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मुस्लिमों को मायावती का मैसेज- न वोट बंटने देना, न घटने देना

पश्चिम उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन को मुस्लिम वोटों के बंटने का डर नजर आ रहा है. यही वजह है कि सहारनपुर के देवबंद की संयुक्त रैली में बसपा अध्यक्ष मायावती ने मुस्लिमों को बार-बार सचेत करते हुए कहा कि किसी भी सूरत में अपने वोट को बंटने नहीं देना. कांग्रेस इस लायक नहीं है कि वो बीजेपी को टक्कर दे सके.

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अखिलेश यादव और मायावती (फोटो-Twitter)
अखिलेश यादव और मायावती (फोटो-Twitter)

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पश्चिम उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन को मुस्लिम वोटों में बिखराव का डर सता रहा है. यही वजह है कि सहारनपुर के देवबंद की संयुक्त रैली में बसपा अध्यक्ष मायावती ने मुस्लिमों को बार-बार सचेत करते हुए कहा कि किसी भी सूरत में अपने वोट को बंटने नहीं देना. कांग्रेस इस लायक नहीं है कि वो बीजेपी को टक्कर दे सके, जबकि महागठबंधन के पास मजबूत आधार है. ऐसे में अपने वोटों का बिखराव मत करना और एकजुट होकर गठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में वोट करना.

मायावती ने कहा कि पश्चिम यूपी के सहारनपुर, मेरठ और बरेली मंडल में मुस्लिम समाज की आबादी काफी ज्यादा हैं. ऐसे में मुस्लिम समाज से कहना है कि कांग्रेस इस लायक नहीं है कि वो बीजेपी को टक्कर दे सके. ये बात कांग्रेस को भी पता है, लेकिन वह ये मानकर चल रही है कि कांग्रेस न जीते तो गठबंधन भी न जीते. ऐसे मंसूबों को कामयाब नहीं होने देना है.

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बसपा सुप्रीमो ने कहा कि सहारनपुर सीट पर बसपा ने बहुत पहले ही अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया था. जबकि कांग्रेस की ओर से किसी भी उम्मीदवार का नाम फाइनल नहीं था. ऐसे में कांग्रेस ने जब देखा कि बसपा उम्मीदवार मुस्लिम है तो उन्होंने भी मुस्लिम उतार दिया है. सहारनपुर में कांग्रेस के पास कोई दूसरा वोट नहीं है. जबकि बसपा का अपना बेस वोट है. अब तो सपा के साथ जाट वोट भी हमारे साथ है. ऐसे में मुस्लिम किसी भी बहकावे में आकर अपने वोट को न बंटने दें, बल्कि बल्कि बसपा उम्मीदवार हाजी फजलुर्रहान के पक्ष में वोट करें.

मायावती ने कहा कि बीजेपी को हराना है तो एकतरफा खासकर मुस्लिम समुदाय से अपील है कि वो एकजुट होकर गठबंधन के पक्ष में वोट करें. अभी मोदी के साथ ही योगी को भी भगाना होगा ताकि बीजेपी की जातिवादी और सांप्रदायिक राजनीति से मुक्ति मिल सके.

बता दें कि पश्चिम यूपी की कई लोकसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में है. यही वजह है कि बसपा ने कई लोकसभा सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव लगाया है. इनमें पश्चिम यूपी की सहारनपुर, मेरठ और अमरोहा में बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारा है. वहीं, सपा ने कैराना, मुरादाबाद, संभल और रामपुर सीट पर मुस्लिम कैंडिडेट उतारा है.  

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सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, अमरोहा, बुलंदशहर और मुरादाबाद वो जिले हैं, जहां मुसलमान मतदाताओं की संख्या निर्णायक भूमिका में है. ऐसे में गठबंधन के मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में हैं, जहां दलित मुस्लिम वोटर एकसाथ आते हैं वहां बीजेपी की जीत का समीकरण गड़बड़ा सकता है.

कैराना सीट पर 26, मेरठ सीट पर 31, बागपत सीट पर 20, मुजफ्फरनगर सीट पर 31, सहारनपुर सीट पर 38, गाजियाबाद सीट पर 19 और बिजनौर सीट पर करीब 38 फीसदी मुसलमान हैं. जबकि गौतमबुद्धनगर सीट पर 14 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. इससे साफ जाहिर है कि पहले चरण की सभी सीटों पर मुसलमान वोट अहम भूमिका में है, जहां सहारनपुर में सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं.

गौरतलब है 2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव 2017 में बसपा ने बड़ी संख्या में मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे. ऐसे में सपा और कांग्रेस ने भी मुस्लिमों पर दांव लगाया था. ऐसे में मुस्लिम मतदाता तीनों पार्टियों के बीच बंट गया था, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिला था. यही वजह है कि मायावती इस बार मुस्लिम मतों को सचेत कर रही हैं.

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