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फरीदाबाद: कृष्ण पाल गुर्जर ने BJP को दिलाई थी बड़ी जीत, अब फिर सामने होंगे भड़ाना?

हरियाणा के फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र दिल्ली से सटे होने की वजह से हमेशा हाई प्रोफाइल रहा है. फिलहाल यहां से भारतीय जनता पार्टी के कृष्ण पाल गुर्जर सांसद हैं और वो मोदी सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर की कश्ती पर सवार होकर कृष्ण पाल गुर्जर ने रिकॉर्ड वोट से जीत हासिल की थी.

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फरीदाबाद सीट पर फिर होने वाला है महामुकाबला (Photo: File)
फरीदाबाद सीट पर फिर होने वाला है महामुकाबला (Photo: File)

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हरियाणा के फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र दिल्ली से सटे होने की वजह से हमेशा हाई प्रोफाइल रहा है. फिलहाल यहां से भारतीय जनता पार्टी के कृष्ण पाल गुर्जर सांसद हैं और वो मोदी सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर की कश्ती पर सवार होकर कृष्ण पाल गुर्जर ने रिकॉर्ड वोट से जीत हासिल की थी.

कृष्ण पाल गुर्जर Vs अवतार भड़ाना?

इस सीट से 2019 में कृष्ण पाल गुर्जर की उम्मीदवारी BJP की तरफ से एक तरह से पक्की है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस की ओर से एक बार फिर अवतार सिंह भड़ाना मैदान में उतरने वाले हैं. हाल ही में उन्होंने फिर कांग्रेस में वापसी कर ली है. 2014 में कांग्रेस की टिकट पर अवतार सिंह भड़ाना फरीदाबाद से चुनाव हार गए थे और हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले INLD में चले गए थे, जबकि 2015 में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था और 2017 में उत्तर प्रदेश के मीरापुर विधानसभा से विधायक चुने गए. लेकिन अब प्रियंका गांधी की मौजूदगी में वे एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हो गए.

यानी यही सीमकरण रहा तो एक बार फिर फरीदाबाद में 2014 की तरह 2019 में कृष्ण पाल गुर्जर और अवतार सिंह भड़ाना में कड़ा मुकाबला होगा. पिछले चुनाव में गुर्जर ने साढ़े 4 लाख से ज्यादा मतों से जीत हासिल की थी. लेकिन अब अवतार सिंह भड़ाना का कहना है कि मोदी लहर की वजह से कृष्ण पाल गुर्जर की जीत हुई थी और इस बार समीकरण बदला हुआ है और वो कड़ी चुनौती देंगे.

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2014 का जनादेश

बीजेपी सांसद ने 2014 में तीन बार फरीदाबाद और एक बार मेरठ से सांसद रहे कांग्रेस के अवतार सिंह भड़ाना को 4,66,873 वोट से हराया था. कृष्ण पाल को कुल 57.7 फीसद मत के साथ 6,52,516 वोट मिल थे, जबकि अवतार सिंह भड़ाना को 1,85,643 वोट पड़े थे. कांग्रेस को महज 16.5 फीसद वोट पड़े थे. तीसरे नंबर पर रहे आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार आर के आनंद को 1,32,472 वोट मिले थे.

सामाजिक ताना-बाना

2014 के चुनाव के मुताबिक फरीदाबाद में करीब सवा 6 लाख पुरुष और लगभग 5 लाख महिला मतदाता हैं. जातिगत के हिसाब से इस लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा करीब ढाई लाख जाट वोटर्स हैं. उसके बाद करीब 2 लाख गुर्जर, 2.20 लाख अनुसूचित जाति, 1.50 लाख ब्राह्मण, 1.30 लाख पंजाबी, 1.25 लाख मुस्लिम, एक लाख पिछड़ी जाति, 80 हजार बनिया, 50 हजार अहीर (यादव), 50 हजार राजपूत और 50 हजार ही अन्य जातियों के भी मतदाता हैं.

2009 में थी कुछ ऐसी तस्वीर

इस चुनाव में यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार अवतार सिंह भड़ाना ने जीत दर्ज की थी, उन्होंने यहां से तीन बार बीजेपी के सांसद रहे रामचंद्र बैंदा को हराया था. अवतार सिंह भड़ाना को कुल 257864 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी उम्मीदवार बैंदा को 189663 वोट पड़े थे. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में फरीदाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी और आईएनएलडी मिलकर चुनाव लड़े थे. ऐसे में मुख्य टक्कर कांग्रेस और बीजेपी प्रत्याशी के बीच थीं.

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फरीदाबाद में 9 विधानसभा क्षेत्र

फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंदर 9 विधानसभा क्षेत्र हैं, हाथिन, होडल, पलवल, पृथला, फरीदाबाद एनआईटी, बडकल, बल्लबगढ़, फरीदाबाद और तिगांव है. इनमें से तीन-तीन सीट पर कांग्रेस और बीजेपी का कब्जा है, जबकि दो सीट INLD के खाते में है और पृथला से बीएसपी के टेक चंद शर्मा विधायक हैं. 2014 के लोकसभा वोटिंग के अनुसार फरीदाबाद में कुल 11,03,046 मतदाता हैं. फरीदाबाद लोकसभा में फरीदाबाद जिले के 6 विधानसभा और पलवल जिले के 3 विधानसभा शामिल हैं.

फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र का इतिहास

साल 1977 से पहले यह फरीदाबाद का गुड़गांव (गुरुग्राम) लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा था. 1976 में हुए नए परिसीमन में गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र को खत्म कर उसके आधे हिस्से को महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में शामिल कर दिया गया था, और बाकी हिस्से को लेकर फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र के नाम से एक नया लोकसभा क्षेत्र का गठन कर दिया गया. इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र से पहली बार जनता पार्टी के धर्मवीर वशिष्ठ जीत हासिल की थी, उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार खुर्शीद अहमद को हराया था.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

61 साल के कृष्ण पाल गुर्जर ने कानून की पढ़ाई की है. 16वीं लोकसभा में इनकी सक्रियता शानदारी रही. लोकसभा में 30 डिबेट में इन्होंने हिस्सा लिया और अपने क्षेत्र से जुड़े मुद्दे उठाए. जबकि अगर विकास की बात की जाए तो गुर्जर ने अपने सांसद निधि कोष के 93 फीसद फंड का इस्तेमाल अपने संसदीय क्षेत्र में किया है.

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