प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को काशी पहुंचे और रोड शो निकालकर शक्ति प्रदर्शन किया. इस दौरान काशी ने पीएम मोदी के लिए जमकर प्यार दिखाया. उन पर काशी का ये प्यार अनूठा है, लेकिन नया नहीं है. बाबा विश्वनाथ की नगरी ने हमेशा ही उन पर दिल खोलकर अपना आशीर्वाद और प्यार बरसाया है.
काशी की सड़कों पर अपार जनसैलाब उमड़ा और बाबा विश्वनाथ की नगरी भगवामय हो गई. जब प्रधानमंत्री मोदी का रोड शो मुस्लिम बहुल इलाके सोनारपुर से होकर गुजर रहा था तभी वहां पर एक बुजुर्ग आदमी ने पीएम मोदी को शॉल भेंट करने की कोशिश की. इस पर पीएम मोदी ने अपना रोड शो रोककर शॉल लिया और उसे ओढ़ लिया. इस पर वहां मौजूद भीड़ खुशी से झूम उठी.#LoksabhaElections2019 @PMOIndia @narendramodi cavalcade passing through #Sonarpura a #Muslim dominated area, an old person was trying to gift a shawl to PM, PM stopped took the shawl and wore it, exited crowd can be seen cheering #Varanasi pic.twitter.com/LzSasmWalx
— Sachin Singh (@sachinsingh1010) April 25, 2019
यह रोड शो बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से निकलकर दशाश्वमेध घाट तक पहुंचा. इसके बाद पीएम मोदी ने वहां पहुंचकर गंगा आरती में हिस्सा लिया. इसके बाद पीएम मोदी ने जनसभा को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि समर्थ भारत के लिए, संपन्न भारत के लिए, सुखी भारत के लिए विकास के साथ-साथ सुरक्षा जरूरी है. हम एक ऐसी दिशा की तरफ हम बढ़ रहे हैं जहां विज्ञान भी हो, आध्यात्मिकता भी हो, प्रतिभा भी हो, पर्यटन भी हो, खान-पान हो तो खेलकूद भी हो, आधुनिकता हो लेकिन बिना पश्चिमीकरण के.
पीएम मोदी का यह रोड शो सिर्फ काशी में अपने व्यक्तित्व का चमत्कार दिखाने के लिए नहीं थी, बल्कि पूर्वांचल के चुनाव में चमत्कार रचने के लिए थी. एक ऐसा चमत्कार जो बीजेपी को दूसरी बार सत्ता तक पहुंचाने का जरूरी रास्ता है. काशी पीएम मोदी के लिए एक चुनाव क्षेत्र भर नहीं है, बल्कि राजनीति की एक ऐसी प्रयोगशाला है, जिससे बीजेपी के लिए चमत्कारिक परिणाम निकले हैं.
वो मोदी का बनारस दांव ही था, जिसने पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश और बिहार की 120 सीटों में से 104 सीटें उनकी झोली में डाल दी थी. नरेंद्र मोदी अच्छी तरह समझते हैं कि कुर्तेके रंग से भी राजनीति कैसे बदली जाती है. वो अच्छी तरह समझते हैं कि रोड शो के रास्ते से कैसे धर्म के मुहावरे बदले जाते हैं. वो अच्छी तरह समझते हैं कि गंगा की आरती से कैसे गेरुआ राजनीति की चाल बदल देनी है.
ऐसे समय में जब बड़े-बड़े नेता अपनी-अपनी सीटों पर अपने आत्मविश्वास का वजन तौल रहे हैं, मोदी अतिरिक्त आत्मविश्वास से लबरेज हैं. बनारस मोदी के लिए सिर्फ शहर नहीं है, बल्कि उनकी सियासत का सबसे बड़ा संदेश है. मोदी जब पहली बार बनारस आए थे, तो किसी को अंदाजा नहीं था कि वो काशी को विरोधियों के लिए कयामत में बदल देंगे. मायावती को अंदाजा नहीं था कि मोदी उनके पैरों के नीचे से जमीन तक खींच लेंगे और शून्य पर समेट देंगे.