लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक पहले बिहार के राजनीतिक रसूख रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के घर में बगावत के सुर सुनाई दे रहे हैं. लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने लालू-राबड़ी मोर्चा बनाने का ऐलान कर दिया है. बता दें कि उत्तर प्रदेश के 'मुलायम परिवार' में शिवपाल यादव ने अपने भतीजे अखिलेश यादव से बगावत कर अलग पार्टी बनाई थी. ऐसे ही अब बिहार में छोटे भाई तेजस्वी को अर्जुन और खुद को कृष्ण बताने वाले तेज प्रताप क्या शिवपाल के नक्शेकदम पर चल रहे हैं?
तेज प्रताप यादव ने सोमवार को लालू-राबड़ी मोर्चा बनाने की बात कहते हुए कहा कि अगर उनकी बात नहीं मानी गई तो आरजेडी के खिलाफ 20 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे. इतना ही नहीं तेज प्रताप खुद भी सारण लोकसभा सीट से अपने ससुर आरजेडी उम्मदीवार चंद्रिका राय के खिलाफ चुनावी मैदान में ताल ठोकने की बात कह रहे हैं.
तेज प्रताप यादव काफी अरसे से बगावती रुख अख्तियार किए हुए हैं. हालांकि इसकी शुरुआत 2015 में ही हो गई थी, जब आरजेडी और जेडीयू गठबंधन की सरकार बिहार में बनी थी. तेजस्वी डिप्टी सीएम और तेज प्रताप महज मंत्री बनाए गए थे. इसी के बाद से दोनों भाइयों के बीच राजनीतिक तुलना की जाने लगी थी. लेकिन तेजस्वी और तेजप्रताप की ओर से इस बात का संदेश देने की हमेशा कोशिश की गई कि सब कुछ बेहतर है.
लेकिन, लोकसभा चुनाव अभियान के बीच तेजप्रताप यादव ने जिस तरह से बागी रूप धारण किया है. ऐसे में तेजस्वी के लिए घर में बड़े भाई से और बाहर बीजेपी सहित एनडीए से दो-दो हाथ करने होंगे. कुनबे में वर्चस्व की लड़ाई में समाजवादी पार्टी को यूपी के विधानसभा चुनाव में खामियाजा भुगतना पड़ा था. इसके बाद शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव से नाता तोड़कर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन किया था. इस बार के लोकसभा चुनाव में शिवपाल यादव ने सूबे की कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं.
तेज प्रताप ने कहा कि महागठबंधन की सीटों के ऐलान से पहले तक उनसे यही कहा जाता रहा है कि उनसे बात की जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसका मतलब साफ है कि सीटों के बंटवारे को लेकर तेज प्रताप की राय नहीं ली गई है. ऐसे में अब तेज प्रताप अपने उम्मीदवार आरजेडी के खिलाफ उतारते हैं तो पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है.
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