शरद पवार, भारतीय राजनीति की ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने राज्य की राजनीति जितने दबंग तरीके से की, उससे ज्यादा केंद्र की राजनीति में पकड़ बनाई. चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे शरद पवार का नाम एक समय देश के प्रधानमंत्री के लिए भी चला था, लेकिन उस समय पी वी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने और उन्हें रक्षामंत्री के पद से संतोष करना पड़ा था.
राजनीति के साथ खेल संगठनों में भी इनकी अच्छी खासी पकड़ रही. कई आरोप और विवादित बयान भी इनके साथ जुड़े हुए हैं. विदर्भ क्षेत्र में पवार की 'राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी' (NCP) का वर्चस्व है. इन्हें देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पदम विभूषण से भी नवाजा गया है. इस समय वे संसद में राज्यसभा सदस्य की हैसियत से सांसद हैं.
युवाओं को आगे लाने के लिए पवार ने पिछला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था. परंपरागत सीट बारामती पर उनकी बेटी सुप्रिया सुले सांसद हैं. शरद पवार 11 भाई-बहन थे. ऐसे में अब उनका पूरा कुनबा राजनीति की तरफ मुड़ता नजर आता जा रहा है. शरद पवार के भतीजे पहले ही उपमुख्यमंत्री रहे हैं. 2014 में उनकी बेटी सुप्रिया सुले भी सांसद बन गई हैं अब अगली जंग तीसरी पीढ़ी में हो रही है कि किस सीट से कौन चुनाव लड़ेगा.
दरअसल, शरद पवार ने ऐलान किया था कि वह इस बार भी आम चुनाव नहीं लड़ेंगे, बल्कि पार्टी को मजबूत करने का काम करेंगे. हालांकि खबरें ये भी हैं कि चुनाव लड़ने को लेकर पवार परिवार में अनबन चल रही है. पहले शरद पवार ने कहा था कि उनके परिवार से वो और सुप्रिया सुले ही चुनाव लड़ेंगे. लेकिन बाद में उनके भतीजे अजित पवार के बेटे पार्थ पवार की मावल लोकसभा सीट से टिकट दे दिया गया. इसी बीच शरद पवार ने खुद चुनाव लड़ने से मना कर दिया.
इसी के बाद से पवार परिवार में अनबन की खबरें आ रही हैं. फिर शरद पवार के बड़े भाई के पोते रोहित पवार ने फेसबुक पोस्ट लिख शरद पवार से अपील की है कि वह अपने विचार पर मंथन करें और कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान करें.
शरद पवार के बारे में
शरद पवार का जन्म 12 दिसम्बर 1940 में महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था. उनके पिता गोविंदराव पवार बारामती के कृषक सहकारी संघ में काम करते थे और उनकी माता शारदाबाई पवार, कातेवाड़ी में परिवार के काम की देख-रेख करती थीं. शरद पवार ने पुणे विश्वविद्यालय से सम्बद्ध ब्रिहन महाराष्ट्र कॉलेज ऑफ कॉमर्स से अपनी पढ़ाई पूरी की.
शरद पवार का राजनीतिक सफर
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण को शरद पवार का राजनैतिक गुरु माना जाता है. साल 1967 में शरद पवार कांग्रेस पार्टी के टिकट पर बारामती विधान सभा क्षेत्र से चुनकर पहली बार महाराष्ट्र विधान सभा पहुंचे. सन 1978 में पवार ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और जनता पार्टी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में एक गठबंधन सरकार बनाई. इस गठबंधन की वजह से वे पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बन गए.
साल 1980 में सत्ता में वापसी के बाद इंदिरा गांधी सरकार ने महाराष्ट्र सरकार को बर्खास्त कर दिया. साल 1980 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला और एआर अंतुले के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी. साल 1983 में पवार, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (सोशलिस्ट) के अध्यक्ष बने और अपने जीवन में पहली बार बारामती संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीता. उन्होंने साल 1985 में हुए विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल की और राज्य की राजनीति में ध्यान केन्द्रित करने के लिए लोकसभा सीट से त्यागपत्र दे दिया. विधानसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (सोशलिस्ट) को 288 में से 54 सीटें मिली और शरद पवार विपक्ष के नेता चुने गए.
साल 1987 में शरद पवार कांग्रेस पार्टी में वापस आ गए. जून 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री शंकरराव चौहान को केन्द्रीय वित्त मंत्री बना दिया जिसके बाद शरद पवार राज्य के दूसरी बार मुख्यमंत्री बनाए गए. साल 1989 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की कुल 48 सीटों में से कांग्रेस ने 28 सीटों पर विजय हासिल की. फरवरी 1990 में हुए विधानसभा चुनाव में शिवसेना और बीजेपी गठबंधन ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी. कांग्रेस ने कुल 288 सीटों में से 141 सीटों पर विजय हासिल की पर बहुमत से चूक गई. शरद पवार 12 निर्दलीय विधायकों से समर्थन लेकर तीसरी बार मुख्यमंत्री बने.
साल 1991 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई जिसके बाद अगले प्रधानमंत्री के रूप में नरसिंह राव और एनडी तिवारी के साथ-साथ शरद पवार का नाम भी आने लगा. कांग्रेस संसदीय दल ने नरसिंह राव को प्रधानमंत्री के रूप में चुना और शरद पवार रक्षा मंत्री बनाए गए. मार्च 1993 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सुधाकरराव नायक के पद छोड़ने के बाद पवार महाराष्ट्र के चौथी बार मुख्यमंत्री बने. वे 6 मार्च 1993 में मुख्यमंत्री बने पर उसके कुछ दिनों बाद ही महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई 12 मार्च को बम धमाकों से दहल गई और सैकड़ों लोग मारे गए.
साल 1993 के बाद शरद पवार पर भ्रष्टाचार और अपराधियों से मेल-जोल के आरोप लगे. बृहन्मुंबई नगर निगम के उपायुक्त जीआर खैरनार ने उन पर भ्रष्टाचार और अपराधियों को बचाने के आरोप लगाए. सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भी महाराष्ट्र वन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों को नौकरी से बर्खास्त करने की मांग की और अनशन किया. विपक्ष ने भी पवार पर इन मुद्दों को लेकर निशाना साधा. इन सब बातों से पवार की राजनैतिक साख भी गिरी.
साल 1995 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन ने कुल 138 सीटों पर विजय हासिल की जबकि कांग्रेस पार्टी केवल 80 सीटें ही जीत सकी. शरद पवार को इस्तीफा देना पड़ा और मनोहर जोशी प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने. सन 1996 के लोकसभा चुनाव तक शरद पवार राज्य विधान सभा में विपक्ष के नेता रहे. लोकसभा चुनाव में जीत के बाद उन्होंने विधानसभा से त्यागपत्र दे दिया.
साल 1998 के मध्यावधि चुनाव में शरद पवार के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी और उसके सहयोगी दलों ने महाराष्ट्र में 48 सीटों में से 37 सीटों पर कब्जा जमाया. शरद पवार 12वीं लोकसभा में विपक्ष के नेता चुने गए.
साल 1999 में जब 12वीं लोकसभा भंग कर दी गई और चुनाव की घोषणा हुई, तब शरद पवार, तारिक अनवर और पीए संगमा ने कांग्रेस के अंदर ये आवाज उठाई कि कांग्रेस पार्टी का प्रधानमंत्री उम्मीदवार भारत में जन्म लिया हुआ होना चाहिए न कि किसी और देश में. जून 1999 में ये तीनों कांग्रेस से अलग हो गए और 'नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी' की स्थापना की. जब 1999 के विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तब कांग्रेस और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी ने मिलकर सरकार बनाई.
साल 2004 लोकसभा चुनाव के बाद शरद पवार यूपीए गठबंधन सरकार में शामिल हुए और उन्हें कृषि मंत्री बनाया गया. साल 2012 में उन्होंने 2014 का चुनाव न लड़ने का ऐलान किया ताकि युवा चेहरों को मौका मिल सके.
खेलों संगठनों के 'खिलाड़ी' रहे हैं पवार
शरद पवार कबड्डी, खो-खो, कुश्ती, फुटबाल और क्रिकेट जैसे खेलों में दिलचस्पी रखते हैं और इनके प्रशासन से भी जुड़े रहे हैं. वे मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन, महाराष्ट्र कुश्ती एसोसिएशन, महाराष्ट्र कबड्डी एसोसिएशन, महाराष्ट्र खो-खो एसोसिएशन, महाराष्ट्र ओलंपिक्स एसोसिएशन, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद् के उपाध्यक्ष, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद् के अध्यक्ष रह चुके हैं.
विवादों से भी रहा नाता
शरद पवार के राजनितिक जीवन में समय-समय पर विवादों में भी उनका नाम आया. उन पर भ्रष्टाचार, अपराधियों को बचाने, स्टाम्प पेपर घोटाले, जमीन आवंटन विवाद जैसे मामलों कें शामिल होने के आरोप लगे.
राजनीति के साथ पत्रकारिता से भी जुड़ा है परिवार
शरद पवार का विवाह प्रतिभा शिंदे से हुआ. पवार की एक पुत्री है जो बारामती संसदीय क्षेत्र से सांसद है. शरद पवार के भतीजे अजित पवार भी महाराष्ट्र की राजनीति में प्रमुख स्थान रखते हैं और पूर्व में महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री रह चुके हैं. शरद के छोटे भाई प्रताप पवार मराठी दैनिक 'सकाल' का संचालन करते हैं.