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इंदौर से टिकट कटने की चर्चाओं पर बोलीं सुमित्रा महाजन -जिंदगी में कभी पार्टी से टिकट नहीं मांगा

ताई के नाम से मशहूर सुमित्रा महाजन ने ये बयान ऐसे वक्त दिया है जब इंदौर चौक चौराहों पर ये चर्चा हो रही है कि इस बार बीजेपी इस सीट से किसे उतारेगी? लोगों की चर्चाओं में ये मुद्दा भी शामिल है कि क्या लालकृष्ण आडवाणी (91) और मुरली मनोहर जोशी (85) सरीखे सीनियर बीजेपी नेताओं की तरह सुमित्रा महाजन को भी इस बार चुनावी समर से विश्राम दिया जाएगा?

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स्पीकर सुमित्रा महाजन, फोटो-twitter/S_MahajanLS
स्पीकर सुमित्रा महाजन, फोटो-twitter/S_MahajanLS

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मध्यप्रदेश के इंदौर से लगातार 8 बार सांसद रहीं स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा है कि 30 साल के लंबे संसदीय जीवन में उन्होंने कभी भी पार्टी से अपने लिए खुद टिकट की मांग नहीं की है और न ही ये कहा है कि उन्हें प्रत्याशी बनाया जाए. सुमित्रा महाजन ने समाचार एजेंसी भाषा से कहा है कि अगर इस बार उनकी उम्मीदवारी के विकल्पों पर चर्चा की जा रही है, तो यह "स्वाभाविक प्रक्रिया" है. इसके अलावा ये उनके लिए "गौरव" की बात है क्योंकि इससे पता चलता है कि बीजेपी में काबिल नेताओं की कमी नहीं है.

"ताई" (मराठी में बड़ी बहन का सम्बोधन) के नाम से मशहूर सुमित्रा महाजन ने ये बयान ऐसे वक्त दिया है जब इंदौर के चौक चौराहों पर ये चर्चा हो रही है कि इस बार बीजेपी इस सीट से किसे उतारेगी? लोगों की चर्चाओं में ये मुद्दा भी शामिल है कि क्या लालकृष्ण आडवाणी (91) और मुरली मनोहर जोशी (85) सरीखे सीनियर बीजेपी नेताओं की तरह सुमित्रा महाजन को भी इस बार चुनावी समर से विश्राम दिया जाएगा?

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बता दें कि इंदौर में लोकसभा चुनाव के लिए सबसे आखिरी चरण में यानी कि 19 मई को मतदान होना है. इस सीट से बीजेपी ने अब तक कैंडिडेट की घोषणा नहीं की है. दीगर बात यह भी है कि इसी महीने की 12 तारीख को सुमित्रा महाजन उम्र के 76 साल पूरे करने जा रही हैं. हाल के सालों में बीजेपी में 75 साल की उम्र से ज्यादा के नेताओं के टिकट न देने की परंपरा रही है.

सुमित्रा महाजन ने भाषा से कहा, "सबसे पहली बात तो यह है कि जब मैंने वर्ष 1989 में इंदौर से अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था, तब भी मैंने पार्टी से टिकट नहीं मांगा था, पार्टी ने मुझे खुद टिकट दिया था, मैंने अपनी पार्टी से आज तक टिकट नहीं मांगा है."

इंदौर से बीजेपी उम्मीदवार की घोषणा में देरी पर उन्होंने कहा, "इस प्रश्न का उत्तर तो भाजपा संगठन ही दे सकता है, हो सकता है कि उनके मन में कुछ बात हो, इस बारे में जब तक भाजपा संगठन कुछ नहीं बोलेगा, मैं भी कुछ नहीं कह सकती."

उन्होंने कहा, "मैंने बीजेपी संगठन के किसी भी नेता से बात नहीं की है कि इंदौर से पार्टी के उम्मीदवार की घोषणा क्यों रोकी गई है? हमारी पार्टी में इस तरह के सवाल नहीं किए जाते, क्योंकि उम्मीदवार तय करना हमारे संगठन का काम है. इंदौर से उम्मीदवार चयन के मामले में भाजपा संगठन उचित समय पर उचित निर्णय करेगा."

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इंदौर सीट के उम्मीदवार के तौर पर उनके विकल्प के रूप में भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं के नाम सामने आए हैं, इस बारे में महाजन ने कहा, "यह अच्छी बात है और स्वाभाविक प्रक्रिया भी है. पार्टी में बहुत सारे विकल्प होने चाहिए. इसी से पार्टी मजबूत मानी जाती है और यह भी पता चलता है कि पार्टी में इतने योग्य कार्यकर्ता हैं कि इनमें से किसी को भी टिकट दे दिया जाए, तो वह चुनाव जीत जाएगा."

हालांकि तमाम अटकलों से बेपरवाह समित्रा ताई ने स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ताओं की मार्गदर्शक के तौर पर चुनावी मैदान पकड़ लिया है. वे लोकसभा चुनावों की तैयारियों के मद्देनजर भाजपा के अभियान के तहत शहर भर में पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठकें ले रही हैं.

साल 1982 में इंदौर नगर निगम के चुनावों में पार्षद पद की उम्मीदवारी से अपने चुनावी करियर की कामयाब शुरुआत करने वाली सुमित्रा महाजन ने कहा, "चुनाव एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरी पार्टी लड़ती है. व्यक्ति तो सहायक की भूमिका में रहता है. अभी हमारे मन में एक ही लक्ष्य है कि लोकसभा चुनाव जीतकर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बार फिर बहुमत वाली सरकार बनानी है."

बता दें कि महाजन के अलावा, इंदौर लोकसभा सीट से बीजेपी के चुनावी टिकट के दावेदारों के रूप में शहर की महापौर और पार्टी की स्थानीय विधायक मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़, बीजेपी विधायक ऊषा ठाकुर, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत और इंदौर विकास प्राधिकरण के पूर्व चेयरमैन शंकर लालवानी के नाम चर्चा में हैं.

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