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रायपुर लोकसभा सीट: छत्तीसगढ़ की राजधानी पर रहा है BJP का दबदबा

Raipur Loksabha constituency 2019 लोकसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने लगातार चार बार जीत दर्ज की है.

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रायपुर लोकसभा सीट(फोटो-Goodle map)
रायपुर लोकसभा सीट(फोटो-Goodle map)

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रायपुर छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा शहर और राजधानी है. जिले के समृद्ध जलोढ़ मैदानों में उगाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की चावल की किस्मों के उत्पादन के कारण इसका अर्थव्यवस्था में अहम स्थान है. इस क्षेत्र को 'भारत का धान का कटोरा' भी कहा जाता है. हालांकि, यह छवि धीरे-धीर बदल रही है. क्योंकि इस्पात, सीमेंट, एल्यूमीनियम और बिजली उद्योगों की खासी मौजूदगी के चलते रायपुर वाणिज्यिक और औद्योगिक केंद्र बनता जा रहा है.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से एक रायपुर सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है. आजादी के बाद 1952 से अब तक यहां कुल 16 चुनाव संपन्न हुए. 1999 तक यह लोकसभा सीट मध्य प्रदेश के अंतर्गत आती थी. साल 2000 में मध्य प्रदेश के विभाजन के बाद बने छत्तीसगढ़ के अंतर्गत आने के बाद यहां से तीन लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. 1952 और 1957 में निर्वाचन क्षेत्र के लिए दो सीटें थीं, इसलिए प्रथम और द्वितीय उम्मीदवार दोनों को विजेता घोषित किया गया था. वरिष्ठ कांग्रेस नेता और इंदिरा गांधी के करीबी सहयोगी विद्या चरण शुक्ला ने इस निर्वाचन क्षेत्र से दो कार्यकाल जीते. बीजेपी के रमेश बैस पिछले बार के चुनावों में यहां से 7 बार जीत चुके हैं. उन्हें केवल 1991 में हार का मुंह देखना पड़ा था और 1996 से 2014 तक लगातार छह बार जीत दर्ज की है.  

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सामाजिक ताना-बाना

रायपुर जिला ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण है. यह जिला कभी दक्षिणी कौशल का हिस्सा था और मौर्य साम्राज्य के अधीन माना जाता था. रायपुर शहर लंबे समय तक छत्तीसगढ़ के पारंपरिक किलों को सहेजे हैहय राजाओं की राजधानी रहा. रायपुर शहर 9वीं शताब्दी के बाद से अस्तित्व में आया.

रायपुर लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की नौ सीटें आती हैं. इनमें से एक अनूसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. जिनमें बलौदा बाजार, भाटापार, धारसिवा, रायपुर ग्रामीण, रायपुर शहर दक्ष‍िण, रायपुर शहर पश्चिम, रायपुर शहर उत्तर, अभनपुर और आरंग (एससी) शामिल है.

इस लोकसभा सीट पर 2014 में पुरुष मतदाताओं की संख्या 979,133 थी, जिनमें से 659,070 ने वोटिंग में भाग लिया. वहीं पंजीकृत 925,097 महिला वोटर्स में से 591,775 महिला वोटर्स ने भाग लिया था. इस तरह कुल 1,904,230 मतदाताओं में से कुल 1,250,845 ने चुनाव में अपनी हिस्सेदारी तय की. 2019 के सत्रहवें लोकसभा चुनाव में 1904460 से ज्यादा मतदाता अपने क्षेत्र के सांसद का चुनाव करेंगे.

2014 के चुनावों में दुर्ग सीट की स्थिति

रमेश बैस                        बीजेपी    654922    52.36

सत्य नारायण शर्मा         कांग्रेस     483276    38.64

2009 के चुनावों में दुर्ग सीट की स्थिति

रमेश बैस          बीजेपी     364943    49.19

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भूपेश बघेल          कांग्रेस    307042  41.39

 

2004 के चुनावों में दुर्ग सीट की स्थिति

रमेश बैस                          बीजेपी     376029    54.54

श्यामाचरण शुक्ला            कांग्रेस     246510     35.75

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

इस सीट से वर्तमान सांसद रमेश बैस हैं. 2 अगस्त 1947 को जन्मे रमेश बैस पेशे से किसान है. उन्होंने महज हायर सेकेंडरी तक की शिक्षा हासिल की है. उनकी पत्नी का नाम रामबाई बैस है और उनके परिवार में एक बेटा और दो बेटियां हैं.

विकास कार्यों पर सांसद निधि से खर्च

जनवरी, 2019 तक mplads.gov.in पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, बीजेपी सांसद रमेश बैस ने अभी तक अपने सांसद निधि से क्षेत्र के विकास के लिए 23.94 करोड़ रुपए में से 23.13 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. उन्हें सांसद निधि से अभी तक 24.89 करोड़ (ब्याज के साथ) मिले हैं. इनमें से 1.69 करोड़ रुपये अभी खर्च नहीं किए गए हैं. उन्होंने जारी किए जा चुके रुपयों में से 100.79 फीसदी खर्च किया है.

छत्‍तीसगढ़ राज्‍य की स्‍थापना 1 नवंबर 2000 को मध्‍य प्रदेश के 16 जिलों को मिलाकर की गई. इसके बनाए जाने के पीछे मुख्‍य आधार छत्तीसगढ़ी बोलने वाले जिले थे. छत्तीसगढ़ में कुल पांच संभाग रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, सरगुजा व और बस्तर हैं. राज्य में कुल 27 जिले हैं, जो मिलकर 90 विधानसभा क्षेत्रों के अंतर्गत आते हैं.

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इस राज्‍य में 11 लोकसभा और 5 राज्‍यसभा सीटें आती हैं. यह क्षेत्रफल के हिसाब से देश का दसवां सबसे बड़ा राज्‍य है. फिलहाल राज्‍य की राजधानी रायपुर है, जिसे बदलकर नया रायपुर किया जाना प्रस्‍तावित है. 28 मिलियन से ज्‍यादा की जनसंख्‍या के साथ ये राज्‍य देश में 17वें स्‍थान पर आता है. राज्‍य में मुख्‍यत: बीजेपी और कांग्रेस ही है.

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