उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में डिफेंस कॉलोनी में अपने परिवार के साथ वोट डाला. इस दौरान उनकी छोटी बेटी सर्जा ने पहली बार वोट डाला और कहा कि वह अपने वोट की ताकत का सही इस्तेमाल करेंगी. वोट डालने के बाद सीएम त्रिवेंद सिंह रावत ने आजतक से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि इस बार का चुनाव उम्मीदवारों के नाम पर नहीं बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर लड़ा जा रहा है. ये चुनाव अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव जैसा है. युवाओं में इस चुनाव को लेकर काफी उत्साह है और वे केंद्र में एक मजबूत सरकार के लिए वोट दे रहे हैं.
लोकसभा चुनाव के पहले चरण में पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की 5 लोकसभा सीटों के लिए मतदान जारी है. सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि इस बार चुनाव आयोग ने उत्तराखंड में मतदाताओं को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसकी वजह से मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा. रावत ने बताया कि उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान 50 से ज्यादा रैलियां की हैं, इससे यूथ वोटर्स वोटिंग में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं. त्रिवेंद्र सिंह की बड़ी बेटी कृति का कहना है कि आज का युवा एक निर्णायक सरकार और एक मजबूत प्रधानमंत्री चाहता है. सीएम की पत्नी सुनीता जो पेशे से टीचर हैं. उनका कहना था कि टीचर होने के नाते मैं लोगों से अपील करती हूं कि वे अच्छी सरकार के लिए ज्यादा से ज्यादा मतदान करें.
निशंक बेटी के साथ वोट डालने पहुंचे
देहरादून शहर के केंद्रीय विद्यालय में पोलिंग बूथ संख्या-70 पर मतदान के लिए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार से बीजेपी के उम्मीदवार रमेश पोखरियाल निशंक ने मतदान किया. इस मौके पर उनके साथ उनकी बेटी आरुषि भी मौजूद थीं. आजतक से बातचीत में निशंक ने कहा कि यह अच्छी बात है कि मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा जा रहा है, मोदी को लेकर लोगों में भारी उत्साह है. उनकी बेटी आरुषि कहना है कि अच्छा है कि राष्ट्रवाद के मुद्दे चुनाव लड़ा जा रहा है. एक युवा होने के नाते मैंने देखा है कि भारत का सम्मान कितना बढ़ा है.
बता दें कि उत्तराखंड की सभी पांच सीटों टिहरी गढ़वाल, गढ़वाल, अल्मोड़ा, नैनीताल-ऊधमसिंहनगर, हरिद्वार पर मतदान चल रहा है. उत्तराखंड की पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट का चुनाव सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी के पुत्र और राजनीतिक शिष्य के बीच है. उत्तराखंड की गढ़वाल सीट पर भाजपा सांसद बीसी खंडूड़ी के बेटे मनीष खंडूड़ी को उतारकर कांग्रेस सियासी करिश्मे की उम्मीद में है. युवा खंडूडी राहुल के करीबी माने जाते हैं. इसी कारण पार्टी ज्वाइन करते ही उन्हें टिकट थमा दिया गया.
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