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लोकसभा चुनाव 2019: जानिए क्या होते हैं एग्जिट पोल, कैसे निकलते हैं आंकड़े

लोकसभा चुनाव के आखिर चरण में 19 मई को वोट डाले जाएंगे. इसके बाद 23 मई को वोटों की गिनती होगी और फिर चुनाव के नतीजे जारी किए जाएंगे. लेकिन वोटिंग खत्म होने के ठीक बाद एग्जिट पोल जारी किए जाते हैं, जिनके जरिए ये कयास लगाए जाते हैं कि इस बार किसको कितनी सीट मिलेगी और कौन सरकार बनाएगा. अब यहां सवाल यह उठता है कि आखिर एग्जिट पोल क्या होते हैं और इसके आंकड़े कैसे निकाले जाते हैं? इसको विस्तार से जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर...

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सांकेतिक तस्वीर (Courtesy- businesstoday.in)
सांकेतिक तस्वीर (Courtesy- businesstoday.in)

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हिंदुस्तान में 17वीं लोकसभा के चुनाव चल रहे हैं. इस बार लोकसभा चुनाव 7 चरणों में हो रहे हैं. अब तक 6 चरणों के मतदान हो चुके हैं. आखिरी और 7वें चरण में 8 राज्यों की 59 सीटों पर मतदान 19 मई को होंगे. इसके बाद 23 मई को काउंटिंग होगी और पता चलेगा कि वो 543 लोग कौन हैं, जिन्हें जनता ने संसद भेजने के लिए चुना है.

वहीं, इससे पहले कयास लगाए जाने लगे हैं कि कौन जितेगा? किस पार्टी की कितनी सीटें आएंगी? बेताबी इतनी है कि जनता से लेकर राजनीतिक दलों के नेता तक जानना चाहते हैं कि आखिर सेहरा किसके माथे पर सजेगा? मतगणना से पहले तो वास्तविक परिणाम बताए नहीं जा सकते, लेकिन लोगों की जिज्ञासा को कैसे शांत किया जाए, इसके लिए रास्ता निकाला गया और वह है एग्जिट पोल का रास्ता. 19 मई को ही टीवी चैनलों पर शाम 6 बजे के बाद एग्जिट पोल आने लगेंगे.

इससे पहले भी सोशल मीडिया पर दलों के जीत-हार को लेकर लोग सियासी कयास लगा रहे हैं. कोई ओपिनियल पोल, कोई चुनावी सर्वे तो कोई पर्सनल ओपिनियन दे रहा है, लेकिन सबसे सटीक आकलन एग्जिट पोल का होता है. इसमें यह पता चल जाता है कि किस पार्टी के पक्ष में हवा चल रही है. कौन-सा दल इस चुनाव में बाजी मारेगा? आइए आपको बताते हैं कि आखिर एग्जिट पोल होते क्या हैं? कैसे निकलते हैं एग्जिट पोल के आंकड़े?

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पहले समझिए चुनावी सर्वे का गणित

एग्जिट पोल से पहले समझिए चुनावी सर्वे को. क्योंकि इसी प्रक्रिया से होकर गुजरता है एग्जिट पोल. तो मोटा-मोटा यह है कि चुनाव के दौरान निर्वाचकों, वोटर से बातचीत अलग-अलग राजनीतिक दलों, कैंडिडेट्स की जीत-हार के पूर्वानुमानों के आकलन की एक पूरी प्रक्रिया होती है, जिसे चुनावी सर्वे कहा जाता है. ये सर्वे अलग-अलग तरह के होते हैं और आधार भी अलग-अलग होता है. इसी में शामिल होते हैं एग्जिट और ओपिनियन पोल.

क्या होते हैं एग्जिट पोल?

एग्जिट पोल हमेशा मतदान पूरा होने के बाद ही दर्शाए जाते हैं. लेकिन अगर चुनाव एक चरण से ज्यादा हो तो जो आखिरी चरण होता है, उस दिन मतदान पूरा होने के बाद इसके नतीजे दिखाए जाते हैं. लेकिन उससे पहले हर चरण के मतदान के दिन डाटा इकट्ठा किया जाता है.

मसलन, मौजूदा लोकसभा चुनाव सात चरणों में हो रहा है. ऐसे में एग्जिट पोल के लिए हर चरण की वोटिंग के बाद डाटा इकट्ठा किया गया. वोटिंग के दिन जब मतदाता वोट डालकर निकल रहा होता है, तब उससे पूछा जाता है कि उसने किसे वोट दिया. इस आधार पर किए गए सर्वेक्षण से जो व्यापक नतीजे निकाले जाते हैं. इसे ही एग्जिट पोल कहते हैं. आमतौर पर टीवी चैनल वोटिंग के आखिरी दिन एग्जिट पोल ही दिखाते हैं.

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जैसे मान लीजिए कि 19 मई को 7वें चरण की वोटिंग खत्म हो जाएगी और शाम 7 बजे आप टीवी पर जो चुनावी सर्वे देखेंगे वो एग्जिट पोल ही होगा. इसमें हर चरण की वोटिंग के बाद किए गए सर्वे शामिल होंगे. इसमें यह दिखाया जाता है कि कौन-से दल के प्रत्याशी जीत रहे हैं और किस दल के प्रत्याशी हार रहे हैं.

पहली बार एग्जिट पोल किसने शुरू किया?

एग्जिट पोल शुरू करने का श्रेय नीदरलैंड के एक समाजशास्त्री और पूर्व राजनेता मार्सेल वॉन डैम को जाता है. उन्होंने 15 फरवरी, 1967 को पहली इसका इस्तेमाल किया था. नीदरलैंड में हुए चुनाव में उनका आकलन सटीक बैठा था. जबकि भारत में इसकी शुरुआत का श्रेय इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन के मुखिया एरिक डी कोस्टा को जाता है. चुनाव के दौरान इस विधा द्वारा जनता के मिजाज को परखने वाले वे पहले व्यक्ति थे.

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