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जबलपुर लोकसभा सीट: शरद यादव को भी मिल चुकी है यहां पर जीत, कांग्रेस को दी थी पटखनी

मध्य प्रदेश की संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर में भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) की अच्छी पकड़ है. यहां पर पिछले 6 चुनावों से वो जीत हासिल करते हुए आ रही है. कांग्रेस को आखिरी बार यहां पर जीत 1991 के चुनाव में मिली थी. प्रदेश बीजेपी के दिग्गज नेताओं में से एक राकेश सिंह यहां के सांसद हैं.

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शरद यादव (फोटो- PTI)
शरद यादव (फोटो- PTI)

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मध्य प्रदेश की संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर में भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) की अच्छी पकड़ है. यहां पर पिछले 6 चुनावों से वो जीत हासिल करते हुए आ रही है. कांग्रेस को आखिरी बार यहां पर जीत 1991 के चुनाव में मिली थी. प्रदेश बीजेपी के दिग्गज नेताओं में से एक राकेश सिंह यहां के सांसद हैं.

2014 में लगातार तीसरी बार जीत हासिल कर वह संसद पहुंचे. जेडीयू के पूर्व नेता शरद यादव भी इस सीट से जीतकर संसद पहुंच चुके हैं. उन्होंने 1977 का चुनाव यहां से जीता था.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

जबलपुर लोकसभा सीट पर साल 1957 में पहली बार चुनाव हुआ. कांग्रेस के गोविंददास सेठ ने यहां पर हुए पहले चुनाव में जीत हासिल किया था. जनता दल(यू) के पूर्व नेता शरद यादव भी इस सीट से जीतकर संसद पहुंचे चुके हैं.

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वह 1977 के चुनाव में इस सीट से लड़े थे और कांग्रेस के जगदीश नारायण अवस्थी को हराकर संसद पहुंचे थे. इससे पहले 1962 से लेकर 1971 तक के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के गोविंददास ने ही जीत हासिल की.

बीजेपी पहली बार इस सीट पर 1982 में हुए उपचुनाव में जीत हासिल की थी. तब बी.परांजपे बीजेपी के टिकट पर इस सीट से संसद पहुचंने वाले पहले नेता थे.  हालांकि 1984 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

साल 1996 से ही जबलपुर में बीजेपी का ही उम्मीदवार जीतता आया है. बीजेपी को लगातार पिछले 6 चुनावों में जीत मिली है. 2004, 2009, 2014 में  जहां राकेश सिंह लगातार यहां पर जीत हासिल किए तो, 1999 में जयश्री बनर्जी को जीत मिली और 1998 और 1996 में बी.परांजपे को जीत मिली.

जबलपुर में बीजेपी को 8 चुनावों में जीत मिली है तो कांग्रेस को 7 चुनावों में. जबलपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. पाटन, जबलपुर उत्तर, पनगर, बरगी, जबलपुर कैंट, सिहौर, जबलपुर पूर्व, जबलपुर पश्चिम यहां की विधानसभा सीटें हैं. इन 8 सीटों में से 4 पर कांग्रेस और 4 पर बीजेपी का कब्जा है.

2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के राकेश सिंह ने कांग्रेस के विवेक तन्खा को हराया था. वहीं बसपा के आफताह आलम तीसरे स्थान पर रहे थे. राकेश सिंह को 5,64,609 वोट(56.34फीसदी) मिले थे तो वहीं विवेक तन्खा को 3,55970 वोट(35.52फीसदी) वोट मिले थे.

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2009 के चुनाव की बात करें तो इस बार जीत राकेश सिंह की ही हुई थी.उन्होंने कांग्रेस के एडवोकेट रमेश्वर को हराया था. बसपा के अजीज कुरैशी तीसरे स्थान पर रहे थे. राकेश सिंह को 3,43,922(54.29फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं एडवोकेट रमेश्वर को 2,37,919(37.56फीसदी)वोट मिले थे.

सामाजिक ताना-बाना

जबलपुर को मध्य प्रदेश की संस्कारधानी भी कहा जाता है. यहां भारतीय आयुध निर्माणियों के कारखाने तथा पश्चिम-मध्य रेलवे का मुख्यालय भी है.पुराणों और किंवदंतियों के अनुसार इस शहर का नाम पहले जबालिपुरम् था, क्योंकि इसका संबंध महर्षि जाबालि से जोड़ा जाता है. जिनके बारे में कहा जाता है कि वह यहीं निवास करते थे. यह शहर पवित्र नर्मदा नदी के तट पर स्थित है.

2011 की जनगणना के मुताबिक जबलपुर की जनसंख्या 2541797 है. यहां की 59.74 फीसदी आबादी शहरी और 40.26 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहती है. जबलपुर में 14.3 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति की है और 15.04 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की है.

चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 2014 के चुनाव में यहां पर 17,11,683 मतदाता थे.इनमें से 8,13,734 महिला मतदाता और 8,97,949 पुरुष मतदाता थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 58.55 फीसदी मतदान हुआ था.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

56 साल के राकेश सिंह मध्य प्रदेश बीजेपी के बड़े चेहरों में से एक हैं. जहां तक संसद में उनके प्रदर्शन की बात है तो 16वीं लोकसभा में उनकी उपस्थिति 90 फीसदी रही. राकेश सिंह ने संसद की 35 बहस में हिस्सा लिया. उन्होंने 267 सवाल भी किए.

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उन्होंने सड़क हादसे, रेलवे संपत्ति की चोरी, गाड़ियों से होने वाले वायु प्रदूषण, जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधि जैसे मुद्दों पर सवाल किया. राकेश सिंह को उनके निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए 19.41 करोड़ का फंड आवंटित हुआ था. जिसमें से उन्होंने 83.06 फीसदी (ब्याज सहित रकम) के विकास कार्य किए. इस फंड में से 3.30 करोड़ रुपये वह खर्च नहीं कर सके.

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