 50 से भी अधिक लोगों की जानें चली गईं थीं.

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