पुरुषों के उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने वाले गैर सरकारी संगठन अखिल भारतीय पत्नी अत्याचार विरोधी संघ के प्रमुख दशरथ देवड़ा, अहमदाबाद पूर्व की सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. वे चाहते हैं कि जैसे देश में महिला आयोग है ठीक वैसे ही एक पुरुष आयोग भी बनना चाहिए.
पत्नी पीड़ित लोगों के लिए स्वघोषित मसीहा दशरथ देवड़ा, लोकसभा चुनाव में पहली बार मैदान में उतरे हैं. दशरथ देवड़ा अपने संगठन के दुखी पतियों के साथ चुनाव प्रचार भी करते हैं. प्रचार के लिये वे जहां-जहां जाते हैं, वहां महिलाओं से भी उनकी अपील होती है कि वे पुरुषों को सरकार में समान हक ओर महिलाओं के लिये जो कानून बनाए गए हैं वैसे ही कानून पुरुषों के लिये भी बनाए जाएं.
दशरथ देवड़ा का घोषणा पत्र भी इतना ही दिलचस्प है. देवड़ा ने अपने घोषणा पत्र में लिखा है कि महिला आयोग है तो पुरुष आयोग भी होना चाहिए.देवड़ा इसी सोच के साथ चुनाव लड़ रहे हैं.
पति-पत्नी के झगड़ों में किसी संबंधी को न घसीटा जाए. स्त्रियों को सुरक्षा देने वाली कानून की धाराएं जैसे भारतीय दंड संहिता की धारा 498-A, 306, 406, 304-B, घरलू हिंसा अधिनियम 2005, लैंगिक उत्पीड़न जैसे मामलों में पुरुषों के लिए भी कानून बनाए जाएं.
दशरथ देवड़ा कहते हैं, 'मेरी आवाज ऐसे पतियों के लिए है, जो अपनी पत्नी से पीड़ित हैं. दशरथ देवड़ा इससे पहले 2017 में विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं. दशरथ देवड़ा का कहना है कि देश में महिलाओं के लिये बने कानून इतने सख्त हैं कि निर्दोष पुरुष उन कानूनों में फंस जाते हैं.
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