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Exit Poll: फडणवीस के सिर बंधेगा जीत का सेहरा या मोदी के नाम पर सीट

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 23 सीटें मिली थीं जबकि सहयोगी शिवसेना को 18 सीटें मिली थीं. बीते पांच सालों में महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच बनते-बिगड़ते रिश्तों के बीच अगर यह आंकड़े नतीजों में तब्दील हो जाते हैं तो यह राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की बड़ी जीत मानी जाएगी.

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देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटो)
देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटो)

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लोकसभा चुनाव के बाद एग्जिट पोल के जो आंकड़े आए हैं उसमें एनडीए गठबंधन को महाराष्ट्र में बड़ी जीत मिलने के आसार हैं. आज तक-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक महाराष्ट्र के 48 लोकसभा सीटों में से NDA को 38 से 42 सीटों पर जीत मिल सकती है जबकि UPA को सिर्फ 6 से 10 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है. 

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को वहां 23 सीटें मिली थीं जबकि सहयोगी शिवसेना को 18 सीटें मिली थीं. बीते पांच सालों में महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच बनते-बिगड़ते रिश्तों के बीच अगर यह आंकड़े नतीजों में तब्दील हो जाते हैं तो यह राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की बड़ी जीत मानी जाएगी.

महाराष्ट्र में साल 2014 में लोकसभा चुनाव के थोड़े दिनों बाद ही विधानसभा चुनाव हुए थे जिसमें बीजेपी ने 122 जबकि शिवसेना ने 63 सीटें जीती थी. चुनाव जीतने के बाद प्रदेश अध्यक्ष रहे देवेंद्र फडणवीस को बीजेपी ने राज्य का मुख्यमंत्री बनाया था. उस वक्त फडणवीस बीजेपी के सबसे युवा मुख्यमंत्रियों में से एक थे.

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फडणवीस ने खुद को किया साबित

2014 के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी और शिवसेना में कुछ फैसलों और महाराष्ट्र में वर्चस्व को लेकर मतभेद शुरू हो गए. किसानों के मुद्दे से लेकर पानी की समस्या तक पर सरकार में सहयोगी शिवसेना ने ही सवाल उठाए और फडणवीस को इसके लिए जिम्मेदार बताया. महाराष्ट्र में दोनों पार्टियों के बीच तल्खी का असर दिल्ली तक में देखने को मिला.

विवाद इतना बढ़ गया कि साल 2016 में महाराष्ट्र में हुए नगर निगम और नगर पंचायत के चुनाव में दोनों पार्टियों ने चुनाव अलग-अलग लड़ने का ऐलान कर दिया. इस चुनाव में जहां बीजेपी ने 1147 सीटों पर जीत दर्ज की वहीं शिवसेना ने 608 सीटों पर कब्जा जमाया.

खासबात यह थी कि फडणवीस के नेतृत्व में बीजेपी का आधार और बढ़ा. नगर निकाय चुनाव में बीजेपी ने पहले से बेहतर प्रदर्शन को अपने बलबूते दोहराया. इस परिणाम के बाद फडणवीस की छवि बीजेपी और महाराष्ट्र की राजनीति दोनों जगह मजबूत हो गई.

हालांकि इसके बाद सरकार में सहयोगी रही शिवसेना के हमले उनपर और बढ़ गए और मुखपत्र 'सामना' में आए दिन उन्हें हर समस्या के लिए जिम्मेदार ठहराया जाने लगा. साल 2018 में हुए नगर निकाय चुनाव में भी बीजेपी ने महाराष्ट्र में इतिहास रचा और सांगली के 78 सीटों में से 41 सीटों पर भारी मतों के साथ जीत दर्ज की. इस जीत के बाद फडणवीस की छवि महाराष्ट्र की राजनीति में और बड़ी हो गई जिससे शिवसेना असहज होने लगी.

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शिवसेना पहले नाराज बाद में दिया फडणवीस का साथ

23 जनवरी 2018 को बीजेपी और शिवसेना की करीब 25 साल पुरानी दोस्ती टूट गई और पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने 2019 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया. उस वक्त शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मीडिया के सामने कहा था कि मैं वचन देता हूं कि हम अपने दम पर देश के सभी राज्यों में चुनाव लड़ेंगे चाहे जीतें या हारे लेकिन चुनाव अपने दम पर ही लड़ेंगे. उस वक्त शिवसेना ने यह भी दावा किया था कि वो 2019 के लोकसभा चुनाव में 25 और विधानसभा चुनाव में 150 सीटें जीतेगी.

हालांकि लोकसभा चुनाव से पहले ही कई दौर के मान-मनौव्वल के बाद शिवसेना एक बार फिर बीजेपी के साथ मिलकर ही लोकसभा चुनाव लड़ी. इस दौरान सबसे खासबात यह रही कि एनडीए से खुद को अलग करने के बाद भी शिवसेना ने कभी राज्य या केंद्र में बीजेपी से समर्थन वापस नहीं लिया.

अकेले लड़ने के ऐलान के बाद भी महाराष्ट्र में शिवसेना कोटे के मंत्री पद पर बने रहे. शिवसेना को चुनाव से ठीक पहले दोबारा एनडीए का हिस्सा बनाने में भी फडणवीस की अहम भूमिका रही थी.

अब आने वाले समय में सभी की नजरें इसी बात पर टिकी रहेंगी की क्या शिवसेना विधानसभा चुनाव भी बीजेपी के साथ लड़ेगी या सीटों पर बात नहीं बनने पर दूसरे रास्ते पर जाएगी .

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विधानसभा चुनाव की बारी और फडणवीस की तैयारी

लोकसभा चुनाव के दौरान आज तक ने जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बातचीत की तो उन्होंने कहा था कि बीते पांच सालों में उन्होंने महाराष्ट्र के लिए जितने काम किए वो उससे पहले कभी नहीं हुए थे.

महाराष्ट्र में सूखा, पानी की कमी, किसानों के कर्ज, गांवों में आधारभूत संरचना का अभाव, अपराध, बेरोजगारी से लेकर तमाम मुद्दों पर कहा था कि हम इस पर लगातार बेहतर काम कर रहे हैं और इन्हीं कामों को लेकर लोकसभा चुनाव और उसके बाद फिर विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र की जनता के बीच जाएंगे.

लोकसभा चुनाव के खत्म होने के बाद अब इसी साल के अंत में वहां विधानसभा चुनाव होने की भी संभावना है. ऐसे में बीजेपी को सत्ता में दोबारा लाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी फडणवीस पर ही है और इसको लेकर उन्होंने तैयारी भी अभी से ही शुरू कर दी है.

बूथ लेवल से लेकर ब्लॉक लेवल तक वो बीजेपी को मजबूत करने में जुट गए हैं और लगातार महाराष्ट्र के दूरस्थ इलाकों की खाक छान रहे हैं ताकि चुनाव से पहले ही लोगों की जरूरतों और नाराजगी की वजहों को समझ सकें.

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