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कौन हैं वकील साहब, जिनसे PM नरेंद्र मोदी करते थे अपने 'दिल की बात'

आजतक को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वकील साहब का जिक्र किया था, जिनसे वह अपनी सारी बातें शेयर करते थे. वकील साहब का असल नाम लक्ष्मणराव इनामदार था.

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एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वकील साहब का जिक्र किया (फोटो-PMindia)
एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वकील साहब का जिक्र किया (फोटो-PMindia)

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'आजतक' को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वकील साहब का जिक्र किया था, जिनसे वह अपनी सारी बातें शेयर करते थे. वकील साहब का असल नाम लक्ष्मणराव इनामदार था. गुजरात में आरएसएस के संस्थापकों में से एक वकील साहब से पीएम मोदी की मुलाकात उस समय हुई थी, जब वो (मोदी) संघ के स्वयंसेवक थे. मोदी के चायवाले से लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री और बाद में प्रधानमंत्री तक के सफर में वकील साहब की अहम भूमिका थी.

लक्ष्मणराव इनामदार का जन्म 1917 में पुणे से 130 किलोमीटर दक्षिण में खाटव गांव में हुआ था. एक सरकारी राजस्व अधिकारी की दस संतानों में से एक इनामदार ने 1943 में पुणे यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री लेते ही संघ का दामन थाम लिया था. उन्होंने स्वाधीनता संग्राम में हिस्सा लिया और हैदराबाद में निजाम के शासन के खिलाफ मोर्चे निकाले. वे गुजरात में आरएसएस के प्रचारक के नाते आजीवन अविवाहित और सादे जीवन के नियम का पालन करते रहे.

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कैसे हुई मुलाकात

पीएम मोदी ने 17 साल की उम्र में 1969 में हाइस्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वडऩगर में अपना घर छोड़ दिया. 2014 में प्रकाशित किशोर मकवाना की पुस्तक कॉमन मैन नरेंद्र मोदी में उन्होंने बताया है कि मैं कुछ करना चाहता था लेकिन जानता नहीं था कि क्या करूं. उन्होंने राजकोट में रामकृष्ण मिशन आश्रम से यात्रा शुरू की और कोलकाता के निकट हुगली के किनारे बेल्लूर मठ जा पहुंचे. कुछ समय रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय में बिताया, फिर गुवाहाटी चले गए. बाद में वे अल्मोड़ा में स्वामी विवेकानंद के एक और आश्रम में रहने लगे.

इनामदार से मोदी 1960 के शुरू में लड़कपन में पहली बार मिले थे. 1943 से गुजरात में नियुक्त इनामदार संघ के प्रांत प्रचारक थे जो नगर-नगर घूमकर लड़कों को शाखाओं में आने के लिए प्रोत्साहित करते थे. उन्होंने धाराप्रवाह गुजराती में जब वडऩगर में सभाओं को संबोधित किया तो मोदी अपने भावी गुरु की वाक्पटुता पर मुग्ध हो गए. पीएम मोदी दो साल बाद वडनगर लौटे. कुछ दिन अपने घर में रहने के बाद मोदी फिर अहमदाबाद रवाना हो गए और अपने चाचा की चाय की दुकान में रहते हुए काम करने लगे.

कुछ समय बाद यहीं पर उनका एक बार फिर वकील साहब से संपर्क हुआ जो शहर में संघ के मुख्यालय हेडगेवार भवन में रहते थे. इसके बाद पीएम मोदी अपने गुरू वकील साहब के सानिध्य में आरएसएस दफ्तर आ गए. मोदी अपने गुरु के कक्ष के सामने कमरा नंबर 3 में रहते थे. हेडगेवार भवन में उनकी शुरुआत सबसे निचले स्तर से हुई. वे पौ फटते ही बिस्तर छोड़ देते थे, प्रचारकों के लिए चाय बनाते थे. उस समय पूरे कॉम्प्लेक्स (तब एक मंजिला इमारत हुआ करती थी) की सफाई करते थे और गुरु के कपड़े धोते थे. यह सिलसिला एक साल तक चला.

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PM मोदी को खूब सिखाया

मोदी ने बड़े करीब से देखा कि वकील साहब किस तरह राज्यभर में संघ का प्रचार करते थे. वे बहुत पढ़ते थे और अपने साथ एक ट्रांजिस्टर रेडियो रखते थे जिस पर बीबीसी वर्ल्ड सर्विस नियमित रूप से सुनते थे. जवानी में कबड्डी और खो-खो खेलने का शौक था लेकिन बाद में प्राणायाम से खुद को स्वस्थ रखते थे. इनामदार का स्वभाव दोस्ताना और बहुत ही सहज था, जब थोड़ा-बहुत खीझ जाते थे तो 'भले मानस' कहा करते थे. 1972 में उन्होंने औपचारिक रूप से नरेंद्र भाई मोदी को संघ का प्रचारक बना दिया. 1985 में वकील साहब का निधन हो गया था.

शुक्रवार को 'आजतक' को दिए अपने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा कि जब मैं संघ का काम करता था, तब एक लक्ष्मणराव इनामदार थे. मेरा मन उनको अपनी हर बात बताने का करता था और मैं उनसे अपनी सभी बातें साझा कर लेता था. उन्होंने कहा कि अभी भी वह एक राजदार से अपनी सभी बातें शेयर करते हैं, लेकिन उसका नाम नहीं बताएंगे. वो अपने राजदार लक्ष्मणराव इनामदार का नाम इसलिए बता देते हैं, क्योंकि अब वो जीवित नहीं रहे.

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