लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को बाहर कर समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी के बीच हुए अप्रत्याशित रूप से गठबंधन के बाद राजनीति काफी तेज हो गई है. सपा-बसपा के बाद कांग्रेस ने प्रदेश में अकेले ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर डाला. ऐसे में बिहार में महागठबंधन में कांग्रेस के साथ शामिल राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव ने रविवार रात लखनऊ में मायावती से मुलाकात की. इस बीच आरजेडी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने सपा-बसपा से इस पर फिर से फैसला करने की सलाह दी है. सोमवार को वह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने पहुंचे हैं.
सपा-बसपा गठबंधन के बाद बदले राजनीतिक हालात के बाद राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी रविवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचे और उन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती से मुलाकात की. मायावती से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए तेजस्वी ने कहा कि हम मायावती और अखिलेश यादव से एक शिष्टाचार मुलाकात करने आए हैं. हम सबसे छोटे हैं और सबका आशीर्वाद लेने आए हैं. उन्होंने कहा कि लालू जी ने यही कल्पना की थी कि उत्तर प्रदेश में भी महागठबंधन हो, मायावती और अखिलेश यादव मिलकर चुनाव लड़ें.
Extended warm Birthday greetings in advance to the person who deserves honor because of everything she has achieved in life.
Elders teaches us a ton when we grow up under their guidance. I wish many more years ahead, happiness & success to Honourable Mayawati Ji. Happy Birthday! pic.twitter.com/yNI4afTvF0
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) January 14, 2019
क्या एकजुटता आएगी?
तेजस्वी ने कहा कि आज यहां का माहौल ऐसा बन गया है कि वे बाबा साहेब के संविधान को खत्म कर नागपुर के कानून को लागू करना चाहते हैं. लोगों ने मायावती और अखिलेश के कदम का स्वागत किया है. बीजेपी का यूपी और बिहार में सफाया हो जाएगा. वे यूपी में एक भी सीट नहीं जीतेंगे. सपा-बसपा गठबंधन राज्य की सभी सीटें जीतेगा.
Tejashwi Yadav, RJD: There's atmosphere today where they want to scrap Baba Saheb's constitution&implement 'Nagpur laws'...Ppl welcome step taken by Mayawati ji&Akhilesh ji. BJP will be whitewashed in UP&Bihar. They won't win even 1 seat in UP, SP-BSP alliance will win all seats. pic.twitter.com/1yv108MZ63
— ANI UP (@ANINewsUP) January 13, 2019
अब सवाल उठ रहे हैं कि तेजस्वी यादव मायावती और अखिलेश यादव को बधाई देने पहुंचे हैं, या फिर उनकी कोशिश अपने पिता के सपने को दोनों नेताओं के सामने रखने की है. दरअसल, इस चर्चा कोे बल इसलिए भी मिल रहा है क्योंकि तेजस्वी के लखनऊ पहुंचने से पहले उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन से कांग्रेस को बाहर रखना गलत है और यह भविष्य में राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन के मामले में अच्छा संकेत नहीं है.
आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद ने यह भी सलाह दी है कि इस गठबंधन में 'सबसे पुरानी पार्टी' को शामिल किया जाना चाहिए. बिहार में आरजेडी भी उस महागठबंधन का हिस्सा है जिसमें कांग्रेस, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (एस) और मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी शामिल है. रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा, 'अगर हम (विपक्ष) राष्ट्रीय स्तर पर एक विकल्प देना चाहते हैं तो बीजेपी विरोधी सभी ताकतों को उन्हें हराने के लिए एक साथ आना होगा. यह सबसे सही समय है जब उन्हें इसमें (कांग्रेस को बाहर रखने के फैसले को) संशोधन करना चाहिए.'
जीतन राम मांझी भी फैसले से नाखुश
तेजस्वी की अपनी पार्टी के अलावा उनके सहयोगी भी इसी बात पर जोर दे रहे हैं. बिहार महागठबंधन में शामिल हम (एस) के प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी कहा, 'अगर वे (सपा-बसपा) उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की अनदेखी करेंगे तो उन्हें हार का सामना करना पड़ सकता है और बीजेपी जीत सकती है.'
बता दें कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनाव में आपस में 38-38 सीटें बांट ली और कांग्रेस को इस गठबंधन से बाहर कर दिया. दोनों पार्टियों के इस फैसले के बाद 12 जनवरी को कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने भी पुनर्विचार की बात कही थी. हालांकि, बाद में 13 जनवरी को कांग्रेस ने साफ कर दिया कि वह पूरे दमखम के साथ अपने दम पर सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी अपना स्टैंड स्पष्ट कर चुके हैं. ऐसे में तेजस्वी यादव का लखनऊ पहुंचना क्या किसी नई संभावना को जन्म दे सकता है या ये मुलाकात महज शिष्टाचार तक ही सीमित रहने वाली है, इस पर भी सबकी नजर हैं.