लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में केरल की सभी 20 सीटों पर 23 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. लोकसभा का तीसरा चरण में सबसे बड़ी परीक्षा वामपंथी दलों के लिए है. बंगाल और त्रिपुरा की सत्ता गंवान के बाद लेफ्ट का आखिरी किला केरल है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केरल के वायनाड सीट से चुनावी मैदान में उतरने से कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ के हौसले बुलंद हैं, जबकि लेफ्ट के नेतृत्व वाले एलडीएफ की लिए अपने वर्चस्व को बरकरार रखने की बड़ी चुनौती है. वहीं, बीजेपी सबरीमाला के जरिए राज्य में खाता खोलने की जुगत में है.
तीसरे चरण में केरल की सभी लोकसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे. इनमें इदुक्की, अलाथुर, कोल्लम, कासरगोड, पोनान्नी, तिरुवनंतपुरम, अट्टिंगल, आलप्पुझा, कन्नूर, वाडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मल्लापुरम, पालक्काड़, त्रिशूर, चालाकुडी, एर्नाकुलम, कोट्टायम, मावेलिकारा और पथानामथिट्टा सीट शामिल है. 2014 के लोकसभा चुनाव में यूडीएफ को 12 और एलडीएफ को 8 सीटें मिली थी. यूडीएफ में कांग्रेस 8, मुस्लिम लीग 2, आरएसपी 1 और केरल कांग्रेस 1 सीट मिली थी. जबकि एलडीएफ में सीपीआई (एम) 7 और सीपीआई 1 सीट मिली थी.
पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा की सत्ता गंवाने के बाद लेफ्ट के पास केरल एकलौता राज्य बचा है. इस तरह से लेफ्ट के लिए यह लोकसभा चुनाव करो या मरो जैसी स्थिति वाला है. यही वजह है कि लेफ्ट राज्य में अपनी पूरी ताकत लगाए हुए है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के वायनाड सीट से चुनावी मैदान में उतरकर लेफ्ट के सारे समीकरण को बिगाड़ दिया है. राहुल के मैदान में उतरने से कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं.
केरल के वरिष्ठ पत्रकार हासन बन्ना ने आजतक से बताया कि राहुल गांधी केरल से चुनाव लड़कर कांग्रेस को संजीवनी देने का काम किया है. यहां के राजनीतिक समीकरण राहुल के उतरने से पहले कांग्रेस के खिलाफ नजर आ रहे थे, लेकिन अब केरल की चुनावी गणित पूरी तरह से बदल गई है और कांग्रेस को बड़ा चुनावी फायदा मिल सकता है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस केरल में जिस तरह से किसानों के आत्महत्या के मुद्दे को उठा रही है और न्याय योजना का प्रचार कर रही है. उससे लेफ्ट के लिए मुश्किलें बढ़ गई है. हासन बन्ना का कहना है कि लेफ्ट दो तरीके से घिरा हुआ है. एक तरफ कांग्रेस से और दूसरे तरफ बीजेपी जिस तरह से सबरीमाला को उठाया उससे लेफ्ट को ही नुकसान होने की संभावना है.
केरल में लेफ्ट के नेतृत्व वाले एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ की 'साम-दाम-दंड-भेद' वाली लड़ाई बनी हुई है. वहीं, बीजेपी सबरीमाला मुद्दे के जरिए वाडाकरा, कन्नूर और कासरगोड सीट पर जीत की आस लगाए हुए है. लेकिन राहुल के चुनावी मैदान में उतरने से इन सीटों पर महत्व बदल गए हैं. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन चुनावी रैलियों को केरल में संबोधित कर चुके हैं. वहीं, लेफ्ट अपना किला बचाने की हर संभव कोशिश कर रहा है.
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