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तुरा लोकसभा सीट पर 75.60 फीसदी लोगों ने मताधिकार का किया प्रयोग

मेघालय में गुरुवार को तुरा सीट पर 75.60%  मतदान हुआ. वहीं शिलांग संसदीय क्षेत्र में 63.56% मतदान हुआ. इस तरह से चुनाव आयोग के मुताबिक राज्य में ओवरऑल 67.16% मतदान हुआ. लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बड़ी जीत हासिल करने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में बड़ी कामयाबी हासिल करनी होगी.

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तुरा लोकसभा सीट पर अगाथा के संगमा मैदान में (फाइल-ट्विटर)
तुरा लोकसभा सीट पर अगाथा के संगमा मैदान में (फाइल-ट्विटर)

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मेघालय में गुरुवार को तुरा सीट पर 75.60 फीसदी मतदान हुआ. वहीं राज्य के एक अन्य शिलांग संसदीय क्षेत्र में 63.56 फीसदी मतदान हुआ. इस तरह से चुनाव आयोग के मुताबिक राज्य में ओवरऑल 67.16 फीसदी मतदान हुआ. लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बड़ी जीत हासिल करने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में बड़ी कामयाबी हासिल करनी होगी. ऐसे में मेघालय में भी उसकी नजर रहेगी. यहां मुख्य लड़ाई कांग्रेस, एनसीपी और दिवंगत पीए संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के बीच ही रहती है जबकि बीजेपी भी कड़ी टक्कर दे सकती है.

मतगणना 23 मई को की जाएगी. यहां सेलसिला विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान कराया गया. राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए दोनों संसदीय क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई थी. सीआरपीएफ की 40 कंपनियों को राज्यभर में तैनात किया गया. सीमा से सटे भारत-बांग्लादेश की सीमा को सील कर दिया गया.

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मेघालय में मतदान को लेकर लोगों में खासा उत्साह दिखा. कई पोलिंग बूथों पर लंबी लाइनें देखने को मिली. शिलांग लोकसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में बने पोलिंग बूथों पर सबसे पहले वोट डालने वाले 5 मतदाताओं को वोट मेडल से भी सम्मानित किया गया.

तुरा लोकसभा सीट पर 3 उम्मीदवार ही मैदान में हैं. नेशनल पीपुल्स पार्टी की ओर से अगाथा के संगमा, जबकि कांग्रेस की ओर से डॉक्टर मुकुल संगमा और भारतीय जनता पार्टी की ओर से रिकमैन गैरी मोमीन अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. अगाथा राज्य के मुख्यमंत्री कॉनरॉड के. संगमा की बहन हैं.

तुरा लोकसभा सीट पर 2019 से पहले तक कुल 15 बार चुनाव और उपचुनाव हो चुके हैं. इस सीट को पहले कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. इस सीट पर कांग्रेस ने आठ बार जीत दर्ज की. 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में एनपीपी ने जीत दर्ज की थी.

2014 के लोकसभा चुनाव में तुरा लोकसभा सीट पर पीए संगमा ने जीत हासिल की थी. पीए संगमा लोकसभा के स्पीकर भी रहे थे. बतौर एनपीपी प्रत्याशी उन्होंने कांग्रेस पार्टी के डैरिल विलियम चेरान मोमिन को करीब 39,716 वोटों से हराया था. हालांकि 2016 में पीए संगमा के निधन के बाद उपचुनाव में उनके बेटे कोनराड संगमा ने जीत दर्ज की. हालांकि 2018 में वो राज्य के मुख्यमंत्री बन गए. कोनराड के इस्तीफे के बाद से यह सीट खाली रही.

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