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एक्शन में आईं प्रियंका गांधी, सात समंदर पार से ही चला बड़ा सियासी दांव

प्रियंका गांधी ने सात समंदर पार से बड़ा दांव चला है. सूत्रों के मुताबिक प्रियंका ने अमेरिका से ही उत्तर प्रदेश के कांग्रेस के एक दर्जन नेताओं को फोन करके उनका आशीर्वाद, सहयोग और मार्गदर्शन मांगा है.

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प्रियंका गांधी(फोटो- PTI)
प्रियंका गांधी(फोटो- PTI)

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कांग्रेस की नवनियुक्त महासचिव प्रियंका गांधी ने सात समंदर पार से बड़ा दांव चला है. सूत्रों के मुताबिक प्रियंका ने अमेरिका से ही उत्तर प्रदेश के कांग्रेस के एक दर्जन नेताओं को फोन करके उनका आशीर्वाद, सहयोग और मार्गदर्शन मांगा है. बता दें कि प्रियंका अपनी बेटी के इलाज के लिए इन दिनों अमेरिका में हैं. दिलचस्प है कि ये एक दर्जन के करीब नेता अब या तो राजनैतिक तौर पर हाशिये पर हैं या फिर उम्र के अंतिम पड़ाव में हैं और पार्टी में ही अलग-थलग पड़े हैं.

खास बात ये है कि इनमें से कुछ तो आज के दौर में किसी पार्टी से ताल्लुक भी नहीं रखते. प्रियंका ने इनको फोन कर सियासी बड़प्पन दिखाने की कोशिश तो की ही है, साथ ही ज्यादा से ज़्यादा लोगों को जोड़ने की कवायद भी की है. प्रियंका भी जानती हैं कि पहले कार्यकर्ताओं और नेताओं में जोश भरकर ही वो जनता के बीच मजबूत पकड़ बना सकती हैं. इसीलिए देश लौटने से पहले ही प्रियंका ने अपने सियासी पिटारे का पहला दांव चला है.

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पार्टी नेताओं को प्रियंका से हैं उम्मीदें

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के नेता प्रियंका गांधी को लेकर कहते थे, वो आने वाली हैं और छाने वाली हैं. पार्टी के नेताओं को प्रियंका गांधी में पूर्व प्रधानमंत्री और उनकी दादी इंदिरा गांधी का अक्स दिखता है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका को सक्रिय राजनीति में उतारकर लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा दांव चला. उन्होंने प्रियंका को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभार दिया.  उत्तर प्रदेश की राजनीति में प्रियंका का आना कार्यकर्ताओं के लिए किसी संजीवनी जैसा है, लेकिन उनका जादू चलेगा या नहीं ये तो प्रदेश की जनता ही बताएगी.

यूपी में कांग्रेस को खड़ा करने की कोशिश

दरअसल, यूपी में लगातार कांग्रेस कमजोर होते गई. 1989 के बाद से वो राज्य की सत्ता से बाहर है. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के वाराणसी और सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ गोरखपुर भी उसी पूर्वी यूपी में है, जिसकी चुनावी ज़िम्मेदारी प्रियंका के कंधों पर राहुल ने डाली है.

ऐसे में प्रियंका नई पीढ़ी के साथ ही यूपी में कांग्रेस का स्वर्णिम युग देख चुके नेताओं को भी साथ जोड़कर मज़बूत चुनौती देने की तैयारी में हैं. इसके जरिए प्रियंका एक तीर से दो निशाने साधना चाहती हैं. एक तो पुराने नेताओं के अनुभव का फायदा ले सकें और दूसरा कांग्रेस के स्वर्णिम युग को नई पीढ़ी की जनता के बीच जीवंत कर सकें.

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खैर पर्दे के पीछे से दांव चल रहीं प्रियंका की असल चुनौती सियासी धरातल पर होगी, जहां पता चलेगा कि उनके ये दांव तीर हैं या महज तुक्का.

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