पश्चिम बंगाल की रायगंज लोकसभा सीट पर 14 प्रत्याशियों का भाग्य दांव पर है. लोकसभा चुनाव 2019 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने मौजूदा सांसद मोहम्मद सलीम को ही वाम के इस गढ़ को बचाने उतारा है जिन्हें कांग्रेस की दीपा दासमुंशी से जबरदस्त टक्कर मिल रही है. वहीं, बीजेपी भी देबाश्री चौधरी को उम्मीदवार बनाकर अपने बढ़े हुए वोट बैंक के साथ जीत की आशा में है. टीएमसी से कन्हैया लाल अग्रवाल चुनावी मैदान में हैं. इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी, इंडियन डेमोक्रेटिक रिपब्लिक फ्रंट, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट), कामातापुर पीपुल्स पार्टी (युनाइटेड), गोरखा राष्ट्रीय कांग्रेस, राष्ट्रीय जनसचेतन पार्टी, ऑल इंडिया जन आंदोलन पार्टी, आमार बंगाली के साथ चार निर्दलीय भी मैदान में हैं.
लोकसभा वोटिंग अपडेट्स
- लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत गुरुवार को 11 राज्यों और एक संघ शासित प्रदेश में मतदान कराया गया. 12 राज्यों में 95 संसदीय सीटों पर 69.04 फीसदी मतदान हुआ. बंगाल में 80.72% मतदान हुआ.
- लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत गुरुवार को 11 राज्यों और एक संघ शासित प्रदेश में मतदान कराया गया. 12 राज्यों में 95 संसदीय सीटों पर 66.21 फीसदी मतदान हुआ. अंतिम अपडेशन होने तक बंगाल में 76.42% मतदान हो गया था.
- लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत गुरुवार को 11 राज्यों और एक संघ शासित प्रदेश में मतदान कराया गया. 12 राज्यों में 95 संसदीय सीटों पर 66.21 फीसदी मतदान हुआ.
Voter turnout in 2nd phase of #LokSabhaElections2019:
Assam-76.22%
Bihar-62.38%
Jammu and Kashmir-45.5%
Karnataka-67.67%
Maharashtra-61.22%
Manipur-67.15%
Odisha-57.97%
Tamil Nadu-66.36%
Uttar Pradesh-66.06%
West Bengal-76.42%
Chhattisgarh-71.40%
Puducherry-76.19% pic.twitter.com/CfhR6VJuF0
— ANI (@ANI) April 18, 2019
- बंगाल की रायगंज संसदीय सीट पर 3 बजे तक 61.84% मतदान वोटिंग. अब तक बंगाल में 65.43% मतदान.
- रायगंज संसदीय सीट पर वोटिंग जारी, 11 बजे तक 34.01% मतदान. पूरे बंगाल में इस समय तक 33.45 फीसदी मतदान.
West Bengal: CPM candidate from Raiganj Mohammad Salim's vehicle attacked in Islampur; CPM has alleged that TMC is behind the attack. #LokSabhaElections2019 pic.twitter.com/TrtdrU7sb7
— ANI (@ANI) April 18, 2019
- लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत आज गुरुवार को पश्चिम बंगाल में 3 लोकसभा सीटों पर मतदान हो रहा है. सुबह 9 बजे तक रायगंज संसदीय सीट पर 17.45 फीसदी मतदान हो चुका था. ओवरऑल बंगाल में 9 बजे तक 16.78 फीसदी मतदान हो चुका है.
प्रचार के दौरान ऐसा रहा माहौल19 मार्च को इस सीट पर नॉमिनेशन भरने के बाद से इलाके में राजनीतिक दलों का प्रचार शुरू हो गया था. अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए राजनीतिक दलों के दिग्गजों ने रैली और सभाओं को आयोजन किया. मतदान से 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार थमा तो प्रत्याशियों ने घर-घर जाकर संपर्क किया. प्रत्याशियों की मेहनत क्या रंग लाती है, ये तो 23 मई को पता लगेगा.
उम्मीदवारों के प्रोफाइल के बारे में पढ़ें- रायगंज: वाम के पास गढ़ बचाने की चुनौती, बीजेपी कर सकती है उलटफेर
बता दें कि देश में 17वीं लोकसभा के लिए 543 लोकसभा सीटों के लिए सात चरणों में मतदान हो रहा है. इसी कड़ी में पश्चिम बंगाल की 42 में से 3 सीटों पर 18 अप्रैल को दूसरे फेज में मतदान कराया गया. 10 मार्च को लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा हुई थी. 19 मार्च को इस सीट के लिए नोटिफिकेशन निकला, 26 मार्च को नॉमिनेशन की अंतिम तारीख और 27 मार्च को उम्मीदवारों द्वारा दिए गए शपथपत्रों की स्क्रूटनी हुई.
इस लोकसभा सीट के बारे में और जानने के लिए पढ़ें- रायगंज लोकसभा सीटः जहां अभी भी जल रही है माकपा की मशाल
पश्चिम बंगाल का रायगंज संसदीय सीट कांग्रेस और वाम मोर्चे के सियासी मैदान का क्षेत्र रहा है. लेकिन अगर गिनती के लिहाज से देखें तो इस सीट पर ज्यादातर समय कांग्रेस जीतती रही है. इस सीट का प्रतिनिधित्व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रिय रंजन दास मुंशी और उनकी पत्नी दीपा दास मुंशी भी कर चुकी हैं जबकि अभी यहां से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के मोहम्मद सलीम सांसद हैं जिन्हें सदन में बेबाकी से राय रखने के लिए जाना जाता है. संसद का कोई ऐसा सत्र नहीं होता है जिसमें मोहम्मद सलीम ने अपने तर्कपूर्ण वक्तव्य से सदन को आकर्षित न किया हो.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का पश्चिम बंगाल में आधार मजबूत हो रहा है. इसका असर कांग्रेस और माकपा के आधार वाली सीट रायगंज में भी देखा जा सकता है. लोकसभा चुनाव 2009 में बीजेपी को यहां 4.19 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन वहीं 2014 में उसे 18.32 फीसदी मत मिले. यानी 2009 से 2014 के बीच बीजेपी के जनाधार में करीब-करीब 13 फीसदी की बढ़ोतरी देखी जा सकती है. इस लिहाज से लोकसभा चुनाव 2019 में यह सीट बचानी माकपा के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है.
रायगंज सीट का सियासी इतिहास
रायगंज संसदीय सीट पहली लोकसभा के लिए 1952 में हुए आम चुनाव में अस्तित्व में आ गई थी. पहले लोकसभा के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी जिसमें सुशील रंजन चट्टोपध्याय चुनकर संसद पहुंचे. दूसरी लोकसभा के लिए 1957 में हुए चुनाव में कांग्रेस के सेल्कू मार्दी ने जीत हासिल की. 1962 और 1967 के चुनावों में कांग्रेस के चपल कांत भट्टाचर्जी ने क्रमशः लगातार जीत हासिल की. इस सीट पर कांग्रेस लगातार 1971 तक जीतती रही जो बताता है कि यहां जवाहर लाल नेहरू का असर कायम रहा. हालांकि इंदिरा गांधी के आपातकाल लगाने का नतीजा यह हुआ कि यहां कांग्रेस का जादू बेअसर हो गया, और 1977 में आम चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार मोहम्मद हयात अली ने जीत हासिल की.
सातवीं लोकसभा के लिए 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर वापसी की और गुलाम यजदानी सांसद चुने गए. गुलाम यजदानी के जीतने का सिलसिला जो शुरू हूआ वह लगातार तीन चुनावों तक जारी रही. यजदानी 1980 के बाद 1984 और 1989 के चुनावों में भी लगातार जीत हासिल की. पश्चिम बंगाल वाम राजनीति का गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन रायगंज सीट पर माकपा पहली बार 1991 में जीतने में कामयाब हो पाई. 1991, 1996 और 1998 के आम चुनावों में माकपा के सुब्रत मुखर्जी ने लगातार जीत हासिल की. 1999 और 2004 के आम चुनावों में कांग्रेस के प्रियरंजन दास मुंशी ने जीत हासिल की.
प्रियरंजन दास मुंशी के बीमार होने के बाद उनकी पत्नी दीपा दासमुंशी 2009 में यहां से चुनाव लड़ीं और जीत हासिल करने में कामयाब रहीं. लेकिन 2014 के चुनावों में माकपा के मोहम्मद सलीम चुनाव जीते और दीपादास मुंशी को हार का सामना करना पड़ा. पिछले लोकसभा चुनावों में मोहम्मद सलीम 3,17,515 यानी 29.00 फीसदी मतों के साथ जीत हासिल की जबकि दीपा दासमुंशी को 3,15,881, 28.50 प्रतिशत वोट से संतोष करना पड़ा. वहीं भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर तीसरे स्थान पर रही और 14 फीसदी बढ़त के साथ बीजेपी के नीमू भौमिक 2,03,131 यानी 18.32 फीसदी मत मिले.
सामाजिक ताना बाना
रायगंज पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले में आता है. इस संसदीय क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें हैं. इनमें हेमंतबाद और कालियागंज अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है. जबकि इस्लामपुर, गोपालपोखर, चकुलिया, करण दिघी रायगंज सामान्य हैं. कहा जाता है कि 'राय' का मतलब राधा होता जो महाभारत से आया है. हालांकि रायगंज शब्द की उत्पत्ति को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं है. इसे लेकर बांग्ला भाषी समाज में बहस चलती है. कुछ लोग इसे दिनाजपुर की रॉयल फैमली से जोड़कर देखते हैं जिनका सरनेम राय हुआ करता था. बहरहाल यह भी दीगर है कि रायगंज वन्यजीव अभयारण्य के लिए भी जाना जाता है जहां विभिन्न प्रकार की एशियाई पक्षियां पाई जाती हैं. यहां की 70.37 फीसदी आबादी हिन्दू है जबकि मुस्लिम 2.16 फीसदी, 0.16 फीसदी जैन और अन्य 0.31 फीसदी हैं.
2014 का जनादेश
वैसे 2014 के आम चुनावों में देश के ज्यादातर हिस्सों में मोदी लहर देखने को मिली. लेकिन पश्चिम बंगाल ऐसा राज्य है, जहां इसे विराम मिला. हालांकि पहले हुए लोकसभा चुनावों के मुकाबले बीजेपी का वोट फीसदी बढ़ा, लेकिन 2014 में ये बढ़ा हुआ मत प्रतिशत जीताऊं सोटीं में तब्दील नहीं हो पाया. ऊपर बता चुके हैं कि रायगंज संसदीय क्षेत्र में हुए बीजेपी के वोट में वृद्धि हुई है. बहरहाल पिछले चुनाव में माकपा के मोहम्मद सलीम कांग्रेस की उम्मीदवार दीपा दासमुंशी को शिकस्त में कामयाब रहे. दीपा दासमुंशी को 3,15,881, 28.50 प्रतिशत वोट से संतोष करना पड़ा. वहीं भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर तीसरे स्थान पर रही और 14 फीसदी बढ़त के साथ बीजेपी के नीमू भौमिक 2,03,131 यानी 18.32 फीसदी मत मिले. जबकि मोहम्मद सलीम ने 3,17,515 यानी 29.00 फीसदी मतों के साथ जीत हासिल की थी.
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